2 जुलाई की रात विकास दुबे को गिरफ्तार करने बिकरू गांव गई पुलिस टीम पर फायरिंग की गई थी। पुलिस वालों पर यह फायरिंग गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों ने की थी। इस घटना में तत्कालीन बिल्हौर सीओ देवेंद्र मिश्रा समते 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे, जबकि 6 अन्य चोटिल हो गए थे। इसके बाद पुलिस ने विकास की तलाश की। विकास ने उज्जैन महाकाल मंदिर में सरेंडर किया। कानपुर लाते समय रास्ते में उसका एनकांउटर किया गया। इसके उसको गुर्गों पर शिकंजा कसना शुरू हुआ। जांचें शुरू हुईं। इस चर्चित कांड के बाद प्रशासन ने गांव के एक-एक शस्त्र लाइसेंस धारक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उनके लाइसेंस निरस्त किए थे। में पता चला कि विकास दुबे ने वर्ष 1997 में अपना पहला शस्त्र लाइसेंस बनवाया था। जब जांच अधिकारियों ने इसकी जानकारी असलहा विभाग से करनी चाही तो मालूम चला कि उसकी फाइल ही गायब है।
हथियारों के लाइसेंस की फाइलें गायब
लखनऊ। विकास दुबे केस में नया खुलासा हुआ है। बिकरू कांड के मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे समेत उसके गुर्गों के हथियारों के लाइसेंस के दस्तावेज गायब कर दिए गए हैं। इससे असलहा विभाग में हड़कंप मचा है। बताया जा रहा है कि हथियारों के लाइसेंस की फाइलें विभाग से गायब हुई हैं। जिसके बाद जांच में दोषी पाए गए र्क्लक विजय रावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। अब पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।