झोलाछाप के इंजेक्शन से मरीज की मौत,

फ़तेहपुर। 


सरकारी डॉक्टर झोलाछाप के यहां करते रहे आपरेशन 


जिलाधिकारी की सख्ती के बाबजूद स्वास्थ्य विभाग में कोई ख़ास सुधार नहीं हो पा रहा है उसका कारण विभाग में पहले से ही व्याप्त जबरजस्त भ्रष्टाचार है। इस विभाग की ही कृपा से जिले में सैकड़ों झोलाछाप परवान चढ़ रहे हैं और आम आदमी के करोड़ों रुपये के न्यारे द्वारे कर रहे हैं, वहीं शहर में अवनी नर्सिंग होम पर बड़ी कार्यवाही होने के बावजूद अभी तक यह झोलाछाप सबक नहीं ले पाए हैं, बताया जाता है कि शहर के अवैध निजी चिकित्सालयों को चलवाने में सरकारी डॉक्टरों व बेहोशी के डॉक्टरों की अहम भूमिका है और यह बेखौफ़ होकर अवैध अस्पतालों में रुपये लेकर आपरेशन करने जाते हैं। इनके बेखौफ़ होने का ताजा उदाहरण बीते दिन तब देखने को मिला जब शहर क्षेत्र के रमवा रोड़ पर रामशरण शर्मा के फर्जी चिकित्सालय शर्मा क्लीनिक में एक मरीज बेनीमाधव की इलाज के दौरान मौत हो गई, मौत हो जाने पर परिजनों ने डॉक्टर पर गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया।बड़ी देर तक रोड पर यह ड्रामा चलता रहा और वहां पुलिस और मीडिया दोनों पहुंच गई। उधर वहीं से कुछ ही दूरी पर युवराज सिंह डिग्री कॉलेज के समीप स्थित एक अवैध निजी चिकित्सालय में दो जांबाज लुटेरे डॉक्टर एक मरीज का ऑपरेशन करते रहे, और अपना काला धन लेकर चलते बने। इन्हें यह भी खौफ नहीं था कि समीप में ही एक फर्जी क्लीनिक में एक की मौत हो गई है और कभी भी कोई अधिकारी आ सकता है।वहीं बेहोशी वाले डॉक्टर ने अपनी बचत के लिए अपनी वरना कार शांतिनगर पेट्रोल टँकी के पास खड़ी कर दी थी, आपरेशन में बेहोशी देने के बाद वह सरकारी डॉक्टर उस नर्सिंग होम से पैदल निकलकर अपनी गाड़ी तक पहुंचा और वहां से लौटकर कर समीप के ही दूसरे नर्सिंग होम में कुछ समय बैठा रहा फिर अपने अगले लक्ष्य की ओर निकल पड़ा। वहीं सर्जरी करने वाला डॉक्टर सफेद कलर की अपाचे बाइक में एक दलाल के साथ बैठकर आया और वह भी आपरेशन निपटाकर अपने अगले लक्ष्य को ओर निकल पड़ा। वहां से निकलने के बाद सर्जरी करने वाला डॉक्टर सदर अस्पताल आया। अब सोचने की बात यह है कि आखिर यह सरकारी डॉक्टर इतने बेखौफ़ कैसे हो गए, इन पर कौन कार्यवाही करेगा। तो आपको बता दें कि यह तभी सम्भव हो जाता जब शांतिनगर में अवनी नर्सिंग होम पर छापा पडा था वहां एक सरकारी डॉक्टर ने बेहोशी दी थी मगर उसके बचने बचाने के पीछे बड़ा खेल है वह जल्द ही उजागर भी होगा। अगर यह उसी वक्त जेल भेज दिया जाता तो दूसरे सरकारी डॉक्टरों जो प्राइवेट में जाकर इलाज और सर्जरी करते हैं उन पर मजबूत लगाम लगाई जा सकती थी। मगर अभी भी सरकारी डॉक्टर अपनी जेब भरने की चक्कर मे अवैध चिकित्सालयों को पूरी सेवाएं दे रहे हैं और योगी सरकार की बैंड बजाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं।