आवासीय भवनों में ऊर्जा दक्षता अत्यन्त आवश्यक ; ब्रजेश पाठक
भविष्य में अतिरिक्त ऊर्जा की मांग को पूरा करेगा

आवासीय भवनों में ऊर्जा दक्षता विषयक दो दिवसीय कार्यशाला का  पाठक ने किया समापन

 

लखनऊ, । उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त ऊर्जा óोत मंत्री  ब्रजेश पाठक ने कहा है कि वर्तमान परिवेश में नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा óोतों के संरक्षण हेतु अधिक से अधिक प्रयत्न करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऊर्जा की बढ़ती मांग तथा पारम्परिक ऊर्जा óोतों के तेजी से दोहन के कारण खनिज ऊर्जा óोत कुछ वर्षों में समाप्त हो जायेंगे। ऐसी स्थिति में भविष्य में अतिरिक्त ऊर्जा óोत ही ऊर्जा की मांग को पूरा करेंगे। 

श्री पाठक आज यहां गोमती नगर स्थित रेनेशां होटल में आवासीय भवनों में ऊर्जा दक्षता विषयक आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ऊर्जा संरक्षण के प्रति कटिबद्ध है। सरकार द्वारा ऊर्जा संरक्षण हेतु काफी प्रयास किये जा रहे हैं। यह सरकार की प्राथमिकता है कि ऊर्जा बचत पर अधिक से अधिक ध्यान दिया जाय। उन्होंने कहा कि भवनों में खपत होने वाली ऊर्जा कुल ऊर्जा खपत का लगभग 33 प्रतिशत है। अतः ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में भवनों में ऊर्जा बचत का विशेष महत्व है। इसके दृष्टिगत सरकार द्वारा वाणिज्यिक भवनों हेतु उत्तर प्रदेश एनर्जी कन्जर्वेशन बिल्डिंग कोड (यूपीईसीबीसी) हेतु अधिसूचना जारी की गयी है। इसमें यह प्राविधानित है कि राज्य के ऐसे सरकारी भवनों का निर्माण, जिनके अभिकल्पन कार्य पूर्ण न किये गये हों, वे ऊर्जा संरक्षण भवन संहिता-2018 के कार्यक्षेत्र से आच्छादित होंगे। इसी क्रम में आवास विभाग, उ0प्र0 द्वारा भवन संहिता में ईसीबीसी को अंगीकार किया गया है। इसलिए प्रदेश में भवनों में ऊर्जा दक्षता कार्यों को बढ़ावा देते हुए ईसीबीसी क्रियान्वयन कार्यों को गति दी जा रही है। 

अतिरिक्त ऊर्जा óोत मंत्री ने कहा कि प्रदेश में गतवर्ष अधिसूचित ईसीबीसी-कोड केवल वाणिज्यिक भवनों एवं सरकारी भवनों में ऊर्जा बचत हेतु लागू किया गया है। परन्तु भवनों का बड़ा भाग आवासीय भवनों के रूप में निर्मित हो रहा है, जिसमें ऊर्जा संरक्षण की संभावनाएं व्यापक हैं। आज के इस वर्कशाप में ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, भारत सरकार द्वारा आवासीय भवनों हेतु अभिकल्पित ईसीबीसी-कोड के प्रारूप पर चर्चा की गयी। उन्होंने कहा कि इस कोड को भारत सरकार द्वारा अंतिम रूप दिये जाने के उपरान्त शीघ्र ही आवासीय भवनों में प्रदेश में इसे लागू किया जायेगा।उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा तैयार किये गये ईसीबीसी-कोड (आवासीय) को अंतिम रूप दिये जाने से पहले विभिन्न स्टेक होल्डर यथा-बिल्डर्स, विकासकर्ता, आर्केटेक्ट्स, टाउन प्लानर्स एवं संबंधित शासकीय विभागों के साथ हुए विचार-विमर्श में इंगित बिन्दुओं पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया जाय, इसके उपरान्त प्रदेश में कोड को लागू किया जायेगा, जिससे कि कोड सभी स्टेक होल्डर्स के लिए हितकारी सिद्ध हो सके।

श्री पाठक ने अपने सम्बोधन में स्पष्ट किया कि प्रदेश में आवासीय भवनों हेतु ईसीबीसी- कोड लागू होने के उपरान्त निजी आवासीय भवनों, ग्रुप हाउसिंग, बहुमंजिला आवासीय भवनों इत्यादि में ऊर्जा खपत को 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के माध्यम से संबंधित क्षेत्रों यथा-भवन निर्माण उद्योग से जुड़े प्रतिनिधियों, भवन नियोजन हेतु जिम्मेदार आर्केटेक्ट्स एवं सरकार के संबंधित विभागों के अधिकारीगणों के साथ-साथ भारत सरकार एवं जी0आई0जेड0 आदि के प्रतिनिधियों के उपस्थित होने से सरकार का आवासीय भवनों में ऊर्जा संरक्षण का महत्व और होगा। उन्होंने कहा कि संबंधित स्टेक होल्डर्स एवं उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारीगण इस विषय पर और अधिक रूचि लेकर भवनों में खपत होने वाली ऊर्जा का अधिकाधिक बचत सुनिश्चित करने के लिए ठोस रणनीति तैयार करें।

प्रमुख सचिव ऊर्जा श्री आलोक कुमार ने आवासीय भवनों में ऊर्जा दक्षता विषय पर बोलते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ऊर्जा संरक्षण पर विशेष जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि ईसीबीसी-कोड 2018 पर आधारित 112 बिल्डिंग का निर्माण प्रदेश में किया जा रहा है जो कि बहुत कम समय में हुआ। विद्युत की खपत को बचाने के लिए यह कदम बहुत सराहनीय है।

इस अवसर पर अतिरिक्त ऊर्जा óोत विभाग के निदेशक श्री सुशील कुमार पटेल, सचिव/मुख्य परियोजना अधिकारी श्री आलोक कुमार एवं ब्यूरो आॅफ एनर्जी एफिशिएन्सी (बीईई) के निदेशक श्री सौरभ, वास्तुविदों एवं अभियंताओं सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।