आम जनमानस को भी वैज्ञानिक सोच अपनाकर दैनिक क्रियाकलापों में विज्ञान के अनुप्रयोग को बढ़ावा देना होग
लखनऊ,, 28 फरवरी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व और ऐतिहासिक कामयाबियाँ दिन प्रतिदिन मिल रही है। लेकिन, सही मायने में हम अभी भी वैज्ञानिक प्रगति की दौड़ में बहुत पीछे चल रहे हैं। इसका मुख्य कारण आम जनमानस वैज्ञानिक तरीके से न तो सोचता है और न ही अपने दैनिक क्रिया कलापों में सम्मिलित विज्ञान के समावेश को ढूॅढता है। यह विचार निदेशक, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद उ0प्र0 अन्नावि दिनेश कुमार ने आज यहां सूरज कुण्ड पार्क के विज्ञान भवन में स्थित सर सी.वी.रमन प्रेक्षागृृह में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, उ.प्र. की ओर से 33वें राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर आयोजित वैज्ञानिक व्याख्यान के दौरान दिये। उन्होंने बताया कि आज समाज के प्रत्येक स्तर में शिक्षा का प्रभाव होने के बावजूद विज्ञान का केवल उपयोग और उसका दुरूपयोग ही दिखायी देता है। पूरी दुनिया मंे आधुनिक तरीके से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास और उसका प्रभाव बढ़ता जा रहा है। हर वर्ष हजारों खोजों, अनुसंधान और नवअन्वेषणों का कार्य विश्व के तमाम देशों में चल रहा है और नोबेल पुरूस्कार भी बाॅटे जा रहे हैं। इसके बावजूद अंधविश्वास भी बहुत है। अवैज्ञानिक वातावरण और तमाम तरह के अंधविश्वासों के कारण समाज में झगडे़ हो रहे हैं। विद्यार्थी और शिक्षकों को चाहिए स्वयं में और अपने परिवार में वैज्ञानिक सोच, दृष्टिकोण और कार्य व्यवहार का वातावरण स्थापित करें। जिससे सामाजिक भेदभाव का अन्त निश्चित रूप से हो सके। देश और प्रदेश को आगे बढ़ाने के लिए हर अंधविश्वास का समूल विनाश करने के लिए शिक्षा के साथ-साथ विज्ञान का सही उपयोग करने की निरंतर जरूरत है। श्री दिनेशकुमार ने स्पष्ट किया कि विज्ञान में ही हर समस्या का निदान और निराकरण है।
इस अवसर पर ख्याति प्राप्त साइटूनिस्ट डाॅ पी.के.श्रीवास्तव ने अपने वैज्ञानिक कार्टून्स की श्रृृंखला का प्रदर्शन करते हुए व्याख्यान दिया कि भारत में 4365 प्रकार की जैव विविधता विश्व में आश्चर्यजनक और समूचे जीवन जगत के लिए एक वरदान है। देश में वनस्पतिक, जीव-जन्तु, संस्कृति के साथ जल, थल व नभ में व्याप्त विविधता से ही हमारे वैज्ञानिक नवीन अनुसंधान कर पाने में सफल हो पा रहे हैं और दिनोंदिन जीवन को सरल और बेहतर बनाने के लिए नवीन टेक्नोलाॅजी का विकास सम्भव हो पा रहा है। डाॅ. श्रीवास्तव ने औषधीय पेड़ जैसे-पीपल, बरगद, नीम, आॅवला, अशोक के साथ-साथ, जलीय स्थानों, पहाड़ों, नदियों, समुद्र तथा वायवीय तमाम जीव जन्तुओं जैसे-ट्री पोड, हयूमिंग बर्ड, मधुमक्खी, किंग फिशर, नीलकंण्ठ, गोह, गीकोच, छिपकली, स्टैनोकाराबीटल, सार्क फिश व सोंगों लौकस कीट, स्टोलोटुशन जन्तु, कमल का फूल, तथा मोर इत्यादि की संरचना और उनकी जीवनशैली को प्रस्तुत करते हुए इनसे विकसित आधुनिक टेक्नोलाॅजीज के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किये।
वैज्ञानिक व्याख्यानमाला के दूसरे चरण में केजीएमयू, लखनऊ के प्रतिष्ठित ह््दय रोग विशेषज्ञ प्रो. ऋषि सेठी ने अपने व्याख्यान में विद्यार्थियों को आगाह किया कि दैनिक जीवनशैली को सुधारने की अत्यन्त जरूरत है। क्योंकि केजीएमयू द्वारा वर्ष 2014 में 900 हार्ट की सर्जरी की गयी थी और वर्ष 2018 में 6000 हार्ट से सम्बन्धित सर्जरी की गयी है। भोजन में बढ़ता हुआ कोलेस्ट्राॅल और दिनभर में अधिकांशतः असंतुलित व अपौष्टिक आहार के कारण हाइपरटेंशन, डायबटीज, वजन का बढ़ना और रक्तचाप में भारी उतार चढ़ाव के कारण हृृदय से सम्बन्धित तमाम जटिलतायें चरम पर देखी जा रही हैं। बढ़ता हुआ प्रदूषित वातावरण, मौसम में दिनों दिन तापमान में वृृद्धि, पीने के पानी की कमी, तम्बाकू, पान-मसाला का सेवन, अस्वच्छ रहन-सहन सहित अनेक कारणोंवश, एन्जिओप्लास्टी, बायपास सर्जरी के मरीज बढ़ते जा रहे हैं। प्रो. सेठी ने ध्यान केन्द्रित कराया कि विद्यार्थियों में बढ़ रही नशाखोरी से अस्पतालों में भीड़ बढ़ रही है। इसे रोकने के लिए शिक्षकों और अभिभावकों को पूरी जिम्मेदारी के साथ सामाजिक कार्य करने की तुरन्त जरूरत है।