गत दिनों नेट पर एक गेम आया, जिसको स्कूल के बच्चे और युवा उसको काफी ख्ोलने लगे, उस गेम का नाम था पबजी। यह गेम लोगों के मस्तिष्क पर एक प्रकार के नशे की तरह हावी हो जाता है। इसकी लत छुड़ाना आसान नहीं है। स्कूली बच्चे अब पार्कों, रेस्तराओं व अन्य कई स्थानों पर यह खेल खेलते दिखाई देने लगे हैं। पबजी खेलने वाले बच्चों की पढ़ाई में पर्सेंटेज कम आने लगी तो माता-पिता की चिता बढ़ी। जब भी बच्चों को इससे खेलने से रोका जाता है तो वे हिसक हो जाते हैं। जबसे नेट पर बच्चों के कोर्स के सवाल आने लगे हैं तबसे बच्चे अपना होमवर्क पूरा करने के लिए माता पिता से मोबाईल मांग लेते है, होमवर्क करने के बजाय बच्चे पबजी गेम ख्ोलने में मस्त हो जाते है। माता पिता इस बात से अनजान रहते है। लेकिन अब गेम बहुत ही खतरनाक हो चुका है। कोर्ट ने इस गेम पर रोक तो लगा दी है लेकिन पबजी की तरह और बहुत से गेम नेट पर उपलब्ध हो रहे हैं, जिसका विज्ञापन लगातार मोबइलों पर आता रहता है। इस गेम को ख्ोलने से बच्चे हिंसक बनते जा रहे है। माता पिता का कहना भी नहीं मान रहे और स्कूल में लगातार उनका प्रतिशत कम होता जा रहा है। पबजी गेम के समान और गेम इन्टरनेट उपलब्ध हो रहे है, सरकार हो बच्चों के भविष्य को देखते हुए तत्काल रोक लगाने की पहल करनी चाहिए। विशेषज्ञों ने भी पबजी को ब्लू व्हेल ज्यादा घातक बताया है।
कई कम्पनियों में कुछ युवाओं ने तो इस गेम के चक्कर में अपनी नौकरी तक छोड़ दी। दरअसल, मामला यह था कि एक बड़ी कंपनी ने हरेक कर्मचारी को लंच के अलावा भी एक ब्रेक देने की व्यवस्था दे रखी थी। इसके तहत हरेक कर्मचारी की टाइमिग तय थी। पता चला कि वो सभी युवा एक साथ जाते थे। लंच के अलावा वाले ब्रेक में एक साथ निकल कर पबजी खेलने लगे। जब मैनेजर ने आपत्ति जताई तो उन लोगों ने अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी।
पिछले हफ्ते गुजरात सरकार ने इस पर पूर्ण रुप से प्रतिबंध लगा दिया। गुजरात के शिक्षा विभाग ने अध्यापकों को निर्देश जारी किया कि बच्चों को पबजी या अन्य गेमों से होने वाले नुकसान से अवगत कराते हुए उनके दुष्परिणाम बताएं। देखा गया कि पबजी के विज्ञापन भी लगातार अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम हो रहे हैं। नेट पर कुछ भी खोजने से पहले इसके विज्ञापन आते हैं। तमाम जगह यह गेम बैन भी हो चुका है। बावजूद इसके, इससे हो रही घटनाएं कम होने की बजाय लगातार बढ़ रही हैं। युवाओं व अन्य आयु वर्ग को स्वयं समझने व संभलने की जरूरत है। वरना जिदगी में अंधकार के सिवाय कुछ नहीं बचेगा। इस गेम में कई लोग एक साथ खेल सकते हैं। इसमें लूटपाट भी एक प्रक्रिया है। युवाओं व उम्रदराज लोगों का तो यह समय बेकार कर रहा है लेकिन बच्चों को अपराधी बना रहा है। इससे स्कूली बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर कुप्रभाव पड़ रहा है। जब से स्कूल का कोर्स या होमवर्क संबंधित साइटों पर आया है तब से बच्चे माता-पिता से मोबाइल इस बहाने से ले जाते हैं। पबजी गेम ने बच्चों की सारी दिमागी शक्ति छीन ली है, ऐसी घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं।
अपराधी बना रहा है बच्चों को पबजी गेम