एकीकृत बागवानी विकास मिशन ![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcy80NHBGDZ8GzW_PXzkrY-TitDPFhzYfRmzHuL36RGFJNo49XnZLw4zdC2sAsR_oBMiiB5f2ve9ZWkladu_aXf2sA8SHJVhpYgUrjC0UYX3zrBXHCqr3q-crNbpC2eaYnivRRSzrlpcN8/)
फल क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के अन्तर्गत इकाई लागत का 50 प्रतिशत तक का अनुदान अनुमन्य
लखनऊ। प्रदेश के उद्यान मंत्री, दारा सिंह चैहान के निर्देशन में राष्ट्रीय कृषि विकास योजनांतर्गत प्रदेश के समेकित बागवानी विकास हेतु 45 जनपदों में एकीकृत बागवानी विकास मिशन संचालित है। उद्यान मंत्री के निर्देशानुसार एकीकृत बागवानी विकास मिशन के पैटर्न पर शेष 30 जनपदांे यथा-गौतमबुद्ध नगर, बागपत, शामली, हापुड़, अमरोहा, बिजनौर, सम्भल, पीलीभीत, एटा, शाहजहाँपुर, बदायूं, कासगंज, अलीगढ़, फिरोजाबाद, औरैया, कानपुर देहात, फतेहपुर, हरदोई, लखीमपुर खीरी, अम्बेडकर नगर, अमेठी, गोण्डा, बलरामपुर, श्रावस्ती, चन्दौली, आजमगढ़, मऊ, देवरिया एवं रामपुर में राष्ट्रीय कृषि विकास योजना संचालित कराई जा रही है।
निदेशक उद्यान, डाॅ0 एसबी शर्मा ने यह जानकारी देते हुये बताया कि वर्ष 2019-20 की कार्ययोजना में खरीफ मौसम में फल क्षेत्र विस्तार कार्यक्रम के अन्तर्गत आम, अमरूद, किन्नों एवं टिश्यू कल्चर केला की खेती हेतु कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं।इस कार्यक्रम के अन्तर्गत अधिकतम् 4 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम, अमरूद एवं किन्नों के लिये इकाई लागत का 50 प्रतिशत, जबकि टिश्यू कल्चर केला के लिये के लिये इकाई लागत का 40 प्रतिशत अनुदान के रूप में उपलब्ध कराया जा रहा है। आम, अमरूद, किन्नों एवं टिश्यू कल्चर केला के लिये क्रमशः 7650 रूपये, 11502 रूपये, 13620 रूपये एवं 30738 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से अधिकतम अनुदान की सुविधा उपलब्ध है।
डाॅ0 शर्मा ने बताया कि विभाग में पूर्ण पारदर्शी व्यवस्था लागू करते हुये प्रथम आवक-प्रथम पावक के आधार पर किसानों का चयन किया जा रहा है। कार्यक्रम का लाभ प्राप्त करने हेतु किसान को सर्वप्रथम पारदर्शी किसान सेवा के पोर्टल नचंहतपबनसजनतमण्बवउ पर अपना पंजीकरण कराते हुए आॅनलाईन आवेदन करना होगा। चयनित कृषकों को आवेदित कार्यक्रम हेतु रोपण सामग्र्री एवं अन्य निवेशों हेतु नकद धनराशि से स्वेच्छानुसार क्रय करने की पूर्ण स्वतन्त्रता प्रदान की गयी है। किसानों को योजनान्तर्गत चयनित फसल का रोपण करने के उपरान्त अनुदान की धनराशि कोषागार से डी.बी.टी. के माध्यम से सीधे उनके बैंक खाते में अन्तरित किये जाने की व्यवस्था है।
निदेशक उद्यान ने कहा कि प्रदेश की जैव विविधता एवं कृषि जलवायु परिस्थितियां विभिन्न प्रकार के औद्यानिक फसलों के उत्पादन हेतु सर्वथा उपयुक्त है। प्रदेश में औद्यानिक फसलों यथा-फल, शाकभाजी, मसाला, आलू, पुष्प आदि के व्यापक क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि कृषि फसलों की अपेक्षा प्रति इकाई क्षेत्र से अधिक आय प्राप्त करने, पोषण सुरक्षा प्रदान करने, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति एवं परिणामस्वरूप प्रदेश के छोटी से छोटी जोत के किसानों के सामाजिक एवं आर्थिक उन्नयन, कुशल एवं अकुशल व्यक्तियों के रोजगार सृजन में औद्यानिक फसलों की महत्वपूर्ण भूमिका है। इस योजना की विस्तृत जानकारी हेतु किसान अपने जनपद के जिला उद्यान अधिकारी अथवा मण्डलीय उपनिदेशक, उद्यान से सम्पर्क स्थापित कर योजना का अधिकाधिक लाभ उठा सकते हैं।