"अपने देश की मिट्टी को भी चन्दन समझते हैं वतन की एकता को राष्ट्र का बंदन समझते हैं"
"कौन कहता है गिद्ध भारत से लुप्त हुए अब पेड़ों के वजाय कुर्सियों पर पाये जाते हैंं"

" कह रहा है वख्त सुनिये ध्यान से, कुछ नहीं होगा किताबी ग्यान से "

 गाँव गिराँव का स्थापना दिवस समारोह

तुझसे वेहद मैं प्यार करती हूँ तेरी मिट्टी को मलकर चेहरे पर यै वतन मै प्यार करती हूँ " पढ़कर देश भक्ति से जोड़ा

 




लखनऊ नौगढ़( चन्दौली) जनपद के प्रथम प्रकाशन गाँव गिराँव समाचार पत्र समूह के 17 वें व हिन्दी दैनिक संस्करण के 13 वें स्थापना दिवस के अवसर पर नौगढ़ स्थित विकास खण्ड परिसर सभागार मे अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन का प्रारम्भ मुख्य अतिथि मनमोहन मिश्र उप प्रभागीय वनाधिकारी रेनूकूट सोनभद्र, विशिष्ट अतिथि कुँज मोहन वर्मा उप प्रभागीय वनाधिकारी म्योरपुर सोनभद्र, नदीम अहमद वन क्षेत्राधिकारी जयमोहनी, रिजवान खान वन क्षेत्राधिकारी नौगढ़ , रामगति राय वन क्षेत्राधिकारी शक्तिनगर, वी के सिंह, ग्यानेश्वर दूबे एसवीआई ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीपप्रज्वलन के साथ किया। अतिथियों को गाँव गिराँव परिवार की ओर से स्मृति चिन्ह अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया।तदुपरान्त काव्यपाठ का प्रारम्भ माँ सरस्वती की बन्दना से हुआ। गंगा जमुनी तहजीब के  ख्यातिलब्ध शायर सलीम शिवालवी ने देश भक्ति से प्रेरित रचना हम अपने देश की मिट्टी को भी चन्दन समझते हैं वतन की एकता को राष्ट्र का बंदन समझते हैं पढ़कर खचाखच भरे सभागार मे जोश का संचार किया।तो वहीं युवा कवि डा0 अशोक राय अग्यान ने हास्य रचना जितनी धारा वही गंगा मे धन उतना बहाया है ये पूरे देश की है माँ ये गुण ऋषियों ने गाया है सुनाकर हास्य-व्यंग्य के बहाने भ्रष्टाचार पर प्रहार किया। श्रृंगार रस की सरिता बहाते हुए श्रीमती पूनम श्रीवास्तव ने " तुझसे वेहद मैं प्यार करती हूँ तेरी मिट्टी को मलकर चेहरे पर यै वतन मै प्यार करती हूँ " पढ़कर देश भक्ति से जोड़ा। हास्य-व्यंग्य के धुरंधर कवि डा0 धर्मप्रकाश मिश्र ने श्रोताओं को खूब गुदगुदाया उनकी रचना "कौन कहता है गिद्ध भारत से लुप्त हुए अब पेड़ों के वजाय कुर्सियों पर पाये जाते हैंं" ने खूब तालियाँ बटोरीं। देश के माने जाने गीतकार मनमोहन मिश्र ने जिन्दगी के सार को समझाते हुए पढ़ा" कह रहा है वक्त सुनिये ध्यान से, कुछ नही होगा किताबी ग्यान से।रास्ता ऐसा निकलना चाहिए सब जिये इस धरा पर सम्मान से।भोजपुरी के भिष्म पितामह देश के नामचीन कवि जगदीश पंथी जी की रचना " लोकतंत्र मंत्र की तरह दुहराने वाले आदमी को भेड़ बकरी समझने लगे भी खूब सराही गयी। युवा कवि दमदार बनारसी ने सियासत दानों को आईना दिखाते हुए कहा कि " कोई भी जुर्म मजहब की तराजू से नहीं तोलो " जो मुजरिम है किसी मजहब के इन्सा हो नही सकते। युवा कवि शिरीष उमंग की रचना हमारे मटिका की एक मिशाल हो तुम पढ़कर खूब वाह-वाही लूटी। कवि मंच की अध्यक्षता कर रहे वयोवृद्ध कवि धूर्त बनारसी ने "लोकवाग लोग मुझे कवि नहीं मानते परन्तु मै कविता पुराण हूँ लंच के समय रामायण और डिनर के वख्त कुरान हूँ " सुनाकर कौमी एकता के मशाल को जलाये रखने की अपील की। मंच का संचालन कर रहे देश के नामचीन कवि शंकर कैमूरी नेअपने हिस्से की रचना सुनाते हुए हुँकार भरी"वो आदमी तलाशो जो करके ये दिखा दे पत्थर को मोम कर दे शीशे को दिल बना दे" लाया हूँ मै साफ करके बन्द बोतलों मे किस जात का लहू है कोई डाक्टर बता दे। अन्य कविगणोंं मे चन्द्र कमल शर्मा विजेन्द्र श्रीवास्तव आदि ने भी अपनी रचनायें सुनायी। आये हुए अतिथियों का सम्मान वैज अलंकरण स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम के साथ किया गया जिसमे समाज सेवा के क्षेत्र मे योगदान करने वाले शशिकान्त संघमित्रा व अचल यादव पूर्व प्रधान को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के आयोजक ओंकारनाथ व संयोजक अशोक जायसवाल ने सभी कविगणोंं को भी स्मृति चिन्ह और अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया। अन्य वरिष्ठ अतिथियों मे समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष सत्यनारायण राजभर, प्रमोद केशरी पूर्व नगर अध्यक्ष सपा अहरौरा ,रामजनम जाबांज सुप्रसिद्ध लोकगीत गायक, गोपाल दास गुप्त समाजसेवी, गुरूप्रसाद यादव आदि रहे।अतिथियों का स्वागत व सम्मान सर्वश्री बिरेन्द्र कुमार विन्द रामप्रसाद यादव, अरविन्द त्रिपाठी, आत्मा प्रसाद त्रिपाठी, सुनील श्रीवास्तव प्रदीप केशरी, आर के तिवारी ,अतुल मिश्रा, हीरा सोनकर, राकेश श्रीवास्तव, संतोष केशरी सुरेन्द्र तिवारी कालीदास त्रिपाठी आशुतोष जायसवाल ,सुनील विश्वकर्मा, अमरनाथ चौहान ,सरोज आदि ने किया। आभार प्रकाश सम्पादक श्रीधर द्विवेदी ने किया।