…जानिए कितने शौकीन हैं बंगलों के उ.प्र. के कार्यवाहक मुख्य सचिव

त्रिनाथ के.शर्मा




चार माह के कार्यकाल में उ.प्र.के कार्यवाहक मुख्य सचिव ने क्या किया?


फाइलों पर सिर्फ लिख रहें हैं केवल वार्ता



अधिकतर काम प्रभावित है, जिन पदों पर तैनाती रही है वहां के कई मामलों में बने रहें है सुर्खियों में



बड़ी मछलियां बच गई, छोटी नप गई हैं।


न तो कृषि उत्पादन आयुक्त के पद के साथ न्याय कर पाए और न ही कार्यवाहक मुख्य सचिव के तौर पर प्रभाव छोड़ पाए


लखनऊ। कार्यवाहक मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने डीओपीटी को वर्ष 2०18 में भेजी गई चल-अचल सम्पत्ति के विवरण के मुताबिक उनके और उनकी पत्नी के पास गोमती नगर में बी 4/49 विपुल खण्ड हाउसिग प्लाट, बी-58, सेक्टर 1०5 में घर, ग्रेटर नोयडा के फ़ेज थर्ड, सेक्टर-पी के ग्रीनवुड सोसाइटी में एक पेंट हाउस है। सूत्रों का कहना है कि अघोषित तौर पर हरदोई और सीतापुर रोड पर फार्म हाउस है। गोमती नगर में राज्य योजना आयोग के समीप सुमित बिल्डिंग में ट्रस्ट के नाम पर एक फ्लोर है। महोबा में पैतृक कृषि जमीन में अब तक लगभग 15० फीसदी बढ़ोत्तरी हुई है।
मुख्य सचिव कार्यालय के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय राजेन्द्र कुमार तिवारी की तैनाती कृषि उत्पादन आयुक्त पर है, लेकिन अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा और कार्यवाहक मुख्य सचिव का भी प्रभार है। जिन पदों पर तैनाती रही है वहां के कई मामले सुर्खियां बनी है। इस समय पंचायतीराज विभाग की परफार्मेंस ग्रांट में अनियमितता का मामला सुर्खियों में है। जिस समय यह अनियमितता का खेल हुआ था, उस समय प्रमुख सचिव का पद राजेन्द्र कुमार तिवारी के पास था। इस प्रकरण में बड़ी मछलियां बच गई, छोटी नप गई हैं।
चार माह के कार्यकाल ने कार्यवाहक मुख्य सचिव के नेतृत्व की पोल खोल कर रख दी है। अनिर्णय की स्थिति और फाइलों पर वार्ता लिखने की आदत से जहां महत्वपूर्ण फाइलों के निस्तारण की रफ्तार शून्य हो गई है वहीं कार्यवाहक मुख्य सचिव की पूर्व मुख्य सचिव की कार्यप्रणाली की तुलना कर नौकरशाह सवाल खड़े करने लगे हैं। एक ओर अपने कार्यवाहक मुखिया की हरकतों से यूपी की नौकरशाही हलकान है तो दूसरी ओर नियमित मुख्य सचिव की तैनाती पर निर्णय न होने से कार्यवाहक से लेकर दावेदार अफसर बेचैन हैं।
सूत्रों का कहना है कि मोहित पाण्डेय नाम का एक ब्रोकर से काफी नजदीकियां हैं। इस ब्रोकर का मुख्य सचिव कार्यालय में काफी आना-जाना है। चर्चा यह भी है कि उच्च शिक्षा विभाग के अधीन 47 महाविद्यालय बन रहे हैं। कार्यदायी संस्थाओं से अवैध तरीके से महसूल वसूला जा रहा है। काम चलाऊ व्यवस्था के तहत सरकार ने कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) राजेन्द्र कुमार तिवारी को कार्यवाहक मुख्य सचिव की जिम्मेदारी दी थी। लगभग चार महीने बीते को हैं, लेकिन अभी तक नियमित मुख्य सचिव की नियुक्ति न हो पाने से नौकरशाही में अधर में है। इन चार माह के अंदर कई दावेदार अफसर अपने-अपने स्तर पर मुख्य सचिव बनने के लिए काफी प्रयास किए। लेकिन सफल नहीं हो पाए। कुछ अभी भी रेस में बरकरार हैं, कुछ बाहर हो गए हैं। 1985 बैच के आईएएस राजेन्द्र कुमार तिवारी, दीपक त्रिवेदी, शालिनी प्रसाद, मोहम्मद इफ्तेखारूद्दीन, गुरदीप सिह हैं। इस बैच में मात्र दो आईएएस अफसर राजेन्द्र कुमार तिवारी और दीपक त्रिवेदी ही रेस में हैं। 1986 बैच में आलोक टण्डन, आलोक सिन्हा, मुकुल सिघल, कुमार कमलेश हैं। इनमें से आलोक टण्डन मुख्य सचिव ही मुख्य सचिव की रेस में बने हुए हैं। वर्ष 1987 बैच में अरूण सिघल, अवनीश कुमार अवस्थी, महेश गुप्ता, लीना नंदन, रेणुका कुमार, देवाशीष पाण्डा, संजीव मित्तल, रमा रमण, हेमंत राव, सुनील कुमार, जीवेश नंदन हैं। इस बैच में मात्र दो ही अफसर अवनीश कुमार अवस्थी और रेणुका कुमार ही मुख्य सचिव पद के दावेदारों में हैं। चार माह बीतने को हैं, लेकिन अभी तक नियमित मुख्य सचिव के पद पर निर्णय न हो पाने से दावेदार अफसर बेचैन हैं। एपीसी से जुड़े कई विभाग के प्रमुख सचिवों का कहना कि बीते चार माह से अधिकतर काम प्रभावित हैं। बहुत ही जरूरी होने पर कोई बैठक या फिर निर्णय हो पाते हैं। चूंकि यह पद किसानों से जुड़ा है। इस वजह से तमाम गतिविधियां ठप पड़ी हुई हैं। अपर मुख्य सचिव स्तर के एक अफसर ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि कई साथी अफसर पूर्व मुख्य सचिव और कार्यवाहक मुख्य सचिव की कार्यप्रणाली की तुलना करना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्य सचिव अपने अधीनस्थ अफसरों से दोस्ताना संबंध रखते थे। न दिन देखते थे और न ही रात। उनकी समस्याओं और दिक्कतों का निस्तारण करने में भी प्राथमिकता देते थे। मीटिग भी खूब होती थी, निर्णय भी। जिसकी वजह से यूपी की छवि तेजी से बदली। लेकिन अब यह माहौल नहीं है। फाइलों का अम्बार लगा हुआ है। कार्यवाहक मुख्य सचिव नियमित होने के लिए खूब पसीना बहा रहे हैं। लेकिन अनिर्णय की आदत ने मेहनत पर पानी फ़ेर दिया है।
उल्लेखनीय है कि 31 अगस्त 2०19 को मुख्य सचिव के पद से डा. अनूप चंद्र पाण्डेय का रिटायरमेंट हुआ था। इसी दिन कृषि उत्पादन आयुक्त (एपीसी) राजेन्द्र कुमार तिवारी को कार्यवाहक मुख्य सचिव का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया था। तब से अब तक कृषि उत्पादन आयुक्त राजेन्द्र कुमार तिवारी का कार्यवाहक मुख्य सचिव के तौर पर चार माह का कार्यकाल पूरा होने वाला है। इन चार माह के दौरान कार्यवाहक मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने सिर्फ और सिर्फ अपनी नियमित तैनाती के लिए भगीरथी प्रयास किए। इस चक्कर में न तो कृषि उत्पादन आयुक्त के पद के साथ न्याय कर पाए और न ही कार्यवाहक मुख्य सचिव के तौर पर प्रभाव छोड़ पाए। सिर्फ बहुत ही जरूरी फाइलों पर ऊपर की इच्छा के बाद हरी झण्डी मिलती है, बाकी पर वार्ता लिखकर पेंडिग में डाल दी जाती है। अब इसको लेकर नौकरशाही प्रश्नचिह खड़े करना शुरू कर दिया है। कई प्रमुख सचिवों का कहना है कि इससे सरकारी कार्य की रफ्तार काफी धीमी पड़ गई है।