बेहद खास है लड़ाकू विमान राफेल
लगता है कांग्रेस मोदी का विरोध करते-करते देष विरोधी हो गयी है
फिरहाल, भारत की सरजमी पर अत्याधुनिक पांच राफेल लड़ाकू विमानों की लैंडिंग हो गयी है
भारत की मारक क्षमता ही नहीं बढ़ेगी बल्कि एक शक्तिशाली देश होने का एहसास भी दिलाएगी
लखनऊ । फिलहाल राफेल लड़ाकू विमान भारतीय एयरफोर्स की ताकत आसमान में और बढ़ाने वाले हैं। वैसे भारत पहला देश नहीं है, जिसने फ्रांस से राफेल खरीदा है। इसके पहले भी कुछ देश इसकी डील कर चुके हैं. कुछ देश कतार में भी हैं। वहीं कुछ की डील पूरी नहीं हो पाई। आखिर क्या है इस फाइटर जेट में ऐसा खास की दुनिया की नजरें इस पर हैं। भारत ने फ्रांस सरकार के साथ 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 59,000 करोड़ रुपये में डील की है। दोनों सरकार के बीच इस बाबत समझौते पर हुए दस्तखत के करीब चार साल बाद राफेल विमान की पहली खेप भारत को मिल रही है। इसके शामिल होने से भारतीय वायुसेना के बेड़े की ताकत में काफी इजाफा होगा। अक्टूबर 2019 में डसॉल्ट एविएशन ने पहले राफेल जेट को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में भारतीय वायुसेना को सौंपा था। 2021 अंत तक सभी 36 राफेल जेट की डिलिवरी कर दी जाएगी। डसॉल्ट की ओर से भारतीय वायुसेना पायलट और सभी सपोर्टिंग स्टॉफ को एयरक्रॉफ्ट और वैपन सिस्टम की पूरी ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
लगता है कांग्रेस मोदी का विरोध करते-करते देष विरोधी हो गयी है। ऐसा इसलिए क्योंकि 2019 लोकसभा चुनाव में जिस राफेल के मुद्दे को उछालकर राहुल गांधी ने मोदी को बेदखल करने के लिए ‘चैकीदार चोर‘ है का नारा दिया, जनता ने उसे तास के पत्ते की तरह बिखेर कर रख दी। हाल यह हुआ कि पीएम बनना तो दूर नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए तरसना पड़ गया। इसके बावजूद अब फिर वहीं कांग्रेस का राफेल-राफेल...! जबकि पानी, हवाई सीमाओं की सुरक्षा को चाक-चैबंद करने की दिशा में राफेल का भारत आना बड़ी उपलब्धि है। ऐसे में सवाल तो यही है क्या धारा 370, ट्रिपल तलाक, रामजन्म भूमि मंदिर का विरोध करने वाली कांग्रेस मोदी का विरोध करते-करते देष विरोधी हो गयी है?
फिरहाल, भारत की सरजमी पर अत्याधुनिक पांच राफेल लड़ाकू विमानों की लैंडिंग हो गयी है। इससे भारत की मारक क्षमता ही नहीं बढ़ेगी बल्कि एक शक्तिशाली देश होने का एहसास भी दिलाएगी। लेकिन कांग्रेस है जो राफेल का भारत में स्वागत! क्े बजाय फिर सवाल उठाने में लग गयी है कि 526 करोड़ का एक रॉफेल अब 1670 करोड़ में क्यों? 126 रॉफेल की बजाय 36 ही क्यों? मेक इन इंडिया की बजाय मेक इन फ़्रान्स क्यों? 5 साल की देरी क्यों? लेकिन कांग्रेस को लगता है भूलने की आदत पड़ गयी है या फिर जानबूझकर अपनी छिछालेदर कराने की आदत सी हो गयी है। जबकि इन्हीं मुद्दो को लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चेार ही नहीं न जाने क्या-क्या कह डाला। यह अलग बात है कि इसका जवाब मोदी नहीं बल्कि देष की सवा सौ करोड़ जनता ने पूर्ण बहुमत की सरकार देकर दे चुकी है। हालांकि एकबार फिर मोदी ने कांग्रेस पर हमलावर होने के बजाय इसे राष्ट्र रक्षा के सम्मान से जोड़ते हुए जोरदार स्वागत किया। संस्कृत में ट्वीट कर कहा, ’’राष्ट्ररक्षासमं पुण्यं, राष्ट्ररक्षासमं व्रतम्, राष्ट्ररक्षासमं यज्ञो, दृष्टो नैव च नैव च.. नभः स्पृशं दीप्तम्...स्वागतम्!’’ इसका अर्थ है, ‘‘राष्ट्र रक्षा के समान कोई पुण्य नहीं है, राष्ट्र रक्षा के समान कोई व्रत नहीं है, राष्ट्र रक्षा के समान कोई यज्ञ नहीं है, नहीं हैं, नहीं है।’’
जबकि इन विमानों के, वायुसेना में शामिल होने के बाद देश को आस-पड़ोस के प्रतिद्वंद्वियों की हवाई युद्धक क्षमता पर बढ़त हासिल हो जाएगी। निर्विवाद ट्रैक रिकॉर्ड वाले इन राफेल विमानों को दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। राफेल विमानों को आसमान में उनकी बेहतरीन क्षमता और लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने के लिए जाना जाता है। करीब 23 साल पहले रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद भारत ने पहली बार लड़ाकू विमानों की इतनी बड़ी खेप खरीदी है। इन विमानों को अलग-अलग किस्म के और अलग-अलग मारक क्षमता वाले हथियारों से लैस किया जा सकता है। राफेल लड़ाकू विमानों को जिन मुख्य हथियारों से लैस किया जाएगा वे होंगे, यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए की, दृष्टि सीमा से परे निशानों पर भी हवा से हवा में वार करने में सक्षम मेटयोर मिसाइल, स्कैल्प क्रूज मिसाइल और एमआईसीए हथियार प्रणाली। खास बात यह है कि भारतीय वायुसेना राफेल लड़ाकू विमानों का साथ देने के लिए मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली, हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियार प्रणाली ‘हैमर’ भी खरीद रही है। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्स्टेंडेड रेंज) लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है, जिसका निशाना अचूक है और इसे फ्रांस की रक्षा कंपनी सैफरॉन ने विकसित किया है। इस मिसाइल को मूल रूप से फ्रांस की वायुसेना और नौसेना के लिए डिजाइन किया गया और बनाया गया था।
जहां तक सियासत का सवाल है कांग्रेस एकबार फिर मोदी के आगे टाॅय-टाॅय फिस्स हो जायेगी। जबकि पिछले छह साल से ज्यादा समय से केंद्र की सत्ता पर आसीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए पिछले छह महीने अच्छे नहीं रहे। चीन के साथ बॉर्डर पर तनातनी जारी है जिसमें हमने अपने कुछ जांबाज भी खो दिए हैं। कोरोना के आंकड़े हर रोज 50 हजार की रफ्तार से बढ़ रहे हैं और अर्थव्यवस्था तबाही के मुहाने पर है। विपक्ष हमलावर है, खासकर कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी एक के बाद एक ट्वीट के जरिए सरकार का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं। आपदा के इन हालात में ये हफ्ता मोदी के लिए बड़ा अवसर लेकर आया है। ऐसा अवसर जब वो शक्तिशाली और गौरवशाली भारत के लिए हुंकार भरते दिखेंगे और विपक्ष की आवाज नक्कारखाने की तूती साबित होगी।
मेटयोर हवा से हवा में मारक क्षमता रखने वाली बीवीआर मिसाइलों का अत्याधुनिक संस्करण है और इसे हवा में होने वाले युद्ध के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इसे एमबीडीए ने ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन और स्वीडन के समक्ष मौजूद संयुक्त खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया है। गौरतलब है कि सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इससे पहले तत्कालीन सरकार करीब सात साल तक भारतीय वायुसेना के लिए 126 मध्य बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों की खरीद की कोशिश करती रही थी, लेकिन वह सौदा सफल नहीं हो पाया था। दसाल्ट एविएशन के साथ आपात स्थिति में राफेल विमानों की खरीद का यह सौदा भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए किया गया। क्योंकि वायुसेना के पास लड़ाकू स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या कम से कम 42 के मुकाबले फिलहाल 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं। अंबाला पहुंचे पांच राफेल विमानों में से तीन राफेल एक सीट वाले जबकि दो राफेल दो सीट वाले लड़ाकू विमान हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित स्क्वाड्रन 17 में शामिल किया जाएगा जो ‘गोल्डन एरोज’ के नाम से जाना जाता है। पांच राफेल प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही हैं। सरकार का दावा है कि खरीदे गए सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत को हो जाएगी।
इन पांच राफेल विमानों को अंबाला पहुंचने के बाद से ही 17वें स्क्वाड्रन में शामिल किया जा रहा है, लेकिन इन्हें अगस्त के मध्य में एक औपचारिक समारोह आयोजित कर भारतीय वायुसेना के बेड़े का हिस्सा घोषित किया जाएगा। भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 विमान लड़ाकू जबकि छह प्रशिक्षक विमान हैं। अंबाला एयरबेस को भारतीय वायुसेना का महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान सीमा महज 220 किलोमीटर की दूरी पर है। 18 वर्ष के इंतज़ार के बाद देश की सुरक्षा को नई मजबूती देने के लिए ये रफाल लड़ाकू विमान भारत की सैन्य ताकत को बढ़ायेगे। यह रफाल बिना रुके 5 हज़ार किमी तक की दूरी तय कर सकता है। युद्ध जैसे हालात में ज्यादा समय तक हवा में रह सकते हैं और दुश्मनों का मुकाबला कर सकते हैं। रफाल लड़ाकू विमान 10 घंटे तक लगातार उड़ सकता है। इस दौरान इस विमान में करीब 6 बार ईंधन भरने की ज़रूरत होती है, जिसे हवा में ही भरा जाता है। कैमने की मद से आसमान से जमीन पर पड़ी गेंद जैसी वस्तु को भी देख सकता है। करीब 2 हज़ार 130 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार स ेचल सकता है। इस विमान में परमाणु हमला करने की क्षमता भी है। रफाल विमान 55 हज़ार फीट की ऊंचाई से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है। ये एक बार में 16 टन बम और मिसाइल ले जा सकता है। ये दुनिया का इकलौता लड़ाकू विमान है। जो अपने वज़न से डेढ़ गुना ज़्यादा विस्फोटक ले जा सकता है। 100 किमी की रेंज में 40 से ज़्यादा टारगेट को एक साथ निशाने पर ले सकता है। इस विमान में एक मिनट के अंदर ढाई हज़ार गोले दागने की क्षमता है। रफाल में तीन तरह की घातक मिसाइल के साथ 6 लेज़र गाइडेड बम भी फिट होते हैं। इन लेज़र गाइडेड बम में एक-एक बम की कीमत करीब 3 करोड़ रुपये तक होती है। सीरिया और इराक में आतंकी अड्डों पर रफाल के ज़रिए हमला करने के लिए इन्हीं बम का इस्तेमाल हुआ था। खास यह है कि ये दुश्मन के रडार को जाम कर सकता है और उसकी तरफ से आती मिसाइल के बारे में रफाल को अलर्ट कर देता है।