शहीदों की कुर्बानियों का उचित जवाब हमारी सेना देगी

आतंकियों की जड़ों में मट्ठा डालने का काम करे


शहीदों की कुर्बानियों का उचित जवाब हमारी सेना देगी


आतंकवाद जैसी समस्या पर राजनीति नहीं होनी चाहिए


लखनऊ । जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए शहीदों पर हमले के बाद से पूरे देश में अलग माहौल है। हर तरफ से शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए कैंडिल जुलूस, प्रदर्शन, शोक सभा, श्रद्धांजलि सभा, मौन जुलूस आदि का ही प्रदर्शन हो रहा है। इसी प्रदर्शन के दौरान तीन दिन पूर्व लखनऊ में ही तैनात एक पुलिस अधिकारी से बात हुई, जिनके रिश्ते के भाई भी इसी हादसे में शहीद हो गये। उन्होंने बातचीत में कहा कि यहां पर झंडा लेकर प्रदर्शन करने से कुछ नहीं होता, यह इन लोगों को कौन समझाये। अगर सहानुभूति दिखानी है तो आप सब जाइये शहीदों के परिजनों के पास और यह भरोसा दिलाइये कि आज के बाद कोई और शहीद नहीं होगा, हम इसी भरोसे पर रह लेंगे। जब भी कोई घटना होती है तो श्रद्धांजलि दी जाती है फिर सब भूल जाते हैं और जिसके घर का बच्चा शहीद होता है उससे पूछिये। हम बिना लड़े शहीद हो जाते हैं यह हमारी शहादत नहीं बल्कि मुफ्त में मौत है। 
आज इस मामले पर देश में राजनीति शुरू हो गयी है। कोई कह रहा है कि कांग्रेस के राहुल गांधी डांस का वीडियो डाल रहे हैं तो कोई कह रहा है कि मोदी जी चुनावी सभाओं में जुटे हैं। दिलचस्प यह है कि सभी कह रहे हैं कि इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए। आतंकवाद से निपटने में राजनीति की भी नहीं जानी चाहिए, ऐसा भरोसा भी देश को दिलाया जाता है। 14 फरवरी की घटना के बाद भी ऐसा ही कहा गया। झांसी में प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे वीर जवानों ने देश की रक्षा में अपने प्राणों की आहुति दी है। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। यह भरोसा झांसी की धरती से, वीरों और वीरांगनाओं की धरती से 13० करोड़ हिदुस्तानियों को देना चाहता हूं। इसी तरह भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जयपुर में कहा कि पूरा देश 45 शहीदों के परिवारों के साथ चट्टान की तरह खड़ा है... भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार इस कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने देगी... हमारे शहीदों की कुर्बानियों का उचित जवाब हमारी सेना देगी।
क्या इन बयानों में राजनीति की बू नहीं आ रही है। झांसी में प्रधानमंत्री ने हजारों करोड़ की परियोजनाओं का उद्घाटन किया। किसानों, नौजवानों, महिलाओं सबके लिए फिर से बड़ी-बड़ी बातें कहीं। खुद का संबंध बुंदेलखंड से जोड़ा कि मणिकर्णिका की जन्मभूमि के लोगों ने मुझे सांसद बनाया है। यही रिश्ता मुझे बुंदेलखंड से जोड़ता है। प्रधानमंत्री के भाषण में चुनाव प्रचार की झलकियां दिखीं। इसी तरह अमित शाह भी जब भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार कहते हैं तो इसकी राजनीति भी साफ-साफ समझ आती है। यह कहना बहुत आसान है कि आतंकवाद जैसी समस्या पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेकिन देश में जब आम चुनाव का वक्त नजदीक आ गया हो तो राजनीति न हो, यह संभव नहीं है। पठानकोट, उरी और पुलवामा, ये तीन बड़े हमले मोदी सरकार में हुए हैं। उरी के बाद की गई सर्जिकल स्ट्राइक का चुनावी लाभ भाजपा ने किस तरह लिया है, यह देश ने देखा है। अभी भी ऐसा संदेह होता है कि पुलवामा पर लोगों के आक्रोश, उनके दुख को भुनाकर उसका चुनावी लाभ लेने की कोशिश भाजपा करेगी। लगभग एक हफ्ते में देश में पाकिस्तान के खिलाफ पूरा माहौल बना लिया गया है।
सरकार ने यह समझाने की भी कोशिश की है कि वह पाकिस्तान को अलग-थलग कर, उस पर आर्थिक प्रहार कर कमजोर करेगी। लेकिन पाकिस्तान पर भारत की सख्ती का कितना असर होगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस दो दिनों के पाक दौरे पर थ् और 2० अरब डालर के आठ समझौते दोनों देशों के बीच हुए हैं। तो अब भाजपा की मोदी सरकार को देश की जनता को यह बताना चाहिए कि वह किस तरह पाकिस्तान को सबक सिखाने वाली है, या शहीदों की कुर्बानी का जवाब देने वाली है? क्या इसमें केवल जुबानी जमाखर्च होगा या सचमुच ऐसे कदम उठाए जाएंगे, जिससे आतंकवाद को भारत में पैर पसारने की जगह नहीं मिलेगी और हमारे सैनिकों की जान अकारण नहीं जाएगी। एक तरफ तीन नदियों का जल रोकने की बात कही जा रही है। दूसरी तरफ सिंधु जल समझौता अभी भी जारी है। कुछ आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद पाकिस्तान पर नकेल कसती नजर नहीं आ रही है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के तेवर जिस तरह धमकी भरे नजर आ रहे हैं, वह यह बता रहे हैं कि भारत के प्रयासों से उसकी कमर टूटी नहीं है। वह तो भला हो मीडिया का कि वह इस मुद्दे को जीवित रख्ो हैं वरना नेताओं ने तो अब इस पर बोलना भी कम कर दिया है। सिर्फ चुनावी माहौल में शहीदों को श्रद्धांजलि देकर हर नेता अपने आप को बड़ा देशभक्त साबित कर रहा है। पर जरूरत है ऐसी कार्रवाई कि शहीदों के परिजनों को भरोसा हो कि अब और कोई लाल मुफ्त में देश के लिए शहीद नहीं होगा। अभी बीते दिनों एक शहीद की पत्नी ने कहा कि अगर मेरे पति को लड़ाई के म्ौदान में गोली लगती तो दुख न होता पर उन्हें तो पता ही नहीं चला कि वह जिस रास्ते पर जा रहे हैं वहां मौत है। उन्हें बिना लड़े अपने प्राण गंवाने पड़े। इसे सिर्फ किसी की भावना न समझें बल्कि यह भावना है सैकड़ों शहीदों के परिजनों की कि प्रधानमंत्री या फिर केंद्र सरकार उनको भरोसा दिलाये कि देश में दोबारा पाकिस्तान ऐसी हरकत दोहराने की कोशिश नहीं करेगा। यह वायदा करें कि इस बार पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया जायेगा कि वह आतंक की नर्सरी को पालने-पोसने के बजाय, आतंकियों पर प्रतिबंध लगाने की कार्रवाई दिखाने के बजाय वास्तव में आतंकियों की जड़ों में मट्ठा डालने का काम करेगा। यह भरोसा प्रधानमंत्री जी को दिलाना ही पड़ेगा तभी शहीदों के परिजनों के घावों में मलहम लग सकेगा और उन्हें लगेगा कि उनके बेटे की कुर्बानी व्यर्थ नहीं गयी।