दिहाड़ी मजदूर अपने परिवार के साथ नाप रहे हैं रास्ते


गाजियाबाद।  सड़कों पर सन्नाटा है। पसीने से लथपथ इस वतन के 'सस्ते' काश्तकार गांव लौट रहे हैं। सबके सिरों पर अपनी स्थिति से भारी बोझ लदा है। बेटा सड़क नापते-नापते और उस सवाल का जवाब पूछते हुए थक गया है कि घर कब आएगा। सैकड़ों किलोमीटर पैदल चल चुके लोगों के पैर अब सुन्न हो चुके हैं। बेटे को कंधे पर लादकर पिता सड़क से निकल रही हर गाड़ी को बड़ी उम्मीद से देखता है...क्योंकि कोरोना की वजह से देश लॉकडाउन है। बहरहाल, यह तस्वीर है लखनऊ की। इस तस्वीर के साथ नवाब, सियासत, सियासतदां...सब मजबूर नजर आ रहे हैं कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या भारत में लगातार बढ़ती जा रही है। ऐसे में जो लोग पैदल अपने गांवों की तरफ लौट रहे हैं, उनकी तस्वीरें ढेरों सवाल जेहन में खड़े करती हैं।


पैदल घर जाने को मजूबर दिहाड़ी मजदूर अपने परिवार के साथ रास्ते नाप रहे हैं। इस दौरान जब एक शख्स की पत्नी थक कर बेहाल हो गईं तो पति उन्हें गोद में उठा लिया। 


यह तस्वीर है गाजियाबाद के लालकुआं की। लॉकडाउन के बाद लोग किसी तरह से वापस अपने गांव लौटना चाहते हैं। जहां सरकार लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील कर रही है, वहीं इस तस्वीर ने सभी के होश फाख्ता कर दिए।


वाराणसी में रोहनिया-मोहनसराय चौराहा स्थित हाईवे पर रविवार को सुबह 9 बजे बिहार जा रहे पैदल मजदूरों को रोहनिया पुलिस ने ट्रकों को रोककर सभी मजदूरों को ट्रकों में बैठाकर बिहार के लिए रवाना कराया।


गाजियाबाद के लालकुआं में आईजी प्रवीण कुमार स्थितियों का निरीक्षण करने पहुंचे। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को देखते हुए पुलिस अधिकारी खुद को इससे महफूज रखने की हर संभव कोशिश में जुटे हैं।


लॉकडाउन की वजह से पूरा देश बंद है। काम ठप हो जाने की वजह से लोग वापस अपने घर लौटने को मजबूर हैं। यह तस्वीर लखनऊ की है।