शारिब साहब का रचा साहित्य सृजन की नवीनता का अनुभव कराता है

हिन्दी उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी व अदबी संस्थान का संयुक्त आयोजन 
 उर्दू समालोचना की बुलंद आवाज : प्रो.शारिब रुदौलवी
बहादुर शाह जफर अवार्ड पाने वाले रचनाकार के सम्मान में हुई संगोष्ठी, षायरों ने पढ़े कलाम 
लखनऊ, । डा.शारिब रुदौलवी ने उर्दू समालोचना को नये आयाम दिये। उनकी बांधे रखने वाली रोचक शैली से रचनाओं की ग्राह्यता सहज हुई। साथ ही उन्होंने कई पीढ़ियों को शिक्षित किया तथा नैतिकता का बोध कराया। ये विचार समारोह के अध्यक्ष डा.अनीस अंसारी ने यहां कैपिटल सभागार में हिन्दी उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी और अदबी संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में डॉ,शारिब रुदौलवी के सम्मान में समारोह में व्यक्त किये। समारोह डा.शारिब को दिल्ली उर्दू अकादमी से बहादुर शाह जफर अवार्ड प्राप्त होने के उपलक्ष्य में आयोजित था। 
इरफान लखनवी की नातख्वानी और हसन काजमी के संचालन में प्रारम्भ कार्यक्रम में लेखक व रंगनिर्देषक रंगकर्मी विलायत जाफरी ने डा.शारिब रुदौलवी द्वारा उर्दू कविता के महानायक मीर अनीस पर किये शोध को मील का पत्थर बताया। श्री जाफरी ने कहा कि शायरी से तनकीद की तरफ आये डा.शारिब ने अपनी सूक्ष्म दृष्टि से समालोचना को कभी बोझिल नहीं होने दिया। शायर अतहर नबी ने कहा कि आज जब अधिकांष वरिष्ठ उर्दू समालोचकों के कलम लगभग खामोश हो चुके हैं, समालोचना की थकन से सुरक्षित प्रो.शारिब की लेखनी की ताजगी में कोई अंतर नहीं आया है। वे समालोचना की बुलंद आवाज बनकर उभरे हैं। विशिष्ट अतिथि सुबूर उस्मानी आईआरएस ने कहा कि उर्दू साहित्य दर्शन के लिए हमें शारिब साहब की पुस्तकों से जुड़े रहने की हर संभव कोशिश करना चाहिए। डा.सुल्तान शाकिर हाशमी ने कहा शारिब साहब का रचा साहित्य सृजन की नवीनता का अनुभव कराता है। अदबी संस्थान के अध्यक्ष तरुण प्रकाश ने उन्हें महान कलमकार होने के साथ शिष्टाचार के शिखर पर बताते हुए कहा कि संस्था की हर गतिविधि में उनकी अनिवार्य मौजूदगी हमारा हौसला बढ़ाती है। वकार रिजवी का कहना था कि उर्दू समालोचना के क्षेत्र में गिने-चुने ही नाम स्थापित हैं। इसी तरह जदीदियत, माबाद जदीदियत के पैमाने बने अवश्य हैं परन्तु, इनके हवाले अधिकतर लिखने वाले बोझिल लेखनी प्रस्तुत कर रहे हैं जबकि, शारिब रुदौलवी की काव्य चेतना से निकला साहित्य ज्ञानवर्धक और हर्षवर्धक है। हिंदी, उर्दू, फारसी व अंग्रेजी के शायर सुहैल काकोरवी ने डा.शारिब को अपने लिये प्रेरक व्यक्तित्व बताते हुए कहा कि मेरी पुस्तक आमनामा की बुनियाद में डा.षारिब ही हंै। उनके स्नेह व आशीष का ही नतीजा है कि उस पुस्तक से मुझे खासी षोहरत मिली। यहां फखरुद्दीन अली अहमद कमेटी के चेयरमैन प्रो.आरिफ अय्यूबी व लखनऊ विश्विद्यालय फारसी विभाग के प्रवक्ता डा.शबीब अनवर ने भी विचार व्यक्त किये। 
इस अवसर पर प्रो.जमाल नुसरत की पुस्तक के विमोचन के संग हसन काजमी, संजय मिश्रा शौक, मोहम्मद अली साहिल, गुफरान नसीम अशअर अलीग, अजय पीड़ित, इरफान लखनवी, कमर सीतापुरी, तौसीफ सिद्दीकी, अरशद सिद्दीकी, अब्दुल वली, मुजम्मिल खान, मुहम्मद सैफ, शेख असद आमिर मुस्तफवी, मसीहुद्दीन खान, पत्रकार जियाउल्लाह सिद्दीकी, अरुणकुमार दबंग, मारूफ खान आदि ने अपनी रचनाओं के माध्यम से आनन्दित किया व दरगाह मीर सय्यद हुसैन चश्ती के  सज्जादानशीन शेख मोहम्मद अतहर फाखरी के संग ही यहां अन्य रचनाकार भी उपस्थित थे। दोनों संस्थाओं की ओर से प्रोफेसर शारिब रुदौलवी को प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया गया। अंत में संयोजक अनवर हबीब अल्वी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।