देश का चौथा स्तम्भ यानी मीडिया पर कोरोना का इपैक्ट दिखने लगा है
कोरोना बीमारी की वजह से व्यापार पूरी तरह से ठप है
देश के हजारों अखबार, पत्रिकाएं, चैनल बंद हो गए
स्किल्ड जर्नलिस्टों को भा रही है वर्क फ्राम होम की कार्यशैली
तकनीक ने अब पत्रकारिता को काफी आसान बन दिया है
कोरोना जैसी महामारी ने मीडिया को अपनी परम्परिक कार्यशैली में बदलाव लाने को मजबूर कर दिया है
जो पत्रकार नवीनतम तकनॉलाजी से अनभिज्ञ है, तो वे चलन से बाहर हो गए हैं
जो नई-नई तकनालॉजी में अभ्यस्त हैं वे मस्त हैं और उनकी नौकरी भी सुरक्षित हैं
काफी संख्या में स्टाफ को नौकरी से बाहर निकालने की नीति पर अमल भी शुरू हो गया है
लेकिन, अब इस पर कुछ मेनस्ट्रीम भारतीय मीडिया में भी चर्चा हो रही है। इन मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पूछा जा रहा है कि कोरोना वायरस कहीं चीनी जैविक हथियार प्रोजक्ट का नतीजा तो नहीं है। कोरोना वायरस के शुरू होने के बाद शुरुआती चरण में अग्रिम पंक्ति की भारतीय मीडिया कवरेज चीनी सरकार को लेकर बड़े स्तर पर संयमित और निरपेक्ष थी। हालांकि, कुछ हिंदी न्यूज़ चैनल चीन पर गैर-प्रामाणिक आरोप लगा रहे थे कि चीन ने बायोलॉजिकल रिसर्च के जरिए कोविड-19 को तैयार किया है। दूसरी ओर, प्रमुख भारतीय आउटलेट्स चीन में कोरोना से प्रभावित इलाकों में मौजूद भारतीयों को वहां से निकाले जाने पर फोकस कर रहे थे। हालांकि, भारत में चल रहे मौजूदा 21 दिन के लॉकडाउन के दौरान चीन के ख़िलाफ़ आरोपों पर अब प्रामाणिक मीडिया आउटलेट्स और एक्सपर्ट भी चर्चा कर रहे हैं। ये चीन के उत्तरदायित्व को तय करने की मांग कर रहे हैं।