मूत्र स्वत: निकल जाता है, इलाज कराए: डॉ. शंखवार

लखनऊ, । केजीएमयू के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व यूरोलोजी विभाग के विभागाध्यक्ष ने बताया कि 15 से 3० प्रतिशत महिलाएं विभिन्न आयु वर्ग में कभी न कभी असंयमित मूत्र रोग या अत्यधिक मूत्र विसर्जन या मूत्र पर नियंत्रण न हो पाना जनसाधारण में होने वाली एक असाध्य बीमारी है। जिसमें पीड़ित का मूत्र स्वत: ही निकल जाता है। ऐसी समस्या होने पर शर्माए नहीं, बल्कि तत्काल इलाज कराएं। इसका असर सीधे किडनी व लीवर पर पड़ता है, जो जानलेवा साबित हो सकता है।
मूत्र थैली एक मांसपेशियों का बना हुआ थैली नुमा अंग होता है, जिसकी मांसपेशियां संकुचित एवं विश्राम अवस्था में होती हैं। जिससे मूत्र संग्रहण एवं विर्सजन का कार्य होता है। इस बीच में मूत्र थैली की मांसपेशियां विश्राम करती हैं, किन्तु यदि किसी कारणवश इस क्रियाविधि में कोई व्यवधान हो जाता है तो परिणाम स्वरूप मूत्र नियंत्रण प्रभावित हो जाता है एवं स्वत: मूत्र स्रावित होने लगता है।
डॉ. शंखवार ने बताया कि यह बीमारी सभी आयु वर्ग की स्त्री, पुरुषों एवं बच्चों को होती है। किशोरावस्था में जन्म से ही या मूत्र संक्रमण के कारण अथवा मांसपेशियों को अल्प विकसित होने से यह रोग हो सकता है। युवाओं में मूत्र मार्ग के संकुचन के कारण यह रोग हो सकता है। नवविवाहितों में भी प्राय: यह बीमारी देखी जाती है। इसके अलावा अविवाहित युवतियों में अचानक उठने बैठने करवट लेते समय भी स्वमूत्र स्राव हो जाता है। कभी-कभी किसी सर्जरी की जटिलता के कारण भी यह समस्या हो जाती है जो कि पुन: ठीक भी हो सकती है।
डॉ. शंखवार के मुताबिक वृद्ध पुरुषों में इस बीमारी के कई कारण होते हैं जैसे प्रोस्टेट ग्रन्थि के बढ़ने, मूत्र मार्ग संकुचन और मूत्र थैली की मांसपेशियों की कमजोरी के कारण होता है।