लखनऊ। हाल ही में हरियाणा कैडर की आईएएस अधिकारी रानी नागर ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था से आशंकित होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि हरियाणा की मनोहर खट्टर सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया है। अपने इस्तीफे की वजह उन्होंने ड्यूटी के दौरान पर्याप्त सुरक्षा न होना बताया है। बीती 4 मई को उन्होंने अपने प्रशासनिक पद से इस्तीफा दिया है। यूपी के जिला गौतमबुद्ध नगर की मूल निवासी व हरियाणा कैडर की आईएएस 2014 अधिकारी रानी नागर द्वारा अपने कुछ उच्च अधिकारियों पर उत्पीडऩ व बहन सहित इन्हें जान को खतरे के विरोध में अन्तत: इस्तीफा देने पर पूर्व मुख्यमंत्री बसपा अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि सरकार इसका तुरन्त उचित संज्ञान ले। इस्तीफे के पीछे कारण सरकारी डयूटी पर व्यक्तिगत सुरक्षा को बताया गया है। रानी नागर ने अपना इस्तीफा ईमेल से मुख्य सचिव हरियाणा को इस्तीफा भेजा था। इसकी प्रति राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, संबंधित विभागों के प्रधान सचिव व निदेशकों को भेजी थी। रानी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के नियमों का हवाला देते हुए इस्तीफा स्वीकार करने का आग्रह किया है। रानी नागर कोई पहली महिला आईएएस अधिकारी नहीं है जिन्होंने पद से इस्तीफा दिया है। चार दशक से ज्यादा पहले एक अन्य महिला आईएएस अधिकारी अरूणा राय ने 1974 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के एक लबे समय बाद उन्होंने अपने साक्षात्कार में कहा था कि आईएएस सेवा में जो मुझे सिखाया गया उसके ठीक उलट जो मुझे सीखने के लिए मुझसे कहा गया उससे मैं सीखना नहीं चाहती थी। इसी अभिव्यक्ति को आधार बताते हुए उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। रानी नागर से पहले बीते साल 21 अगस्त 2019को आईएएस कन्नन गोपीनाथ ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद लगे लाकडाउन से नाराज होकर इस्तीफा दे दिया था। अपने इस्तीफे में उन्होंने कहा था कि देश के एक हिस्से में इतने लंबे समय तक मूलभूत अधिकारों का निलंबन और अन्य राज्यों की प्रतिकिया न होना पीड़ादायक स्थिति है। यह स्थिति निचले स्तर तक हो रही है। जो मुझे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं है।
वर्ष 2002 में आईएएस हर्ष मंदर ने अपने पद इस्तीफा दे दिया था। वह गुजरात में 2002 में हुए दंगों के बाद राज्य सरकार की भूमिका से नाराज थे। प्रशासनिक पद छोडने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर इस समय काम कर रहे है। अब बात देश की इस्तीफा देने वाली पहली महिला आईएएस अरूणा राय की। जिन्होंने वर्ष 1974 में ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के लंबे समय बाद उन्होंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि आईएएस सेवा में जो मुझे सिखाया गया वो करने नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में इस सेवा में रहने का औचित्य नहीं है।
रानी नागर
नागर ने एक ट्वीट कर के लिखा था कि चंडीगढ़ गेस्ट हाउस में कई बार उनके खाने में स्टेपलर पिन मिली हैं। अपनी निजी सुरक्षा का हवाला देते हुए उन्होंने 4 मई 2020 को इस्तीफा दे दिया। हालांकि, हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने उनका इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। वैसे रानी नागर ने पहले ही इसकी शंका जताते हुए कहा था कि अगर उनका इस्तीफा नामंजूर होता है तो इसका मतलब है कि उनका शोषण होता रहेगा। बता दें कि वह कई दिनों से सुरक्षा की मांग कर रही थीं, लेकिन उन्हें सुरक्षा मुहैया नहीं कराई जा रही थी।
कन्नन गोपीनाथन
केरल के रहने वाले आईएएस अधिकारी कन्नन गोपीनाथन (Kannan Gopinathan) ने जम्मू-कश्मीर में मूलभूत अधिकारों के निलंबन के खिलाफ 'आवाज सुनी जाने' के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने कहा था- 'देश के एक हिस्से में इतने लंबे समय से मूलभूत अधिकारों का निलंबन और अन्य राज्यों से कोई प्रतिक्रिया नहीं होना मुझे काफी पीड़ा दे रहा है। यह निचले स्तर तक हर जगह हो रहा है। मैं अपने विचार देना चाहूंगा कि यह स्वीकार नहीं है।' उनका आरोप था कि कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाकर लोगों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से वंचित किया जा रहा है। वह अगस्त 2018 में उस समय चर्चा में आए थे, जब उन्होंने बिना किसी को बताए राज्य में आई भीषण बाढ़ के दौरान राहत कार्यों में हिस्सा लिया था और बाद में सुर्खियों में आए थे।
एस शशिकांत सेंथिल
कर्नाटक कैडर के आईएएस एस शशिकांत सेंथिल (S Sasikanth Senthil) ने 6 सितंबर 2019 को अपने प्रशासनिक पद से इस्तीफा दे दिया था। वह दक्षिण कन्नड़ जिले के उपायुक्त पद पर तैनात थे। आईएएस ने इस्तीफा देते हुए लिखा था- 'मैंने प्रशासनिक पद से इस्तीफा देने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि मुझे लगता है कि आज अभूतपूर्व तरीके से लोकतंत्र के संस्थानों को दबाया जा रहा है। मौलिक अधिकारियों को ब्लॉक कर दिया गया है। ऐसे में मैं सिविल सर्विस में रहना अनैतिक समझता हूं।' बता दें कि शशिकांत सेंथिल सीसीडी के मालिक और एसएम कृष्णा के दामाद वीजी सिद्धार्थ की आत्महत्या मामले की जांच भी कर रहे थे। उन्हें जून 2017 में दक्षिण कन्नड़ जिले का उपायुक्त बनाया गया था।
हर्ष मंदर
गुजरात में 2002 में हुए दंगों के बाद आईएएस अधिकारी हर्ष मंदर (Harsh Mander) ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था और अब वह एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होंने 22 साल तक नौकरी करने के बाद इस्तीफा दिया था। वह मोदी सरकार के खिलाफ अक्सर मुखर रहते हैं। नागरिकता कानून समेत उन्होंने मोदी सरकार के कई फैसलों का विरोध किया है। उन्हें मोदी विरोधियों की तरह भी देखा जाता है।
अरुणा रॉय
सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय (Aruna Roy) ने 1974 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। 2011 में एक न्यूजपेपर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कहा था- 'ऐसी कोई परिस्थिति नहीं होती, जिसमें एक शख्स कुछ सीखे नहीं, लेकिन आईएएस सेवा ने मुझे वो सिखाया, जो में नहीं सीखना चाहती थी। मैंने ये भी सीखा कि कैसे सरकारी नौकरी के साथ-साथ आपके अंदर एक घमंड आ जाता है।' पिछले ही साल उन्होंने आईएएस सेवाओं पर सवाल उठाते हुए कहा था- 'सिविल सेवाएं इस समय नाजुक दौर से गुजर रही हैं। एक ओर जहां सिविल सर्विसेज के प्रति अभी भी आकर्षण बना हुआ है तो वहीं कार्यरत आईएएस अधिकारी यह कहते हुए सिविल सर्विस से इस्तीफा दे रहे हैं कि सरकार द्वारा उनके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन किया जा रहा है।'