बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग में बड़ा घोटाला


लखनऊ । वित्त विभाग द्बारा कराए गए विशेष आडिट में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में मनमानी पदोन्नति, संविलियन और पदों को उच्चीकृत किए जाने का मामला सामने आया है। बगैर नियमावली के ही पदों का सृजन किया गया। साथ ही एसीपी / वेतन भुगतान के लिए काल्पनिक पदोन्नति देकर राजस्व को भारी क्षति पहुंचाई गई है। इसमें एक कनिष्ठ लिपिक की एक ही दिन में दो-दो पदोन्नति तक कर दी गई। 2००3 में भर्ती इस लिपिक को एक सितंबर 2०12 को वरिष्ठ लिपिक बनाया गया और पुन: इसी दिन पदोन्नति देकर प्रधान सहायक बना दिया गया।
नियम यह है कि एक पद से दूसरे पद पर पदोन्नति के लिए कम से कम पांच साल सेवा का अनुभव होना चाहिए। आडिट में एक चौकाने वाली जानकारी यह भी मिली कि तमाम कर्मचारियों को 15 अक्टूबर 2०15 के शासनादेश से दिए जाने वाले लाभ को एक सितंबर 2०12 से ही दे दिया गया। कार्मिकों को प्रशासनिक अधिकारी के पदों पर अनिवार्य सेवा अनुभव के बिना ही पदोन्नति दिए जाने का खुलासा भी हुआ है।
निदेशक आंतरिक लेखा एवं लेखा परीक्षा द्बारा इस घपले से संबंधित पत्र और विशेष आडिट रिपोर्ट प्रमुख सचिव महिला एवं बाल विकास विभाग को दी गई है। प्रमुख सचिव ने विभागीय निदेशक को आडिट आपत्तियों को ध्यान में रखते हुए आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश जारी किया है। 2० दिसंबर 2०18 से 11 जनवरी 2०19 के बीच 32 दिन तक चले विशेष ऑडिट का काम पांच विषय विशेषज्ञों ने किया। रिपोर्ट के मुताबिक निदेशालय बाल विकास पुष्टाहार में तैनात कर्मचारियों की सेवा पुस्तिका और इनकी सेवा नियमावली के नियमों को दरकिनार कर 31 कर्मचारियों की पदोन्नति में भारी अनियमितता की गई है। विभाग में यह खेल सालों से चल रहा है।
लिपिक संवर्ग एवं सांख्यिकी संवर्ग के पदों की संख्या स्पष्ट नहीं होने के फलस्वरूप स्वीकृत पदों से अधिक पदों पर पदोन्नतियां, संविलियन तथा पदों का उच्चीकरण किया जाना।
बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की लिपिक संवर्ग की नियमावली ०3 जुलाई 1992 के प्राविधानों को अतिक्रमित करते हुए लिपिक संवर्ग में अनियमित पदोन्नतियां किया जाना।
सांख्यिकी संवर्ग में 64 पदों को अधिक दिखाए जाने तथा उत्तरांचल में समायोजित पदों को कुल पदों से नहीं घटाया जाना। फलस्वरूप अनियमित रूप से पदों का उच्चीकृत किया जाना।
वाहन चालकों के स्वीकृत 466 पदों के सापेक्ष 784 वाहन चालकों के पदों को दर्शाया जाना।
मुख्यालय स्तर पर वाहन चालकों के कुल पांच पद स्वीकृत हैं। इन पदों के सापेक्ष 28 वाहन चालकों को तैनात किया जाना। जिसकी वजह से 23 वाहन चालकों के बिना कार्य के वेतन आदि का भूगतान किया जाना।
वित्तीय वर्ष 2०15-16 में 3०7.36 करोड़ बजट उपलब्ध होने के बावजूद लंबित व्यय का भुगतान ना कर इस धनराशि का समर्पण किया जाना। इसके बाद 326.38 करोड़ रुपये की देयता का सृजन किया जाना।