पर्यावरण संरक्षण के खास मिशन के बीच मान महल, वाराणसी पहुंचे प्रधानमंत्री
प्रधानमंत्री ने ज्ञान-विज्ञान के समावेश से बने देश के अनूठे आभासीय अनुभूति संग्रहालय का अवलोकन भी किया

 

'आभासीय अनुभूति संग्रहालय में सब कुछ आभासी'


लखनऊ। पर्यावरण संरक्षण के खास मिशन पर शनिवार को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी आए प्रधानमंत्री  नरेन्द्र मोदी गंगा किनारे मान महल में सम्पूर्ण बनारस को महसूस करने पहुंचे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री  ने ज्ञान-विज्ञान के समावेश से बने देश के अनूठे आभासीय अनुभूति संग्रहालय का अवलोकन भी किया।
कण-कण में मूर्त और अमूर्त धरोहरों को बसाए शहर बनारस को एक छत के नीचे देखने-समझने व पूरे अंदाज में महसूस करने के लिहाज से प्रधानमंत्री जी के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद, नई दिल्ली ने इसी साल आकार दिया। ग्यारह करोड़ रुपये की लागत से दुनिया के प्राचीन शहर के मन मिजाज, खानपान, धार्मिकता और वैभव को डिजिटली प्रस्तुत किया गया है। इसमें गंगा का गौरव, कला-संस्कृति, धार्मिक विधान, पूजन-अनुष्ठान, पर्व-उत्सव, तीज-त्योहार, साहित्यसेवी-कलाकार, रहन-सहन, खानपान, अंदाज-मिजाज या यह भी कह सकते हैं समूचे बनारस को एक छत के नीचे एकाकार किया गया।
इसमें वर्चुअल रियलिटी टेक्नोलॉजी के उपयोग से प्रोजेक्टर, एलईडी, वीडियो क्लिप समेत श्रव्य-दृश्य माध्यमों के जरिए काशी के पवित्र घाट, शास्त्रीय संगीत, साड़ी बुनाई, रामलीला, स्मारक, पान की दुकान आदि का भी रोचक अंदाज में 3डी प्रदर्शन किया गया है। आभासीय संग्रहालय को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर वाराणसी में लांच किया गया। इसकी सफलता के बाद पर्यटकों की आवक वाले दूसरे शहरों में भी ऐसे संग्रहालय विकसित करने की योजना है। सांस्कृतिक रंगो से सराबोर यह ऐसा संग्रहालय है जहां वास्तविक कुछ भी नहीं है, सब कुछ आभासी है। आप उसे छू नहीं सकते, लेकिन महसूस कर सकते है। यह संग्रहालय काशी की धर्म, कला और संस्कृति का बेहतरीन आभास कराता है। यहां प्रवेश करते ही एक नजर मे पूरी काशी का संक्षिप्त परिचय होता है। यहां आप तेजी से बदलती काशी को बगैर भाग-दौड़ किए एक ही छत के नीचे एक से दो घंटे में देख सकते हैं। 
संग्रहालय मंे एक मंदिर है जहां लगी घंटी को छूते ही घंटे की आवाज और शिवलिंग पर पुष्प वर्षा स्क्रीन पर दिखती है। अगले पल में ही बनारसी पान और काशी की गलियों का आभास भी होता है। इसमें 3डी वीडियो में गंगा के उद्गम, काशी में प्रवाह और मंदिरों का इतिहास जानने को मिलेगा। बारिश की हल्की फुहार, विश्व प्रसिद्ध नागनथैया लीला, भरत मिलाप, बनारसी साड़ी से लेकर काशी की मीनाकारी और काशी की पत्रकारिता के साथ ही काशी का साहित्य और यहां आने वाले ह्वेनसांग से लेकर गुरुदेव रवीन्द्र नाथ टैगोर तक की जानकारी हिंदी और अंग्रेजी मे उपलब्ध है। प्रोजेक्टर के माध्यम से काशी की प्राचीनतम बस्ती, भगवान बुद्ध का प्रथम उपदेश, सारनाथ में अशोक स्तंभ और स्तूप स्थापना, गोस्वामी तुलसी दास, रामनगर किला, भारत कला भवन आदि को दिखाया गया है। एक नजर में काशी को 3डी में बनाया गया है। इसमें घाट, मंदिर, मस्जिद, सारनाथ समेत शहर के प्रमुख स्थानों को दर्शाया गया है। वहीं गंगा अवतरण गैलरी में 15 से 20 पर्यटक बैठकर गंगा के धरती पर अवतरण की पूरी कथा का अहसास कर सकते हैं। 
संग्रहालय में बनारस की गली का सजीव अहसास होगा। ऐसा लगेगा की आप खुद उसमें घूम रहे हैं। आॅडियो के माध्यम से गलियों की चहल-पहल, मंदिर की घंटी, वाहनों की आवाज आदि सुनाई देगी। गली में ही पान की दुकान भी लगी है। इसके अलावा मेड इन बनारस, वाराणसी वस्त्राणसी, नाद नगरी, काशी शिल्प, काशी के बसैया, काशी नामा, गंगाजली, मुक्तिधाम, रस-रस बनारस, हथकरथा, पर्व त्योहार आदि भी आपको बांधे रखेगा। 
इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  , केन्द्रीय मंत्री डॉ0 महेन्द्रनाथ पाण्डेय, सांसद   जे0पी0 नड्डा, सूचना राज्यमंत्री डॉ0 नीलकण्ठ तिवारी सहित अन्य लोग मौजूद थे।