केजीएमयू के डाक्टरों में मचा हड़कंप

डॉक्टरों की अवैध कमाई का जरिया बन गई कैंसर की दवा
कैंसर दवाओं की खरीद में घपले का भंडाफोड़
लखनऊ। कैंसर में काम आने वाली महंगी दवा कीमोथेरेपी डॉक्टरों की अवैध कमाई का जरिया बन गई हैं। आय से अधिक संपत्ति के मामले में फंसे केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजीव गुप्ता व उनकी पत्नी पर सीबीआई का शिकंजा कस गया है। इससे केजीएमयू में हड़कंप मच गया है। सूत्रों के मुताबिक केजीएमयू के कुछ डॉक्टर महानगर के एक मेडिकल स्टोर पर मिलने वाली दवाएं ही लिखते हैं।
रेलवे अस्पताल में लोकल परचेज के बजट से खरीदी गई कैंसर की दवाओं में घपला उजागर हुआ था। यह मामला 2०12 से 2०14 के बीच का था। इसकी रेलवे अस्पताल में तैनात डॉ. सुनीता गुप्ता की सीबीआई ने जब जांच शुरू की तो उसकी आंच उनके पति व केजीएमयू रेडियोथेरेपी विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव गुप्ता पर भी आई। दोनों के आय-व्यय का ब्योरा कमाई से 86 गुना ज्यादा मिला। इसी आधार पर सीबीआई ने शनिवार को डॉक्टर दंपति पर मुकदमा दर्ज कराया है। सीबाआई अधिकारियों का कहना है कि सुबूत जुटाने के लिए केजीएमयू के डॉक्टर व कर्मचारियों से पूछताछ की जा सकती है। डॉ. राजीव गुप्ता के कमरे के अलावा अन्य डॉक्टरों की पड़ताल कर सकती है। केजीएमयू के कई डॉक्टरों ने कैंसर की दवा व पैथोलॉजी की जांच के जरिए अवैध कमाई जुटा ली है।
सभी विभागों में कीमोथेरेपी का धंधा: सुपर स्पेशियालिटी इलाज का दावा करने वाले केजीएमयू में कीमोथेरेपी कमाई का अहम जरिया बन गई है। मोटे कमीशन के लालच में डॉक्टर महंगी दवाएं मरीजों को लिख रहे हैं। हालात यह है कि रेडियोथेरेपी में रेडिएशन से कैंसर का इलाज होता है, लेकिन इस विभाग के डॉक्टर रेडियोथेरेपी से ज्यादा कीमोथेरेपी चढ़ाने में दिलचस्पी दिखाते हैं।
महानगर का मेडिकल स्टोर डॉक्टरों की पंसद: केजीएमयू के डॉक्टर सबसे ज्यादा महानगर स्थित एक मेडिकल स्टोर की दवाएं लिखते हैं। यहां दो से तीन हजार रुपये वाली दवा 19 से 2० हजार रुपये में मरीज खरीदने को मजबूर हैं। महंगी दवाओं की खरीद में करोड़ों के वारे-न्यारे किए हैं। 1० हजार से लेकर तीन लाख तक के इंजेक्शन खरीदवाए जा रहे हैं। बेबस कैंसर मरीजों का दर्द केजीएमयू के डॉक्टर बढ़ा रहे हैं।
रेलवे अस्पताल ही नहीं केजीएमयू में लोकल परचेज की दवाओं में घपले का भंड़ाफोड़ हो चुका है। केजीएमयू के पूर्व कुलपति डॉ. रविकांत ने लोकल परचेज से महंगी दवाओं के खेल को उजागर किया था। पहले डॉक्टर ने प्रस्ताव भेजकर सेंट्रल स्टोर में एंटी कैंसर व एंटीबॉडी की महंगी दवाएं मंगवाई थी। यह दवा स्टोर में आने के बाद मरीजों को लिखना बंद कर दिया। लाखों की यह दवाएं डंप रहीं। खास ब्रांड की उसी सॉल्ट की महंगी दवाएं लोकल परचेज से खरीदने का धंधा शुरू कर दिया। सात अप्रैल 2०17 को डॉक्टर को नोटिस दिया गया। वहीं,वर्ष 2०15 में रेडियोथेरेपी विभाग से 14 लाख की दवाएं गायब कर दी गईं थीं। रातों रात महंगी दवाएं बाजार में बेच दी गईं थी। रंगे हाथ पकड़े गए वार्ड ब्वॉय को नौकरी से निकाल दिया गया था। जोर-जुगाड़ के बूते मामले को दबा दिया गया था।


राजेश राय, कुलसचिव, केजीएमयू ने बताया मुकदमा दर्ज होने मात्र से कोई अपराधी नहीं हो सकता है। सीबीआई से कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। पत्र मिलने के बाद ही नियमानुसार कार्रवाई की जा सकती है।
डॉ. राजीव गुप्ता, रेडियोथेरेपी विभागाध्यक्ष, केजीएमयू ने बताया कि बाइक से चलता हूं। घर बनवाने व बच्चों की पढ़ाई के लिए सैलरी से पैसे जुटाए, जो छापेमारी के दौरान चले गए। पैसे के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई है।