जोई बिडेन ने टिप्पणी की है कि ट्रम्प ने बारूद के जखीरे में जलती हुई तिल्ली दिखाई है

सुलेमानी को मौत के घाट उतारने का निर्णय क्यों?


 




बगदादी, लादेन से ज्यादा ख़तरनाक?


खाड़ी से भारत पहुँचने वाली कच्चे तेल और गैस की कुल खपत की 84 फीसदी आपूर्ति प्रभावित हो सकती है


सुलेमानी ईरान का पिछले दो दशक से ईरानी मिलिट्री आपरेशन हो अथवा ख़ुफ़िया तंत्र, उसकी तूती बोलती थी



सुलेमानी को इराक युद्ध के समय सैकड़ों अमेरिकी सैन्यकर्मियों की मौत के लिए दोषी ठहराया जा रहा था



अमेरिकी सैन्य शक्ति पर नज़र दौड़ाएँ तो लगेगा कि ईरान के लिए लंबी लड़ाई लड़ पाना संभव नहीं



जोई बिडेन ने टिप्पणी की है कि ट्रम्प ने बारूद के जखीरे में जलती हुई तिल्ली दिखाई है


 


च्चे तेल पर निर्भर ईरान बेरोजगारी से त्रस्त है और आणविक प्रतिबंधों से उसकी आर्थिक व्यवस्था पहले से बेहाल है। ऐसे में वह इस लड़ाई को कितना आगे खींच पाएगा, कहना मुश्किल है। फिलहाल ईरान में सुलेमानी की मौत पर तीन दिनों का शोक मनाया जा रहा है। लड़ाई कब और कितनी लंबी चलती है, अभी सभी मौन हैं। अमेरिकी विदेश विभाग ने बगदाद में दूतावास तत्काल बंद कर स्टाफ को स्वदेश लौटने का आदेश दिया है।
क्या वास्तव में सुलेमानी इस्लामिक स्टेट ख़लीफ़ा अकबर अल बगदादी और ओसामा बिन लादेन से भी ज़्यादा ख़तरनाक था? सुलेमानी ईरान का पिछले दो दशक से ईरानी मिलिट्री आपरेशन हो अथवा ख़ुफ़िया तंत्र, उसकी तूती बोलती थी। सुलेमानी को लेकर पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और बराक ओबामा प्रशासन चाहकर भी कुछ नहीं कर सके थे। उन्हें लगता था कि सुलेमानी को छेड़ना मध्यपूर्व में युद्ध को न्यौता देना होगा। हालाँकि बुश और ओबामा कार्यकाल में सुलेमानी को इराक युद्ध के समय सैकड़ों अमेरिकी सैन्यकर्मियों की मौत के लिए दोषी ठहराया जा रहा था। पूर्व उपराष्ट्रपति और 2०2० में राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार जोई बिडेन ने टिप्पणी की है कि ट्रम्प ने बारूद के जखीरे में जलती हुई तिल्ली दिखाई है।
संभव है कि अब तेहरान, यमन, लेबनान और अफ़ग़ानिस्तान में सुलेमानी की मौत पर हिसक प्रदर्शन हों। ईरान के सुप्रीम लीडर आयातुल्ला खमेनी ने बदले की कार्रवाई के संकेत दिए हैं। यह लड़ाई लंबी चलती है तो 'स्ट्रेट आफ होर्मुज' खाड़ी से भारत पहुँचने वाली कच्चे तेल और गैस की कुल खपत की 84 फीसदी आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। यह 'स्ट्रेट आफ होर्मुज' मात्र 21 मील चौड़ा समुद्री मार्ग है, जहाँ स्ट्रेट आफ मलचा शिपिग लेन हैं, जिनपर ईरान की पहरेदारी है। भले ही भारत अब ईरान से कच्चा तेल नहीं लेता लेकिन आपूर्ति करने वाले देश इसी मार्ग का उपयोग करते हैं। इस मार्ग से 22.5 मिलियन बैरल कच्चा तेल प्रतिदिन तेल जाता है, जो वैश्विक उत्पादन का 24 प्रतिशत है। हालाँकि सऊदी अरब और युनाइटेड अरब अमीरात ने पाइप लाइन की अतिरिक्त व्यवस्था की है।
मध्य पूर्व में अमेरिकी सैन्य शक्ति पर नज़र दौड़ाएँ तो लगेगा कि ईरान के लिए लंबी लड़ाई लड़ पाना संभव नहीं। बहरीन में फिफ्थ फ़्लीट समुद्री बेड़ा है तो कतर अल उदेद वायुसेना का अड्डा है, जहाँ उसके 13 हज़ार जवान हैं। अमेरिका ने हाल में वहाँ बी-52 बम्बर लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। इसी तरह युनाइटेड अरब अमीरात में दुबई स्थित जेबेल अली पोर्ट में अमेरिका के पाँच हज़ार नौसैनिक हैं तो अबूधाबी के अलदाफ़रा वायुसेना अड्डे पर एफ-35 और सशस्त्र ड्रोन हैं। यूँ ओमान की खाड़ी-फूज़ैरह में भी एक अमेरिकी टुकड़ी मौजूद है। हाल में रियाद में प्रिंस सुल्तान एयरबेस पर अमेरिकी सेनाएँ तैनात हैं। यही नहीं, अफ़ग़ानिस्तान में चौदह हज़ार सैन्य बल के अलावा बहरीन में अमेरिकी नौसेना की फ़िफ़्थ फ़्लिट है, जहाँ उसके सात हजार जवान हैं। इसके अलावा शेख इशा वायुसेना अड्डे पर हमेशा लड़ाकू विमान तैयार रहते हैं, इनके अलावा वहाँ आठ हजार नाटो सेनाएँ हैं।
'युद्ध की शुरूआत नहीं, युद्ध खत्म करने के लिए ईरानी कमांडर कासिम सुलेमानी को खत्म किया गया है।' अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का शुक्रवार का यह बयान कितना भयावह है, इसकी सहज कल्पना की जा सकती। ट्रम्प ने राष्ट्र के नाम संक्षिप्त संबोधन में कहा कि 'आतंक ख़त्म हो गया है और हम सुकून से हैं।' ट्रम्प मानने को तैयार नहीं हैं कि सुलेमानी की जान लेने के बाद मध्य पूर्व में एक लंबी लड़ाई छिड़ सकती है। सुलेमानी का खाड़ी में आतंक था। यमन में हौथी विद्रोही हों अथवा लेबनान में हेजबुल्ला। यह सुलेमानी ही था, जिसके नेतृत्व में ईरान ने इराक और सीरिया के एक हिस्से को इस्लामिक स्टेट मिलिटेंट से छुड़ाकर अपने कब्जे में ले लिया था।
कुवैत में अमेरिकी वायुसेना के तेरह हजार सैन्यबल के साथ 22०० अमेरिकी हैं। पेंटागन ने एहतियात के तौर पर खाड़ी में साढ़े तीन हजार सैन्यकर्मी कुवैत भेजे हैं। विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने दुनिया भर में अपने मित्र देशों को वस्तु स्थिति से अवगत कराने के लिए विचार- विमर्श शुरू कर दिया है। हालाँकि कांग्रेस में डेमोक्रेट बहुल प्रतिनिधि सभा में स्पीकर नैंसी पेलोसी ने शुक्रवार सुबह ट्रम्प की कार्रवाई पर हैरानी जताई है और कहा है कि राष्ट्रपति को इस कार्रवाई से पूर्व 'ला मेकर' को भरोसे में लेना चाहिए था।


यह एक फ़िलहाल रहस्य है। इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मानें तो हत्या से पाँच दिन पूर्व सुलेमानी बगदाद में अपने विश्वस्त लोगों को फोन पर बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास में राजनयिकों को खत्म किए जाने का संदेश दे रहा था। इस संदेश को एक अघोषित इजराइली ख़ुफ़िया एजेंसी ने बीच में इंटेरसेप्ट किया था। इस बात को ट्रम्प ने अपने संबोधन में संकेत भर दिया था कि अमेरिकी इंटेलिजेंस और फौज दुनिया भर में सर्वश्रेष्ठ है। इसके बाद क्या हुआ, सहज अनुमान लगाया जा सकता है। बगदाद स्थित अमेरिकी दूतावास को घेरे जाने, वहाँ सुरक्षा पोस्ट को आग के हवाले किए जाने के बावजूद अमेरिकी खुफिया एजेंसी सुलेमानी का पीछा कर रही थीं। कासिम सुलेमानी का काफिला गुरुवार को बगदाद एयरपोर्ट की ओर बढ़ रहा था। उस काफिले में दो कारों में सवार सुलेमानी के अलावा अबू महदी मुहांडिस भी थे, जो पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्स के डिप्टी कमांडर थे। जानकार बताते हैं कि सुलेमानी के शव की शिनाख्त हाथों में पहनी अँगूठी से की जा सकी।


अमेरिकी मीडिया में कहा जा रहा है कि ईरान साइबर हमले में खासा सक्षम है। इसे अमेरिकी मिलिट्री रिपोर्ट-2०19 ने स्वीकार किया है। ईरान के पास एयरोस्पेस कंपनियां, रक्षा कंट्रक्टर, ऊर्ज़ा और दूरसंचार की ऐसी-ऐसी फर्में हैं, जिन्हें विश्व में साइबर जासूसी कार्यों के लिए याद किया जाता रहा है। माइक्रोसॉफ्ट ने ईरान के पास एक हैकर ग्रुप होने का रहस्योद्घाटन किया था। ईरान के पास मध्य पूर्व में सर्वाधिक मिसाइल फोर्स है। इनमें छोटी और मध्य रेंज की मिसाइलें हैं। उसके पास सऊदी अरब और इजराइल तक मार करने वाली मिसाइलें, क्रूज और लड़ाकू विमान हैं। सशस्त्र ड्रोन और टोही विमानों को मार गिराने की क्षमता है।
पिछले साल सऊदी अरब के दो तेल ठिकानों पर ईरान ने हमले किए थे, जबकि एक अमेरिकी टोही ड्रोन को मार गिराने में सफलता पाई थी। उसके पाँच लाख तेइस हज़ार सैनिक हैं, जिसमें डेढ़ लाख इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर के सदस्य हैं। स्ट्रेट आफ होर्मुज में बड़े तेल टैंकरों के आवागमन में चौकसी के इरादे से ईरान के पास नौसनिक बोट के लिए बीस हज़ार चालक दल के सदस्य हैं। हालाँकि ईरान के पास सऊदी अरब की तुलना में साढ़े तीन प्रतिशत मिलिट्री साजो-सामान भी नहीं है।