नई शिक्षा नीति से आएगा सकारात्मक बदलाव

इंजीनियरिंग संस्थानों में थोपी गई अंग्रेजी 

नई शिक्षा नीति पर चर्चाः उच्च शिक्षा में हो भारतीय भाषाओं का विकल्प - अतुल कोठारी

 लखनऊ । लखनऊ विश्वविद्यालय में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास व भारतीय भाषा मंच के तत्वावधान में नई शिक्षा नीति-2019 पर शुक्रवार को एक दिवसीय चर्चा आयोजित हुई। इसमें सर्वसम्मति से वक्ताओं ने उच्च शिक्षा में भारतीय भाषाओं के विकल्प की मांग की। इस मौके पर सेमेस्टर परीक्षा प्रणाली में आ रही खामिायों पर भी विचार विमर्श हुआ। विवि के मालवीय सभागार में आयोजित विमर्श कार्यशाला के छह सत्रों में शैक्षिक संरचना, लिबरल शिक्षा, समतामूलक व समावेशी शिक्षा, प्राथमिक शिक्षा, वोकेशनल पाठ्यक्रम समेत कुल 43 बिन्दुओं पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी। नई शिक्षा नीति में सुझाव देते हुए मुख्य अतिथि संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय संयोजक अतुल कोठारी ने कहा कि उच्च शिक्षा मेें भारतीय भाषाओं को विकल्प मिलना चाहिए। आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं, जिसमें गैर भारतीय भाषा अंग्रेजी भी शामिल है। लेकिन भारतीय शिक्षा में हिन्दी व अंग्रेजी के अलावा अन्य भाषाओं का विकल्प नहीं है। इंजीनियरिंग संस्थानों में तो अंग्रेजी को ही थोपा गया है, एक भी भारतीय भाषा को लागू नहीं किया गया है। इससे बड़ी विडम्बना हमारे देश की क्या होगी।

प्राथमिक स्तर से ही हो शोधपरक अध्यापन

शोध पर विचार व्यक्त करते हुए कोठारी ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा के स्तर से ही शोधपरक अध्यापन होना चाहिए। बच्चों में शोध का स्वभाव प्राथमिक स्तर से ही भरना होगा। उन्होंने कहा कि बच्चों के मन को समझकर ही उन्हें शिक्षा उपलब्ध करानी होगी। चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि यह देश का दुर्भाग्य है कि प्राथमिक शिक्षा को लेकर अभी तक कोई आयोग गठित नहीं हो सका। भ्रष्ट शिक्षा व्यवस्था का इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा। 

नौवीं से ही लागू होगी सेमेस्टर प्रणाली 

मोदी सरकार की नई शिक्षा नीति पर विस्तार से अपनी बात रखते हुए अतुल कोठारी ने बताया कि इसमें विषय चुनने की स्वतंत्रता है। पहले अर्थशास्त्र के साथ विज्ञान लेना संभव नहीं था, लेकिन अब संभव हो जाएगा। विद्यार्थी किसी भी विषय के साथ किसी भी अन्य विषय को पढ़ सकता है। वहीं कक्षा नौ से ही सेमेस्टर प्रणाली लागू हो जाएगी। उन्होंने इस मौके पर सेमेस्टर प्रणाली आधारित शिक्षा को सही ठहराया। संस्थानों में अच्छी तैयारी पर जोर देने को कहा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक विवि व महाविद्यालय को अपने स्तर पर क्रियान्वयन समिति बनाना चाहिए।  

स्नातक के बाद सीधे होगा पीएचडी में पंजीकरण

कोठारी ने कहा कि नई शिक्षा नीति में एफिलिएशन सिस्टम खत्म करने की बात सामने आई है। इनके स्थान पर शोध संस्थान स्थापित होंगे। वहीं, एमफिल की पढ़ाई भी खत्म हो जाएगी। स्नातक की पढ़ाई चार वर्ष तक हो जाएगी। पूरा चार वर्ष तक अध्ययन करने वाला विद्यार्थी परास्नातक के समकक्ष हो जाएगा। इसके बाद ही सीधे पीएचडी में पंजीकरण करा सकता है। वहीं, बीच में ही स्नातक की पढ़ाई छूट जाने पर प्रतिवर्ष के आधार पर प्रमाण पत्र दिए जाने का प्रावधान होगा, ताकि विद्यार्थी का नुकसान न हो। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने लोगों से सुझाव भी मांगा है ताकि कुछ अच्छी चीजें जुड़ जाएं और खराब चीजों को पहचाना जा सके। इसकी अंतिम तारीख 31 जुलाई है।

विशिष्ट अतिथि अनिल शुक्ल ने कहा कि मुगलों के आक्रमण को हम लोगों ने झेल लिया, लेकिन अंग्रेजों ने हमारी जड़ों का समूल नाश कर दिया। हम आज भी मैकाले की तरफ आस भरी निगाह से निहार रहे हैं। भारत का भला मैकाले से नहीं, यहां की संस्कृति व परंपरा के आधार मिलने वाली शिक्षा से होगा। नई शिक्षा नीति से सकारात्मक बदलाव आएगा। 

केवल पाठ्यक्रम कवर न हो, पाठ्यक्रम पर हो 'डिस्कवर' 

शुक्ल ने कहा कि विवि केवल डिग्रियां बांटने की दुकान न बनकर रह जाएं। इससे भारत का भविष्य उज्जवल नहीं है। विश्वविद्यालयों में पाठ्यक्रम कवर नहीं होना चाहिए, पाठ्यक्रम पर 'डिस्कवर' (खोज या शोध) होना चाहिए। 21वीं सदी को बदलना है तो 19वीं सदी की मानसिकता को त्यागना होगा। इस मौके पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विवि के कुलपति प्रो. एसपी सिंह ने कहा कि शिक्षा का काम निर्माण करना है। वातावरण का निर्माण स्वतः नहीं होता। इसके लिए हम सभी लोगों को जागरूक होना होगा। केवल नीतियां बनाने से नहीं होगा।