चार्टेड एकाउंटेंट की शैक्षिक योग्यता वाले विजय किरन आनंद को आंकड़ों से खेलना बखूबी आता है

विजय किरन आनंद के दामन पर लगते गए आरोप, बढ़ता गया कद


टेबलेट के स्पेसिफकेशन में कई खामियां हैं


टेबलेट में फ्रंट कैमरा 2 मेगापिक्सल का ही मांगा गया है


बेसिक शिक्षा विभाग में भी शुरू हुआ बाजीगर का सब्जबाग


कई विभागों में तैनाती के कारनामें चर्चा में हैं


फर्जीवाड़े के बाद सरकार ने पंचायतीराज विभाग के निदेशक पद से हटा दिया था


यूपी के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने लापरवाही के आरोप बनारस के तत्कालीन जिलाधिकारी विजय किरन आनंद को हटा दिया गया था


मेक इन इण्डिया के कंसेप्ट को किनारे करते हुए टेबलेट की आपूर्ति के लिए सीएफएफ सर्टीफिकेशन की शर्तें डाली गई हैं 


 

लखनऊ। अब बेसिक शिक्षा विभाग में  इंटीग्रेटेड स्कीम फॉर स्कूली शिक्षा के आईसीटी और डिजिटल इनिशिएटिव एवं इनोवेटिव प्रोग्राम फार मानिटरिंग के तहत टेबलेट और कम्प्यूटर हार्डवेयर खरीदने के लिए 10 अगस्त 2019 को हुई बैठक में हुए निर्णय पर कई सवाल खड़े होने लगे हैं। सरकार का पूरा फोकस जेम पोर्टल के जरिए खरीद-फरोख्त करने पर हैं, लेकिन सरकार के इस ध्येय को धता बताते हुए टेबलेट आपूर्ति के लिए टेण्डर आंमत्रित किए गए हैं। मेक इन इण्डिया के कंसेप्ट को किनारे करते हुए टेबलेट की आपूर्ति के लिए सीएफएफ सर्टीफिकेशन की शर्तें डाली गई हैं, जिन्हें मात्र अमेरिकन और यूरेपियन कम्पनियां ही पूरी कर सकती हैं।

 

आंकड़ों के बाजीगर के रूप में विख्यात आईएएस विजय किरन आनंद अब बेसिक शिक्षा विभाग में सब्जबाग दिखाना शुरू कर दिया है। बदहाल बेसिक शिक्षा विभाग के विद्यालयों को सुधारने के नाम पर नई-नई योजनाओं के जरिए पर्दे के पीछे का खेल शुरू हो गया है। शिक्षकों को बांटने के लिए 1.5 लाख टेबलेट खरीद के लिए निर्धारित टेण्डर नियमों पर सवाल खड़े होना शुरू हो गए हैं।

टेबलेट के स्पेसिफकेशन में कई खामियां हैं। टेबलेट में फ्रंट कैमरा 2 मेगापिक्सल का ही मांगा गया है, जबकि उसी दर पर बाजार में पांच से दस मेगापिक्सल के कैमरे वाले टेबलेट उपलब्ध हैं। टेबलेट आपूर्ति करने वाले कम्पनियों का जानबूझ कर 250 करोड़ रुपए का टर्नओवर। 2009 बैच के आईएएस विजय किरन आनंद अपनी पहली नियुक्ति से लेकर अब तक कई जिलों के जिलाधिकारी और शासन में विशेष सचिव पद पर रहे हैं। मौजूद समय बेसिक शिक्षा विभाग में सृजित किए गए महानिदेशक के पद पर तैनात हैं। चार्टेड एकाउंटेंट की शैक्षिक योग्यता वाले विजय किरन आनंद को आंकड़ों से खेलना बखूबी आता है। अपनी इसी योग्यता के बल पर सरकार को सब्जबाग दिखाने के माहिर खिलाड़ी बन गए हैं। कई विभागों में तैनाती के कारनामें चर्चा में हैं। मीडिया मैनेजमेंट के जरिए अपने आंकड़ों के चक्रव्यूह का शो करने के उस्ताद माने जाते हैं। 16 अक्टूबर 2016 को बनारस के राजघाट पुल पर भगदड़ मच गयी। काशी के इतिहास में पहली बार भगदड़ में 25 लोगों की मौत हुई थी। बनारस व चंदौली सीमा के पास डोमरी गांव में आयोजित बाबा जयगुरुदेव की जयंती में भाग लेने हजारों लोग शहर पहुंचे थे। राजघाट पुल पार करते समय पुल टूटने की अफवाह के चलते ही भगदड़ मची थी। पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में हुई घटना से सियासी तूफान मच गया था। यूपी के तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव ने लापरवाही के आरोप बनारस के तत्कालीन जिलाधिकारी विजय किरन आनंद को हटा दिया गया था।

मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्घ नगर, हापुड जिले के प्रधानों ने शौचालयों के निर्माण में हो रही फर्जीवाड़े और अनियमिताओं की शिकायत पर मेरठ के पूर्व मण्डलायुक्त प्रभात कुमार से की थी कि उनके गांवों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया है। जबकि उन गांवों में शौचालयों का निर्माण भी शुरू नहीं हुआ था। जांच में शिकायत सही पाई गई। इस पर मेरठ के मण्डलायुक्त प्रभात कुमार ने 1 नवम्बर 2017 को मेरठ के मुख्य विकास अधिकारी को पत्र लिखकर निर्देश दिया कि जांच में दोषी साबित हुए प्रधानों, ग्राम पंचायत अधिकारी, सहायक विकास अधिकारी और खण्ड विकास अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने की संस्तुति की थी। पंचायतीराज विभाग के पूर्व निदेशक विजय किरन आनंद ने नियमों को ताक पर रखकर प्रभारी जिला पंचायत मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्घ नगर और हापुड को डीपीआरओ बनाया गया है। इन जिलों के डीपीआरओ ने निदेशक के दबाव में जहां अपने जिलों को ओडीएफ से मुक्त घोषित करवा दिया वहीं मुख्यमंत्री से पुरुस्कार भी हासिल कर लिया। इस फर्जीवाड़े के बाद सरकार ने पंचायतीराज विभाग के निदेशक पद से हटा दिया था। साथ ही अनियमितताओं को लेकर एफआईआर दर्ज करवाने की भी सिफारिश की गई है। लेकिन ऊंची पहुंच के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कुंभ मेलाधिकारी के पद पर रहते हुए कई वित्तीय अनियिमतताएं सामने आई हैं। लेकिन अधिकतर शिकायतें ठंडे बस्ते में पड़ी हुई हैं।


इसके साथ ही कम्पनियों की धरोहर राशि भी अत्याधिक रखी गई है। आपूर्ति करने वाली कम्पनी को दो राज्यों में आपूर्ति करने का अनुभव रखा गया है। इसके साथ ही पीबीएस अर्थात नम्बरिंग व्यवस्था के जरिए मनमानी करने का दरवाजा खोला गया है।