“मां कोई पद नहीं, कोई पोजीशन नहीं वरन कर्तव्य है बच्चों का स्नेह से पालन करने व संस्कार भरने का”

आंतरिक खुशी जरूरी


“मां कोई पद नहीं, कोई पोजीशन नहीं वरन कर्तव्य है बच्चों का स्नेह से पालन करने व संस्कार भरने का” यह बात आज ब्रह्माकुमारी राधादीदी ने महिलाओं के सृजनात्मक सशक्तिकरण विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने बताया कि प्रजापिताब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ही विश्व का सबसे बड़ा ऐसा आध्यात्मिक संगठन है जिसमें प्रशासन से लेकर सफाई तक का समस्त कारोबार महिलाओं के हाथ में है। कार्यक्रम में 'नारी शक्ति की स्थिति' विषय को लेकर मंचित नाटिका में लक्ष्मीनारायण संवाद द्वारा यह संदेश दिया गया कि बाह्य रूप में नारी चाहे जितनी भी बड़े पद या विशाल संपत्ति की स्वामिनी बन जाए लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात है कि वह आंतरिक रूप से संतुष्ट एवं प्रसन्न रहे। इस अवसर पर न्यायाधीश प्रेम कला बहन तथा  गन्ना मंत्री की पत्नी नीताराणा जी ने अपने प्रेरणादाई अनुभव सबके साथ साझा किए। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि महापौर संयुक्ता भाटिया जी रहीं।