पत्रकारों के हितों के लिए की गई ये सकरात्मक पहल चापलूसों और पत्रकारों के गुटों के कारण नकारात्मक बन गयी।

लखनऊ। विधानसभा सत्र से पूर्व, पत्रकारों को विधानसभा नियमों एवं कवरेज के अनुभव एवं प्रिशिषण हेतु कल दिनांक 04.02.2019 को उत्तर प्रदेश विधान सभा द्वारा संसदीय पत्रकारिता संगोष्ठी का आयोजन किया गया । विधानसभा के इतिहास में ऐसी संगोष्ठी का आयोजन पहली बार किया गया जिसके लिए विधानसभा अध्यक्ष  हृदय नारायण दीक्षित जी और प्रमुख सचिव विधान सभा प्रदीप दुबे  के प्रयासों को सभी पत्रकारों ने सराहा और प्रशंसा भी की। पत्रकारों के हितों के लिए की गई ये सकरात्मक पहल चापलूसों और पत्रकारों के गुटों के कारण नकारात्मक बन गयी। मुख्यमंत्री के उद्घाटन सत्र की समाप्ति पर पत्रकार जल पान के लिए क्या उठे , कार्यक्रम के मुख्य भाग के लिए वापस तिलक हाल के अंदर आये ही नही । पत्रकारों को निमंत्रण पत्र जारी करने में भी चाटुकारों का बोलबाला रहा, राज्य मुख्यालय मान्यता समिति के चुनाव में जो हाथ फैला फैला कर या हाथ जोड़ जोड़ कर वोट मांगते थे आज कंधे पर संगोष्ठी का झोला टाँगे 56 इंच का सीना फुला कर घूम रहे थे । संगोष्ठी के दूसरे सत्र में ही पत्रकारों की गुटबाज़ी मंच पर दिखाई देने लगी । एक गुट के मठाधीश मंच पर आसीन हुए तो दूसरे गुट के मठाधीश भी मंच पर आकर आसीन हो गए। एक गुट के लोग जो संख्या बल में हावी थे दूसरे गुट के मठाधीश को लगातार अनदेखा, नज़रंदाज़ किया जिसका दर्द मठाधीश द्वारा राज्यपाल को धनयवाद भाषण करते वक़्त बाहार आ ही गया, संगोष्ठी थी पत्रकारों के लिए लेकिन खाली कुर्सिया भरने के लिए भाड़े के लोग भी भारी संख्या में बुला लिए गए ।
यह कार्यक्रम उसी समय अपनी दिशा दशा भटक गया जब आमन्त्रण पत्र वितरण में गुटबाजी हाबी हो गया। कार्यक्रम में विधानसभा कवरेज करने के लिए नए और गैर अनुभवी पत्रकारों को प्रशिक्षित करना था किंतु इस आमन्त्रण पत्र की सूची से उनका नाम गायब था।
मंचासीन होने की होड़ में पत्रकार नेता अपने वोटर पत्रकारों की उपेक्षा करने से कतई नही चूके।भगवान इन नेताओं को सद्बुद्धि दे।खाली कुर्सियां देख कर आयोजको के माथे पर जरूर पसीना आया होगा।
ये चुनावी नेता हर पत्रकार और सरकार के बीच के आयोजनों में अपनी दादागिरी दिखाने से बाज नही आते। पेशे से पत्रकार कम लाइजनर ज्यादा दिखने वाले इन पत्रकारों की तूती शासन प्रशासन में भले ज्यादा हो किन्तु ऐसे कार्यक्रमों में यही लाइजनर पत्रकार सरकार और शासन की किरकिरी कराने से जरा भी नही चूकते और इन्ही पत्रकारों के कारण आज यह कार्यक्रम फ़्लाप शो साबित हुआ। यह बात अलग है कि अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना।