मायावती अपना अतीत देख लें कि किस तरह वे स्वयं भी भ्रष्टाचार में डूबी थीं : भाजपा
भारतीय जनता पार्टी  प्रदेश प्रवक्ता हरिश्चन्द्र श्रीवास्तव ने गुरुवार को कहा कि लापरवाह अफसरों की छुट्टी योगी सरकार की प्राथमिकता है। जनहित के खिलाफ भ्रष्टाचार व शिथिलता बरतने वाले अफसरों पर गाज गिरती रहेगी। वहीं, आने वाले 31 मार्च तक 50 वर्ष के उन अफसरों की छुट्ट हो जाएगी, जो अपने काम में लापरवाही बरत रहे हैं।  प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्ट व शिथिल अफसरों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति देकर घर भेज रही है और उप्र में योगी सरकार लापरवाह अफसरों पर शिकंजा कस रही है। प्रवक्ता ने दावा किया है कि ढाई साल सरकार के कार्यकाल में योगी सरकार ने 201 भ्रष्ट व नाकारा अफसरों व कर्मचारियों को समय पूर्व सेवानिवृत्ति और 217 अफसरों को कड़ा दंड देकर सख्त संदेश दिया है। 


उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जनता के प्रति जवाबदेह सरकार है। जनता के प्रति और विकास कार्यों को लेकर अफसरों व कर्मचारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। प्रदेश के अफसरों को अब या तो सुधर जाना होगा या सख्त कार्रवाई के लिये तैयार रहना होगा।   

श्रीवास्तव ने कहा कि सपा व बसपा के कार्यकाल में औद्योगिक विकास के क्षेत्र में उप्र देश का सबसे पिछड़ा राज्य हो गया था। लेकिन योगी सरकार ने महज ढाई साल में सबसे तीव्र औद्योगिक विकास वाले राज्यों में शामिल करा दिया है। एक ओर पांच लाख करोड़ रुपये के निवेश वाली समिट में अधिकांश समझौते धरातल पर उतर रहे हैं तो आगामी 28 व 29 जुलाई को  60285 करोड़ रुपये की 215 परियोजनाओं का शिलान्यास होगा। प्रवक्ता ने कहा कि एक जिला एक उत्पाद योजना के माध्यम से प्रदेश के सभी जिलों को विशिष्ट उत्पाद का हब बनाया जा रहा है। प्रदेश की इतनी तरक्की और खुशहाल जनता देखकर सपा, बसपा व कांग्रेस मुद्दा विहीन होकर अनर्गल व तथ्य हीन बातें कर रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश में पहली बार अपराधियों को उसी भाषा में समझाया जा रहा है, जिसे वे समझते हैं। अराजकता व अपराधियों को पोषने वाली पार्टी सपा अनर्गल बयानबाजी बंद कर अपनी गिरेहबान में झांके। उनके मंत्री व पार्टी के अभिन्न सहयोगियों पर बलात्कार, हत्या, बलवा, दंगा, निर्दोष जनता के जमीनों पर अवैध कब्जे, भ्रष्टाचार, घोटाला जैसे गंभीर आरोप आये दिन लगते थे। बसपा सुप्रीमो मायावती अपना अतीत देख लें कि किस तरह वे स्वयं भी भ्रष्टाचार में डूबी थीं और अपने भ्रष्ट मंत्रियों, अफसरों व पार्टी नेताओं को बचाना ही शासन का मकसद समझती थीं।