...अब ‘इंटेलीजेण्ट लाइट्स’ का जमाना है: अरुणकुमार त्रिवेदी
स्ंगीत नाटक अकादमी अभिलेखागार के लिए हुई रिकार्डिंग

लखनऊ, अब ‘इंटेलीजेण्ट लाइट्स’ का जमाना है। पहले की अपेक्षा आज बेहतर परिस्थितियां और ‘कम्प्यूटराज्ड’ उपकरण है। आज के समय में प्रकाश अभिकल्पना करने वालों के साथ ही मंचसज्जा, वेशभूषा आदि मंचशिल्प के अन्य पक्षों में काम करने वाले युवाओं के लिए अपार सम्भावना के द्वार खुले हुए हैं। अपने विचार और अनुभवों के साथ ऐसी बहुत सी बातें भारतंेदु नाट्य अकादमी के पूर्व निदेशक व शिक्षक अरुणकुमार त्रिवेदी ने बताईं।
 उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी गोमतीनगर स्टूडियो में अभिलेखागार के लिए आज उनकी रिकार्डिंग ‘रंगमंच में प्रकाश की भूमिका’ विषय पर की गई। साक्षात्कार रंगकर्मी व पत्रकार मुकेश वर्मा ने लिया। श्री त्रिवेदी ने बताया कि रंग प्रस्तुतियों में प्रकाश परिकल्पना करने वाला दर्शनीयता पैदा करता है। दृश्य का ‘मूड’ सृजित करता है। उसे ध्यान रखना है कि वह प्रकाश बिंदुओं का इस्तेमाल किस-किस कोण से करे। प्रकाश की गतियां प्रभाव पैदा करने के लिए कैसे करे, उसकी तीव्रता क्या होगी और उसमें कौन-कौन से रंग होंगे। उन्होंने बताया कि इसके पीछे एक विज्ञान, एक योजना और सटीक संचालन का होना बहुत जरूरी है। अच्छे प्रकाश प्रभाव पैदा करने के लिए आंखों के फंक्शन को समझना और प्रकाश के भौतिकी सिद्धांतों को जानना भी जरूरी है। भौतिकी के हिसाब से प्रकाश, ध्वनि इत्यादि सब ऊर्जा का एक रूप हैं। प्रकाश हमेशा सीधी रेखा में चलता है तथा प्रकाश में ऐसी क्रिया होती है जिससे हम देख पाते हैं। मंच प्रकाश संयोजक के लिए प्रकाश परावर्तन, अपवर्तन और ‘आब्जर्वेशन’ यानी प्रकाश सोखने की क्रिया को समझना जरूरी है। इंद्रधनुष में हम मोटे तौर पर सात रंगों को देख पाते हैं परन्तु प्रकाश में अनगिनत रंग हैं। हम अच्छी ‘पेण्टिंग्स’ से बहुत कुछ सीख सकते हैं। रंगीन प्रकाश के प्रचलित प्रतीकों का जिक्र करते हुए उन्होंने जूलियस सीजर नाटक मे सीजर की सात-आठ लोगों द्वारा चाकू से हत्या के उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि अच्छे प्रभाव उत्पन्न करने की चुनौती होती हैं। निर्देशक के हिसाब से यहां पहले दिन के दृश्य के साथ ही हत्या के साथ ही पूरे मंच को लाल रंग से नहाया दिखाना था कि प्रभाव दिखाना था कि पूरा रोम सीजर के खून से लाल हो गया। उन्होंने बताया कि दृश्यबंध में अगर चटख रंग होंगे तो प्रकाश परावर्तित होगा, ऐसे दृश्यबंध से बचना चाहिए। साथ ही चरित्र की वेशभूषा और त्वचा के रंग उभरकर आएं, ये ध्यान रखना भी प्रकाश अभिकल्पक का काम है। ब्राजील में प्रख्यात बांसुरी वादक के संगीत कार्यक्रम में लाइट्स के इस्तेमाल का उदाहरण रखते हुए उन्होंने बताया कि बेहतर प्रकाश संयोजना किसी भी कार्यक्रम को और अच्छा बनाने के साथ श्रोताओं और दर्शकों को प्रस्तुति के और करीब खींच लाता है। इससे पहले उनका स्वागत अकादमी के सचिव तरुण राज ने पुष्प प्रदान कर किया। सचिव ने बताया कि अभिलेखागार रिकार्डिंग की इस शृंखला में हम वरिष्ठ कलाकारों का साक्षात्कार करते हैं ताकि आने वाली पीढ़ी को रिकार्डिंग सुनकर बहुआयामी दिशा निर्देश मिल सके। कोविड-19 के कारण ही अकादमी में आॅनलाइन कथक, लोकसंगीत, रूपसज्जा, एक्सप्रेशन व स्पीच कार्यशालाओं के संचालन के साथ इस बार प्रादेशिक संगीत प्रतियोगिता भी रिकार्डेड क्लिप्स के माध्यम से सफलतापूर्वक सम्पन्न कराई गई।