सीएम योगी ने नहीं किया कन्या पूजन

योगी आदित्‍यनाथ गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी के तौर पर बरसों से कन्‍या पूजन की परंपरा निभा रहे थे


लेकिन इस बार लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के चलते गोरक्षपीठ में कन्या पूजन नहीं हुआ


जानकार बताते हैं कि फर्ज और परंपरा में फर्ज को चुनते हुए योगी आदित्यनाथ पहले भी इस परंपरा को तोड़ चुके हैं


इस बार गोरक्षपीठ में कन्या पूजन नहीं हुआ


लॉकडाउन, गोरक्षपीठ में टूटी परंपरा


फर्ज और परंपरा में फर्ज को चुनते हुए योगी पहले भी एक बार इस परंपरा को तोड़ चुके हैं


लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गोरखपुर की गोरक्षपीठ के लिए नवरात्रि बेहद खास होता है। पहले मठ के उत्तराधिकारी के तौर पर और फिर पीठाधीश्वर के रूप में सीएम योगी सालों से जिस परंपरा को निभा रहे थे, वह इस बार लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के चलते टूट गई। इस बार गोरक्षपीठ में कन्या पूजन नहीं हुआ। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब यह परंपरा टूटी हो। जानकार बताते हैं कि फर्ज और परंपरा में फर्ज को चुनते हुए योगी आदित्यनाथ पहले भी एक बार इस परंपरा को तोड़ चुके हैं।


दरअसल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। नवरात्र के पहले दिन से ही वहां अनुष्ठान शुरू हो जाता है। सारी व्यवस्था मठ के पहली मंजिल पर ही होती है। परंपरा है कि इस दौरान पीठाधीश्वर और उनके उत्तराधिकारी मठ से नीचे नहीं उतरते। पूजा के बाद रूटीन के काम और खास मुलाकातें ऊपर ही होती हैं। समापन नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ होता है। जिसे पीठ के उत्तराधिकरी या पीठाधीश्वर करते हैं। वर्षों से योगी आदित्यनाथ इस परंपरा को निभाते रहे हैं। इस बार कोरोना के कारण लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों के चलते सीएम योगी ने कन्या पूजन भी नहीं किया। 
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब यह परंपरा टूटी है। इससे पहले 30 सितम्बर 2014 को गोरखपुर कैंट स्टेशन के पास नंदानगर रेलवे क्रासिंग पर लखनऊ-बरौनी और मडुआडीह-लखनऊ एक्सप्रेस की टक्कर हुई थी। हादसे की जगह से रेलवे और बस स्टेशन की करीब 5-6 किमी. की दूरी थी। यात्रियों की संख्या हजारों में थी और साधन उतने नहीं थे। मय सामान और परिवार के साथ स्टेशन तक पहुंचना मुश्किल था।

योगी उस वक्त गोरखपुर के सांसद थे। योगी आदित्यनाथ के करीबी बताते हैं कि चर्चा होने लगी कि 'छोटे महाराज' आ जाते तो सब ठीक हो जाता। समस्या की गंभीरता से वाकिफ होते ही वर्षों की परंपरा तोड़कर योगी आदित्यनाथ अपने खुद के संसाधनों और समर्थकों के साथ मौके पर पहुंचे। प्रशासन भी सक्रिय हुआ। देर रात तक सब सुरक्षित स्टेशन पहुंच चुके थे।