हर इंसान की यह इच्छा होती है कि परिवार के सदस्यों के बीच प्रेमपूर्ण संबंध कायम रहे। इसके लिए लोग कोशिश भी करते है, लेकिन उन कोशिशों के साथ अगर घर को भी वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप व्यवस्थित किया जाए तो इसके सकारात्मक परिणाम हासिल होंगे। परिवार के सभी सदस्यों के बीच प्रेमपूर्ण संबंध बनाए रखने में वास्तु का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए प्राचीनकाल से ही अपने घर को व्यवस्थित करते समय वास्तु के सिद्धांतों पर अमल करने की सलाह दी जाती है। हालांकि आधुनिक युग में छोटे फ्लैट्स में वास्तु के सभी सिद्धांतों का पूरी तरह पालन कर पाना संभव नहीं होता। फिर भी आप चाहे तो इसके कुछ आसान उपायों को अपनाकर अपने परिवार को खुशहाल बना सकते है।
द्वयदि आपका मकान केवल एक ही मंजिल वाला हो या फिर आप किसी अपार्टमेंट के फ्लैट में रहते है तो उसके दक्षिण-पश्चिमी, पश्चिमी या फिर दक्षिणी भाग में बुजुर्गो जैसे दादा-दादी या फिर माता-पिता का कमरा होना चाहिए। जबकि बच्चों के लिए सभी दिशाएं उपयुक्त है।द्परिवार के सभी सदस्यों के बेडरूम में प्राकृतिक प्रकाश की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसा तभी संभव होता है, जब पूरे मकान के चारों ओर खुली जगह हो। यदि प्रकाश की ज्यादा व्यवस्था न हो पाए तो खिड़की के साथ रोशनदान जरूर बनवाएं। प्राकृतिक प्रकाश से व्यक्ति में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास होता है और परिवार के सदस्यों के बीच वैमनस्य की भावना नहीं पनपती।द्वपूजा-पाठ, जप-तप, कथा-प्रवचन, योग एवं ऐसे ही अन्य धार्मिक कार्यों के लिए यूं तो पूर्व दिशा सर्वोत्तम है। फिर भी पूर्वोत्तर दिशा ऐसे सभी कार्यों के लिए उत्तम है।
द्वहर महीने में एक बार कम से कम एक दिन ऐसा जरूर निकालें कि जब परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर धार्मिक क्रियाकलाप जैसे हवन, यज्ञ, कथा आदि करे। इससे न केवल घर की शुद्धि होती है बल्कि ऐसा करने से परिवार के सदस्यों के बीच भावनात्मक लगाव भी बढ़ता है।द्वयदि आपके मकान में एक से अधिक मंजिलें है तो आयु में बड़े सदस्यों को ऊपरी एवं छोटे सदस्यों को निचली मंजिल पर रहना चाहिए। अर्थात बड़ों के पांव के नीचे के भाग में छोटे सदस्य रहें तो उत्तम है।
द्वअगर परिवार के वरिष्ठ सदस्यों को सीढिय़ां उतरने-चढऩे में कठिनाई महसूस हो तो ऐसी स्थिति में बुजुर्गो का बेड ऊपरी मंजिल पर रहने वाले बच्चों या युवाओं के बेड के बिलकुल ऊपर न होकर थोड़ा दाएं या बाएं होना चाहिए।
द्वपूरे परिवार की एकजुटता के लिए यह भी ध्यान रखें कि आपका डाइनिंग रूम मकान के पूर्व, उत्तर या दक्षिण पूर्व दिशाओं में हो।द्वभोजन करते समय परिवार के वरिष्ठ सदस्यों का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रहे और बाकी सदस्य दक्षिण छोड़कर किसी भी दिशा की ओर मुख करके बैठ सकते हैं।द्वलंच या डिनर के समय परिवार के सभी सदस्यों को टीवी देखने के बजाय आपस में प्रसन्न्तापूर्वक बातचीत करनी चाहिए। किसी भी कटु विषय पर बातचीत नहीं करनी चाहिए।
द्वपश्चिमोत्तर दिशा में स्थित कमरे में रहने वाली अविवाहित लड़की का विवाह यथाशीघ्र अच्छे घर में हो जाता है और वह शादीशुदा जीवन में भी सुखी रहती है।द्वबच्चों के रहने का कमरा पूर्व, पश्चिम या पूर्वोत्तर के साथ लगती दिशाओं में रखें। छोटे बच्चों की प्रतिभा एवं योग्यता में वृद्धि करने के लिए पढ़ाई का कमरा पूर्व, पूर्वोत्तर या फिर उत्तर दिशाओं में व्यवस्थित करें। विद्यार्थी उसी कमरे में पूर्व, पूर्वोत्तर या फिर उत्तर दिशाओं में मुख करके पढ़े तो अच्छा रहेगा।द्वपश्चिम एवं उत्तर दिशा में स्थित वायव्य कोण में बने कमरे का यदि ड्राइंगरूम या गेस्टरूम के रूप में प्रयोग करे तो मेहमानों को वहां रहना तो अच्छा लगेगा ही, साथ ही वे आपके प्रशंसक भी बनेंगे।यदि परिवार के सभी सदस्य वास्तुशास्त्र के इन सिद्धांतों का पालन करें तो इससे वातावरण सौहार्दपूर्ण बना रहेगा।