मुख्यमंत्री ने मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय







लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  की अध्यक्षता में आज यहां लोक भवन में सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में निम्नलिखित महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए:-



उप्र में डिफेंस काॅरिडोर विकसित किए जाने हेतु जनपद अलीगढ़ की तहसील खैर के ग्राम अण्डला 

में अवस्थित कृषि विभाग की 45.489 हे0 भूमि औद्योगिक विकास विभाग को निःशुल्क अन्तरित करने के निर्णय 



मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश में डिफेंस काॅरिडोर विकसित किए जाने हेतु जनपद अलीगढ़ की तहसील खैर के ग्राम अण्डला में अवस्थित कृषि विभाग की 45.489 हे0 भूमि औद्योगिक विकास विभाग को निःशुल्क अन्तरित करने के निर्णय लिया है। इस निर्णय से राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार पर कोई व्ययभार नहीं पड़ेगा। इससे रक्षा सामग्री के उत्पादन एवं अनुसंधान के साथ-साथ जनसामान्य के लिए रोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे।
डिफेंस काॅरिडोर को विकसित किए जाने का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने हेतु राज्य में सहायक इकाइयों को उनसे जोड़ना, रक्षा क्षेत्र में निर्यातोन्मुख विनिर्माण आधार का विकास करना, रक्षा तथा एयरोस्पेस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करते हुए निरन्तर प्रौद्योगिकी उन्नयन सुनिश्चित करना आदि है। 
 

नगर निगम लखनऊ एवं नगर निगम गाजियाबाद हेतु म्यूनिसिपल बाॅण्ड निर्गत करने तथा 

अवस्थापना विकास निधि से क्रेडिट रेटिंग इनहैन्समेण्ट का प्रस्ताव अनुमोदित 



मंत्रिपरिषद ने नगर निगम लखनऊ एवं नगर निगम गाजियाबाद हेतु म्यूनिसिपल बाॅण्ड ;डनदपबपचंस ठवदकद्ध निर्गत करने तथा अवस्थापना विकास निधि ;प्दतिंेजतनबजनतम क्मअमसवचउमदज थ्नदकद्ध से ब्तमकपज त्ंजपदह म्दींदबमउमदज आदि के सम्बन्ध में प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया  है। ज्ञातव्य है कि शासन द्वारा अमृत शहर के रूप में चयनित नगरों, नगर निगमों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास तथा निकायों का मार्केट ओरिएण्टेशन बढ़ाने के लिए म्युनिसिपल बाॅण्ड निर्गत करने की कार्यवाही की जा रही है। उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा-154 के अन्तर्गत निकाय, म्युनिसिपल बाॅण्ड निर्गत करने के लिए राज्य सरकार की पूर्वानुमति से सक्षम है। नगर निगम लखनऊ एवं नगर निगम गाजियाबाद हेतु क्रमशः 200 करोड़ रुपए एवं 150 करोड़ रुपए के म्युनिसिपल बाॅण्ड निर्गत करने में आवश्यकतानुसार अवस्थापना विकास निधि से क्रेडिट रेटिंग इनहैन्समेण्ट हेतु धनराशि उपलब्ध करायी जानी है। अवस्थापना विकास निधि में नगरीय स्थानीय निकायों के अन्तर्गत अवस्थित अचल सम्पत्तियों के अंतरण विलेखों पर संग्रहीत 02 प्रतिशत अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क की धनराशि में से 0.5 प्रतिशत की धनराशि नगरीय स्थानीय निकायों को उपलब्ध करायी जाती है। यह धनराशि प्रतिवर्ष लगभग 600 करोड़ रुपए बनती है। यह धनराशि मार्केट में प्राॅपर्टी ट्रांजेक्शन बढ़ने से प्रत्येक वर्ष बढ़ने की सम्भावना है। म्युनिसिपल बाॅण्ड निर्गत करने की प्रक्रिया में नगर निगमों में वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ सर्विस डिलीवरी में भी प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा मिलेगा। इस योजनान्तर्गत म्युनिसिपल बाॅण्ड के जरिए धनराशि मार्केट से रेज़ करने पर प्रत्येक 100 करोड़ रुपए के सापेक्ष 13 करोड़ रुपए का अनुदान भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा।  


उप्र नगर निगम (सम्पत्ति कर) (तृतीय संशोधन) नियमावली, 2019 प्रख्यापित 



 

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगर निगम (सम्पत्ति कर) (तृतीय संशोधन) नियमावली, 2019 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि उ0प्र0 नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा-172 में नगर निगम सीमा में स्थित भवन और भूमि पर सम्पत्ति कर लगाए जाने का प्राविधान है। सम्पत्ति कर के अंतर्गत सामान्य कर (भवन कर), जल कर और जल-निस्सारण कर (सीवर कर) आते हैं। यह कर भवन या भूमि के वार्षिक मूल्य के आधार पर लगाए जाते हैं। कर-निर्धारण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ बनाने के उद्देश्य से उ0प्र0 नगर निगम अधिनियम, 1959 में संशोधन कर नगर निगमों में आवासीय भवनों के सम्पत्ति कर के लिए स्व-निर्धारण का विकल्प लागू किया गया और उ0प्र0 नगर निगम (सम्पत्ति-कर) नियमावली, 2000 बनायी गयी। वर्ष 2009 में उ0प्र0 नगर निगम अधिनियम, 1959 में संशोधन कर अनावासीय भवनों के कर निर्धारण के लिए भी स्व-कर निर्धारण का प्राविधान कर उ0प्र0 नगर निगम (सम्पत्ति कर) (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2013 अधिसूचना दिनांक 27 दिसम्बर, 2013 द्वारा प्रख्यापित की गयी। उप्र नगर निगम (सम्पत्ति कर) (द्वितीय संशोधन) नियमावली, 2013 में सम्पत्तियों के श्रेणी विभाजन में विसंगति और असमानता को दूर कर इसे तर्कसंगत, सरल और जनहित के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश नगर निगम (सम्पत्ति कर) (तृतीय संशोधन) नियमावली, 2019 प्रख्यापित कर अधिकतम 120 वर्गफीट क्षेत्रफल की दुकानों यथा चाय, दूध, बे्रड, अण्डों, पान, धोबी/लाॅण्ड्री, फलों और सब्जियों, फोटोस्टेट, नाई/हेयर डेªसर और दर्जी की दुकान पर आवासीय भवनों हेतु नियत दर का डेढ़ गुना कर निर्धारण किया जाना प्रस्तावित है।  


उप्र का राज्य संप्रतीक (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) विधेयक 2019 को आगामी विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित किये जाने का निर्णय



मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश का राज्य संप्रतीक (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) विधेयक 2019 को आगामी विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित किये जाने का निर्णय लिया है। ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार का प्रतीक चिन्ह (लोगो) राज्य सरकार की गरिमा एवं अधिकारिता का द्योतक होता है। राज्य स्तर पर प्रचलित किसी विधि व्यवस्था के अभाव में राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह का अनाधिकृत प्रयोग फिलहाल दण्डनीय अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। भारत के 'राज्य संप्रतीक' ;ैजंजम म्उइसमउद्ध के उपयोग को विनियमित करने हेतु भारत सरकार द्वारा 'भारत का राज्य संप्रतीक (प्रयोग का विनियम) अधिनियम, 2005' बनाया गया है, जिसके अनाधिकृत प्रयोग को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है। भारत सरकार द्वारा बनाए गए अधिनियम के अनुरूप ही राज्य सरकार के संप्रतीक चिन्ह के प्रयोग को विनियमित करने तथा उसके अनाधिकृत प्रयोग को दण्डनीय अपराध घोषित करने के उद्देश्य से विधि बनायी जानी है। इस हेतु 'उत्तर प्रदेश का राज्य संप्रतीक (अनुचित प्रयोग प्रतिषेध) विधेयक, 2019' के विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुरःस्थापन, विचारण एवं पारण सम्बन्धी प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है।  


उप्र पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग (राजपत्रित अधिकारी)

सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2019 के प्रख्यापन का निर्णय



मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग (राजपत्रित अधिकारी) सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2019 के प्रख्यापन का निर्णय लिया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में उप निदेशक के पद से संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्नति किए जाने का प्राविधान उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग (राजपत्रित अधिकारी) सेवा नियमावली, 1998 में न होने के कारण संयुक्त निदेशक के रिक्त पद को भरा जाना सम्भव नहीं हो पा रहा है।  उप निदेशक के पद से संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्नति करने हेतु चयन प्रक्रिया का प्राविधान करने के निमित्त उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग (राजपत्रित अधिकारी) सेवा नियमावली, 1998 में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया है।  


उ0प्र0 उप निरीक्षक और निरीक्षक (नागरिक पुलिस) 

सेवा (छठवां संशोधन) नियमावली, 2019 का प्रख्यापन



मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश उपनिरीक्षक और निरीक्षक (नागरिक पुलिस) सेवा (छठवां संशोधन) नियमावली, 2019 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस सीधी भर्ती के पदों पर वर्तमान में लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है। विद्यमान नियमों में चार अलग-अलग विषयों हेतु (प्रत्येक विषय के 100 अंक) में से, प्रत्येक विषय में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। उक्त विद्यमान नियम के स्थान पर चार अलग-अलग विषयों के लिए निर्धारित 400 अंकों में प्रत्येक विषय में 35 प्रतिशत अंक तथा चारों विषयों में कुल 50 प्रतिशत अंक का प्राविधान होने से लिखित परीक्षा में पर्याप्त संख्या में अभ्यर्थी उपलब्ध हो सकेंगे। उक्त के दृष्टिगत सीधी भर्ती के नियम-15 (ख) 'लिखित परीक्षा' में संशोधन तथा परिशिष्ट 5 को नियमावली से निकाले जाने का निर्णय लिया गया है। लिखित परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों की शारीरिक दक्षता परीक्षण अथवा उपलब्ध रिक्तियों के सापेक्ष अन्तिम चयन सूची तैयार करने में उ0प्र0 पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड को उत्पन्न होने वाली कठिनाई का निस्तारण हो सकेगा। 

 

आबकारी नीति वर्ष 2019-20 में संशोधन एवं मदिरा का अपमिश्रण करने तथा ओवर रेटिंग करने पर कठोर कार्रवाई का प्राविधान किए जाने के सम्बन्ध में



मंत्रिपरिषद ने आबकारी नीति वर्ष 2019-20 के कतिपय प्राविधानों के क्रियान्वयन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के दृष्टिगत संगत प्रस्तरों में संशोधन एवं मदिरा का अपमिश्रण करने तथा ओवर रेटिंग करने पर कठोर कार्रवाई का प्राविधान किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि आबकारी नीति वर्ष 2019-20 में प्राविधान है कि प्रत्येक आसवनी यह सुनिश्चित करेगी कि मदिरा की आपूर्ति इन्डेन्ट प्राप्ति से 03 दिन के भीतर हो जाए। विलम्ब की दशा में इन्डेन्ट में वांछित निकासी में सन्निहित राजस्व के 0.5 प्रतिशत की दर से आसवनी पर प्रतिदिन जुर्माना आरोपित होगा। 
कतिपय आसवनियों द्वारा अपनी अधिकतम उत्पादन क्षमता के अनुरूप उत्पादन एवं निकासी करने के उपरान्त भी आसवनियों में प्रस्तुत होने वाले इन्डेन्टों में सन्निहित मांग उनकी उत्पादन क्षमता से बहुत अधिक होने के कारण उनके द्वारा 03 दिन के भीतर इन्डेन्ट के सापेक्ष आपूर्ति सम्भव नहीं हो पा रही है। अतः उक्त प्राविधान ऐसी आसवनियों पर लागू नहीं किए जाएंगे, जिनके द्वारा अपनी अधिकतम मासिक उत्पादन क्षमता के अनुरूप उत्पादन करते हुए निकासी की गयी हो। उक्त प्राविधान यवासवनियों पर भी लागू किया जाएगा। प्रत्येक आसवनी/यवासवनी पर इन्डेन्ट आॅनलाइन प्राप्त किए जाएंगे तथा प्राप्त इन्डेन्टों का निस्तारण प्रथम आगत प्रथम पावन ;पितेज बवउम पितेज ेमतअमकद्ध आधार पर किया जाएगा। आबकारी नीति वर्ष 2019-20 के अन्तर्गत आयात की जाने वाली ड्राॅट बीयर के कैग्स की 20 लीटर, 30 लीटर एवं 50 लीटर की धारिताओं का निर्धारण किया गया है। व्यापारिक सुगमता के दृष्टिगत समस्त थोक एवं फुटकर अनुज्ञापनों की प्रतिभूति जमा किए जाने की राष्ट्रीय बचत पत्र की व्यवस्था के अतिरिक्त सावधि जमा रसीद के रूप में और ई-पेमेंट द्वारा भी प्रतिभूति जमा किए जाने की व्यवस्था की गयी है। अपमिश्रित मदिरा के सेवन से विषाक्त काण्ड जैसी दुखद घटनाओं पर प्रभावी नियन्त्रण हेतु मदिरा के फुटकर व थोक अनुज्ञापनों पर अपमिश्रण जैसी अनियमितताएं पाए जाने पर अनुज्ञापन के निरस्तीकरण के साथ-साथ अन्य सुसंगत धाराओं के अन्तर्गत भी कार्यवाही की जाएगी।  इसी प्रकार फुटकर अनुज्ञापनों पर निर्धारित एम0आर0पी0 से अधिक दर पर मदिरा का विक्रय प्रथम बार पाए जाने पर 75,000 रुपए, दूसरी बार पाए जाने पर 1,50,000 रुपए तथा इसकी पुनरावृत्ति पर निरस्तीकरण की कार्यवाही की जाएगी। विदेशी मदिरा के थोक अनुज्ञापन पर समुद्रपार से आयातित विदेशी मदिरा की ऐसी बोतलों जिनका अधिकतम खुदरा मूल्य 4000 रुपए अथवा उससे अधिक हो, के मोनोकार्टन को ही एक सील्ड पेटी अवधारित करते हुए बोतल एवं सील्ड पेटियों हेतु निर्धारित सुरक्षा कोड चस्पा किए जाने के उपरान्त बिक्री की जा सकेगी। 
 

'उप्र वेयरहाउसिंग तथा लाॅजिस्टिक्स नीति 2018' में संशोधन के सम्बन्ध में



मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश वेयरहाउसिंग तथा लाॅजिस्टिक्स नीति 2018' में संशोधन का निर्णय लिया है। उ0प्र0 वेयरहाउसिंग तथा लाॅजिस्टिक्स नीति-2018 के प्रस्तर-5.7 एवं 6.7 जो कि विकास शुल्क से सम्बन्धित प्रस्तर है, में उल्लिखित विकास शुल्क में सांकेतिक (टोकन) की दर 25 प्रतिशत अर्थात विकास शुल्क में 75 प्रतिशत की छूट रखा जाना प्रस्तावित है। 

 

उप्र लोक सेवा अधिकरण में रिक्त हुए मा0 अध्यक्ष, उपाध्यक्ष (न्या0/प्रशा0) 

एवं सदस्यगण (न्याय0/प्रशा0) के कुल 13 पदों के चयन के सम्बन्ध में



 

विधायी अनुभाग-1 की अधिसूचना दिनांक 14 अगस्त, 2017 द्वारा निर्गत उ0प्र0 लोक सेवा अधिकरण (संशोधन) अधिनियम-2017 के माध्यम से उ0प्र0 लोक सेवा अधिकरण-1976 की धारा-3 में निम्नानुसार संशोधन किया गया:-
उ0प्र0 लोक सेवा (अधिकरण) अधिनियम, 1976 की धारा-3 में संशोधन उपधारा (8) में विद्यमान परन्तुक रख दिया जाएगा अर्थात 'परन्तु कोई अध्यक्ष/उपाध्यक्ष या सदस्य इस रूप में निम्नलिखित आयु प्राप्त करने के पश्चात पद धारण नहीं करेगा:-
(क) अध्यक्ष के मामले में 65 वर्ष की आयु और
(ख) उपाध्यक्ष या किसी सदस्य के मामले में 62 वर्ष की आयु।
(ग) 'उत्तर प्रदेश लोक सेवा (अधिकरण) (संशोधन) अधिनियम, 2017 द्वारा यथा संशोधित उपधारा (8) के उपबंध, उक्त अधिनियम के प्रारम्भ होने पर पदधारण करने वाले अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या किसी सदस्य पर लागू होंगे।
(2) उक्त उ0प्र0 लोक सेवा अधिकरण (संशोधन) अधिनियम-2017 को निरस्त किए जाने के सम्बन्ध में मा0 उच्च न्यायालय लखनऊ खण्डपीठ के समक्ष कतिपय रिट याचिकाएं योजित की गयीं, किन्तु मा0 न्यायालय द्वारा विभिन्न तिथियों में हुई सुनवाई के दौरान न तो विधायी अनुभाग-1 की अधिसूचना संख्या- 1546/79-वि-1-17-1(क) 4-2017, दिनांक 14 अगस्त, 2017 द्वारा प्रवृत्त उ0प्र0 लोक सेवा अधिकरण अधिनियम (संशोधन), 2017 को न तो स्थगित किया गया और न निरस्त।
(3) अतः शासन द्वारा इस सम्बन्ध में सम्यक विचारोपरान्त न्याय अनुभाग-8 (लेखा) के कार्यालय-ज्ञाप दिनांक 12 जुलाई, 2019 द्वारा राज्य लोक सेवा अधिकरण में संशोधन अधिनियम-2017 लागू होने के पश्चात कार्यरत रहे लोक सेवा अधिकरण के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यगण के रूप पदस्थ 09 अधिकारियों को उनके धारित पद से हटाए जाने के औपचारिक आदेश निर्गत किए जा चुके हैं। 
(4) विधायी अनुभाग-1 की अधिसूचना संख्या-1546/79-वि-1-17-1 (क) 4-2017, दिनांक 14 अगस्त, 2017 द्वारा प्रवृत्त उ0प्र0 लोक सेवा अधिकरण अधिनियम (संशोधन), 2017 लागू किए जाने से पूर्व ही राज्य लोक सेवा अधिकरण में 04 पीठासीन अधिकारियों (सदस्यगण) के पद रिक्त हो चुके थे।
(5) इस प्रकार वर्तमान में उ0प्र0 लोक सेवा अधिकरण में अध्यक्ष/उपाध्यक्ष एवं सदस्यगण के समस्त 13 पद रिक्त हैं। इन रिक्त पदों पर नये सिरे से चयन हेतु मा0 मंत्रिपरिषद के विचारार्थ टिप्पणी/प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है।