कामेष्ठी यज्ञ का आयोजन 25 मार्च 2020 से 5 अप्रैल, 2020 तक अयोध्या में
 

यज्ञ के जरिए हमारा उद्देश्य प्राचीन भारत के विज्ञान और दर्शन के विपुल ज्ञान भंडार से लोगों को अवगत कराना है

 

 

वैदिक परंपरानुक्रम में विश्व के प्राचीनतम अनुष्ठान पवित्रतम ‘अतिरात्र सोमयज्ञ दृ 2020’ एवं पुत्र; (सन्तान)

 

यह अतिरात्र, जिसे अग्नि-चयन अथवा अग्नि के नाम से भी जाना जाता है

 

सभी जीवित प्राणियों, अन्तरिक्ष तथा सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में शांति का अग्र-दूत माना जाता है

 

 

लखनऊ । उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के उपाध्यक्ष मनीश गुप्ता जी  आॅठवा तल, जवाहर भवन, लखनऊ में पे्रस प्रतिनिधियों प्रेस वार्ता की । प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने बताया कि वैदिक परंपरानुक्रम में विश्व के प्राचीनतम अनुष्ठान पवित्रतम अतिरात्र सोमयज्ञ-2020 एवं पुत्र(संतान)कामेष्टि यज्ञ एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य-कल्याण शिविर का आयोजन  25  मार्च से 05 अप्रैल, 2020 तक जनपद अयोध्या में किया जा रहा है। 

चेयरमैन अरविन्दो इण्टरनेशनल फाउण्डेशन, डा.राज रेड्डी ने कहा कि वेदो में वर्णित  सप्त महायज्ञों में सर्वोच्च सोमयज्ञ, अतिरात्र का जन-कल्याण हेतु आयोजन 25 मार्च 2020 से 5 अप्रैल, 2020 तथा पुत्रकामेष्टि यज्ञ (विशेषकर निःसंतान दम्पत्तियों के लिए) का आयोजन 31 मार्च से 8 अप्रैल, 2020 तक अयोध्या में किया जा रहा है, यह अतिरात्र, जिसे अग्नि-चयन अथवा अग्नि के नाम से भी जाना जाता है, को प्रकृति के सूक्ष्म तथा वृहत्त स्तर पर, वातावरण में, सभी जीवित प्राणियों, अन्तरिक्ष तथा सम्पूर्ण ब्रम्हाण्ड में शांति का अग्र-दूत माना जाता है , शास्त्रों के अनुसार, इस यज्ञ का आयोजन बारह दिनों तक गूढ़ शास्त्रोक्त विधियों के अनुसार किया जाता है , इस अनुष्ठान के लिए पक्षी के आकार वाली, विशिष्ट क्रियाओं से निर्मित 1110 ईंटों की सहायता से निर्मित, पांच परतों वाली एक वेदी (अग्नि-कुण्ड) तैयार की जाती है, जिसकी प्रत्येक परत किसी विशिष्ट उद्देश्य को समर्पित होती है, यथा-सृष्टि में आये असंतुलन के निराकरण, जीवोत्पत्ति, स्वास्थ्य एवं दीर्घायु, विघटनकारी शक्तियों के शमन तथा ब्रहमांड के प्रत्येक स्तर पर शान्ति स्थापना हेतु पुत्रकामेष्टि एक विशेष यज्ञ है, जो काम्य-कर्म है ।

 डा. एलेन, महार्षि वैदिक विश्वविद्यालय, हालैण्ड ने बताया कि इस यज्ञ के जरिए हमारा उद्देश्य प्राचीन भारत के विज्ञान और दर्शन के विपुल ज्ञान भंडार से लोगों को अवगत कराना है। इसके साथ ही हमारा यह भी मानना है कि हमारी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा रहे यज्ञ और योग से वर्तमान पीढ़ी का परिचय होना नितान्त आवश्यक है। प्रेस वार्ता के दौरान महर्षि वैदिक विश्वविद्यालय के डा0 ईवान एवं श्री चन्द्रशेखर रेड्डी जी उपस्थित रहे।