हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को दो से तीन माह का वेतन न दिए जाने का मुद्दा उठाया
सरकार के आदेशों की धज्जियां उड़ा रही हैं प्राइवेट टेक्निकल यूनिवर्सिटी

 

लॉक डाउन के कारण हजारों शिक्षकों को निजी टेक्निकल यूनिवर्सिटी वेतन का भुगतान नहीं कर रही

 

प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक मुश्त छात्रों से फीस वसूल लेती हैं

कुछ 50 फीसदी वेतन काटकर कर्मचारियों को भुगतान करेंगी


 

लखनऊ।  टेक्निकल यूनीवर्सिटीज टीचर्स एसोसियेशन (टीयूटीए) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र कुमार ने को बताया कि लॉक डाउन के कारण हजारों शिक्षकों को निजी टेक्निकल यूनिवर्सिटी वेतन का भुगतान नहीं कर रही हैं। इससे उनके सामने भुखमरी की समस्या पैदा हो गई है। जबकि प्राइवेट यूनिवर्सिटी एक मुश्त छात्रों से फीस वसूल लेती हैं। इसी बीच यह खबरें भी हमारे सामने आई कि अप्रैल माह का वेतन अधिकतर यूनिवर्सिटी नहीं देगी और कुछ 50 फीसदी वेतन काटकर कर्मचारियों को भुगतान करेंगी। इन खबरों से प्राइवेट यूनिवर्सिटियों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों में हड़कम्प मचा हुआ है। उन्होंने बताया कि अधिकतर प्राइवेट यूनिवर्सिटी में शिक्षकों को न्यूनतम वेतन अर्थात 10 हजार से लेकर 20 हजार रुपए तक ही मिलते हैं। जबकि एकेटीयू के वीसी विनय पाठक ने स्पष्टï आदेश कर रखे हैं कि किसी भी कर्मचारी का वेतन न काटा जाए और 7 तारीख तक वेतन का भुगतान कर दिया जाए। प्राइवेट यूनिवर्सिटी इस आदेश का मखौल उड़ा रही हैं। न तो वेतन का भुगतान कर रही हैं और न ही सरकार और वीसी के आदेशों का अनुपालन। 


सरकार ढिंढोरा पीट रही है कि गैरसरकारी संस्थाएं को कार्मिकों को समय पर वेतन का भुगतन करवा रही है, लेकिन प्रदेश के निजी टेक्निकल और प्रोफेशनल शिक्षण संस्थानों के हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों का वेतन न मिलने से जहां भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं वहीं इनकी गुहार न तो शासन के आला अफसर सुन रहे हैं और न ही एकेटीयू।  टेक्निकल यूनीवर्सिटीज टीचर्स एसोसियेशन ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई। लेकिन इस मुद्दे पर जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली है।

 


प्रदेश में कोरोना बीमारी पर अंकुश लगाने के लिए 24 मार्च से  लॉकडाउन लगा था। टेक्निकल यूनीवर्सिटीज टीचर्स एसोसियेशन (टीयूटीए) के अध्यक्ष धर्मेन्द्र कुमार ने 26 मार्च 2020 को प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेनल पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल और एकेटीयू के वीसी विनय पाठक को एक पत्र लिखकर निजी टेक्निकल और प्रोफेशनल शिक्षण संस्थानों के हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को दो से तीन माह का वेतन न दिए जाने का मुद्दा उठाया था। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

उन्होंने बताया कि अधिकतर प्राइवेट यूनिवर्सिटी के चेयरमैन, निदेशक और सेक्रेटरी ने एआईसीटीई को एक्सटेंशन ऑफ एप्रूवल के लिए दिए गए शपथपत्र में  दावा किया है कि आगामी तीन साल तक शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन देने का पर्याप्त फंड है। शपथपत्र देने के बाद अब अगर कोई प्राइवेट यूनिवर्सिटी यह कहती है कि उसके पास वेतन देने का फंड नहीं तो उसके खिलाफ दिए गए झूठे शपथपत्र पर कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए। डा. ए.पी.जे. अबुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के वीसी विनय पाठक,  प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा मोनिका एस. गर्ग से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।