नीति आयोग की बैठक में राज्यों से आय बढ़ाने में सहभागिता निभाने का आग्रह

17 वीं लोकसभा के चुनाव परिणामों और नरेन्द्र मोदी की दोबारा ताजपोशी के बाद यह पहली और महत्वपूर्ण बैठक रही। केन्द्र सरकार के इस साल के पूर्ण बजट के पहले नीति आयोग की बैठक का आयोजन इस मायने में भी महत्वपूर्ण हो जाता है कि आगामी बजट व वित्तीय वर्ष के लिए राज्यों के लिए पर्याप्त राशि व उसके समय पर पुनर्भरण की समयबद्धता सुनिश्चित हो सके। नीति आयोग की बैठक को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने 2०24 तक देश की अर्थव्यवस्था को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के लिए 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने के लक्ष्य को दोहराया। इसके लिए उन्होंने राज्यों से आय बढ़ाने, रोजगार के अवसर सृजित करने और निर्यात को बढ़ावा देने में सहभागिता निभाने का आग्रह भी किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वयं नीति आयोग की बैठक में स्वीकारा है कि देश में जल संकट बड़ी समस्या बन गया है। नदियों को जोड़ने या जल संरक्षण कार्यों व जल संग्रहण की परंपरागत संरचनाओं को संरक्षित करने के साथ ही प्रधानमंत्री के 'हर घर नल' के नारे को फलीभूत करने के लिए ही जल शक्ति महकमा गठित किया गया है। इस जल शक्ति विभाग को जल्दी से जल्दी राज्यों से समन्वय बनाते हुए रोडमैप तैयार करना होगा, ताकि इस समस्या पर ठोस कार्य हो सके। पूर्वी राजस्थान जल परियोजना जैसी देशभर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की घोषणाओं व राज्यों से प्राप्त नदी घाटी परियोजनाओं को प्राथमिकता देनी होगी। नदियों को जोड़कर व्यर्थ जाने वाले पानी का उपयोग किया जा सकता है। सरकार को अत्यधिक भूमिगत जल के दोहन से किनारा करना होगा और जल संग्रहण के माध्यम से ही जल समस्या से निपटना होगा।
नीति आयोग की बैठक में केन्द्र सरकार व राज्यों का एजेण्डा उभर कर आ गया है। रोजगार, स्वास्थ्य, पानी, खेती-किसानी केंद्र सरकार की पहली प्राथमिकता में हैं। अच्छी बात यह कि राज्य सरकारें भी इन मुद्दों पर लगभग सहमत हैं। ऐसे में 'सबका साथ, सबका विकास व सबका विश्वास' के मूल मंत्र को आगे बढ़ाते हुए परस्पर सहयोग से राष्ट्रीय मुद्दों व समस्याओं के हल का रोडमैप तैयार करके नीति आयोग आगे आए तो निश्चित रुप से सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। यह अपने आप में सराहनीय है कि नीति आयोग की बैठक में अपवाद को छोड़कर सभी राज्यों के मुख्यमंत्री राजनीतिक विचारधारा से ऊपर उठकर आगे आए हैं। अब नीति आयोग और केन्द्र सरकार को भी इसी सोच के साथ आगे आना होगा, ताकि केन्द्र व राज्यों के बीच टकराव की नहीं अपितु सहभागिता की भूमिका तय हो सके। आशा की जानी चाहिए कि आने वाले समय में देश में इसी तरह की राजनीतिक परिपक्वता देखने को मिलेगी।
नीति आयोग की बैठक में राजनीतिक परिपक्वता की झलक देखने मिली। यह इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है कि पिछले दिनों आम चुनाव के दौरान सियासी दलों में काफी कटुता देखने को मिली थी। हालांकि विकास के मसले पर अधिकांश राज्य सरकारें एक साथ दिखीं। नीति आयोग की यह बैठक देश के लिए सकारात्मक संदेश है। पंजाब के मुख्यमंत्री स्वास्थ्य कारणों से और तेलंगाना के मुख्यमंत्री अपनी पूर्व निर्धारित व्यस्तताओं के कारण बैठक में हिस्सा नहीं ले पाए। शेष सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों ने नीति आयोग की बैठक में हिस्सा लिया।