16 में से जीते 14 दलित प्रत्याशी

जाटों समुदाय को साथ लेने में कामयाब

लखनऊ ंने पिछड़ों और अति पिछड़ों को अपने पाले में करने के लिए सबसे ज्यादा भरोसा कर उनके जाति के प्रत्याशियों को 22 सीटें दी थीं। पिछड़ों और अति पिछड़ों ने भी भाजपा का अपने ऊपर किए गए विश्वास को कायम रखने में कोई कसर नहीं छोड़ी। 22 में से 17 प्रत्याशियों को जिताकर लोकसभा पहुंचा दिया। जातीय संतुलन साधने की कवायद में भाजपा नेतृत्व ने अगड़ी जातियों में से सबसे ज्यादा ब्राह्मण 17 और उसके बाद क्षत्रिय 13 प्रत्याशी मैदान में उतारे। ब्राह्मण प्रत्याशियों में 14 और क्षत्रिय प्रत्याशियों ने नौ सीटें जीतीं। पिछले 2०14 के चुनाव की तरह भाजपा इस बार भी जाट समुदाय को अपने साथ लेने में कामयाब रही। पार्टी ने मुजफ्फरनगर से संजीव बालियान, बागपत से डा.सत्यपाल सिह, मथुरा हेमामालिनी और फतेहपुर-सीकरी से राजकुमार चाहर के रूप में चार जाट प्रत्याशियों को टिकट दिया और वह सभी जीत गए। हालांकि, 2 गुर्जर समुदाय के अमरोहा से कंवर सिह तंवर और कैराना से प्रदीप चौधरी को भी उतारा, लेकिन इनमें से कैराना से प्रदीप चौधरी जीते। वैश्य समुदाय से मेरठ से राजेन्द्र अग्रवाल और प्रतापगढ़ से संगम लाल गुप्ता प्रत्याशी थे। दोनों ही जीत कर लोकसभा पहुंच गए। भूमिहार वर्ग के इकलौते प्रत्याशी मनोज सिन्हा चुनाव हार गए। पारसी प्रत्याशी स्मृति ईरानी जीत गईं।
8० में से 17 दलित सीटों में से एक राबर्टसगंज सहयोगी दल अपना दल को दी गई। बाकी 16 सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी उतारे। इनमें दो सीटें भाजपा हार गई। नगीना से यशवंत सिह और लालगंज से नीलम सोनकर हार गईं।