हिन्दी उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी का 28वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू
हिन्दी उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी का 28वां अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू

 

‘सदियों में एक बार पैदा होता है फिराक’   

 

डा.गोपीचन्द नारंग लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड से सम्मानित

 

लखनऊ 9 अक्टूबर। ‘बहुआयामी प्रतिभा के धनी वेदों पर पकड़ रखने वाले संस्कृत और फारसी के विद्वान फिराक गोरखपुरी अंग्रेजी के प्रोफेसर थे पर खड़ी बोली उर्दू के आशिक थे। उनकी । ऐसा शायर भी सदियों में एक बार पैदा होता है।’



ये बातें 89 वर्षीय वयोवृद्ध उर्दू विद्वान डा.गोपीचन्द नारंग ने उर्दू जबान को जीने का एक सलीका बताते हुए इत्मिनान से फिराक के बारे में आनलाइन दी गई एक घण्टे लम्बी तकरीर में कहीं। वे रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी पर केन्द्रित हिंदी उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी के 28वें पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन के पहले दिन दिल्ली में आयोजित समारोह में ‘लाइफटाइम अचीवमेण्ट अवार्ड’ प्राप्त कर रहे थे। उद्घाटन समारोह में प्रतीकात्मक रूप से उन्हें यह सम्मान हमदर्द विश्वविद्यालय दिल्ली के कुलपति प्रो.एहतेशाम हसनैन की ओर से प्रदान किया गया। आयोजन कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए वजीर हसन रोड लखनऊ और दिल्ली में एक साथ सीमित आमंत्रित अतिथियों के सम्मुख और आॅनलाइन था। इस अवसर पर एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया। सम्मेलन के दूसरे दिन कल 10 को 10 अक्टूबर को दिल्ली विश्वविद्यालय कला संकाय के डीन प्रो.इर्तिजा करीम की अध्यक्षता में फिराक के व्यक्त्त्वि और कृतित्व पर आयोजित संगोष्ठी में विद्वान विचार रखेंगे।  



डा.नारंग ने फिराक के बहुत से शेर और रुबाइयां सुनाते हुए कहा कि वे मीर की परम्परा के शायर थे। स्त्री की अवधारणा को लेकर उन्होंने- ‘है ब्याहता पर रूप अभी कुंवारा है....’ जैसी रुबाइयों में नया अध्याय रचा है। भारतीय दर्शन की दृष्टि से देखें तो उन्होंने ‘है और नहीं है’ के बीच की कैफियत को अपनी शायरी में उभारा है। इस अवसर पर अवार्ड कमेटी के महामंत्री व कार्यक्रम संयोजक अतहर नबी ने लखनऊ से सभी का स्वागत करते हुए फिराक के चंद किस्से कहे। साथ ही बताया कि बगैर किसी सरकारी वित्तीय सहायता के कमेटी के संसाधनों से मार्च में लखनऊ, दिल्ली व मुम्बई में प्रस्तावित यह कार्यक्रम लाकडाउन के कारण टल गया था और अब इस अलग वृहद् रूप में आकार ले पाया है। कमेटी इससे पहले 27 आयोजन दोनो भाषाओं के प्रमुख रचनाकारों पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नियमित रूप से कराती रही है। प्रो.एहतेशाम हसनैन ने डा.नारंग का सानिध्य प्राप्त करना अपना सौभाग्य बताया और कहा कि डा.नारंग की उर्दू साहित्य को जिस दृष्टि से बयान किया है वह नये रास्ते खोलती है। उन्होंने फिराक गोरखपुरी को कालजयी रचनाकार बताया।



डा.मसीहुद्दीन खान के संचालन में चले कार्यक्रम में प्रो.गोपीचंद नारंग के योगदान पर लखनऊ विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष रहे डा.अनीस अशफाक ने उन्हें युग-निर्माता बताते हुए कहा- प्रो.नारंग हमारे समय के उन बुद्धिजीवी और प्रतिष्ठित साहित्यकारों में से हैं जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी बौद्धिक क्षमता का परिचय दिया है। प्रकृति ने उनके अंदर बहुत सारी असाधारण प्रतिभाएं एकत्रित की है। वह साहित्यकार भी हैं और प्रखर वक्ता भी। वह एक कुशल विचारक भी है और अनुभवी व्याख्याता भी है। वह बहुत सी ऐसी महत्वपूर्ण पुस्तकों के लेखक हैं जिन्होंने शायरी व कथा साहित्य की पुनव्र्याख्या में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की हैं। उर्दू शायरी, नज्म और गजल पर उनके द्वारा रचित तीन वृहद् पुस्तकें पूरी उर्दू शायरी की विस्तृत एवं प्रमाणिक आख्या हैं। इनकी विश्वप्रसिद्ध किताब साख्तियात पससाख्तियात और मशरिकी शेरियात ने उर्दू मे नई आधुनिक आलोचना की नींव डालकर इसे भविष्य के लिए मजबूत किया है। हाल ही में मिर्जा गालिब पर उनकी अत्यंत महत्वपूर्ण किताब ने गालिब के अध्ययन हेतु एक ऐसी नई राह प्रशस्त की है, जहां अब तक किसी ने दृष्टि नहीं डाली थी। उन्होंने भाषा एवं साहित्य संबंधी विभिन्न विषयों पर अनेकों राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय गोष्ठियों का आयोजन अविस्मरणीय योगदान किया है। पूरे उर्दू जगत में नारंग के व्यक्तित्व की पहचान आज एक युग-निर्माता के तौर पर होती है। अंत में डा.एहतेशाम हुसैन ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम यूट्यूब व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी जीवंत प्रसारित हो रहा था।