गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव भी नहीं सुधार पा रहे है यूपी की कानून व्यवस्था 

सीएम अब एक्शन में हैं, कप्तानों में मचा हुआ है हड़कम्प


त्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधारने के लिए तेजतर्रार आईएएस अवनीश अवस्थी को अरविन्द कुमार के स्थान पर गृह विभाग का अपर मुख्य सचिव बना दिया है, लेकिन फिर यूपी की कानून व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं ले रही है। रूस रवाना होने के पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कानून व्यवस्था को लेकर पुलिस अफसरों को कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि उनके पास कई पुलिस अधिकारियों की शिकायतें आई है कि पैसे लेकर काम कर रहे हैं। ऐसे लोगों को जेल भ्ोजने से परहेज नहीं करेंगे। पुलिस अधिकारी अपने कामकाज में सुधार लाए नहीं तो कार्रवाई के लिए तैयार रहने की हिदायत दे दी है। यहां तक एडीजी और आईजी को जिलों का दौरा करने और वहां की समीक्षा करने के आदेश भी दिये। कुशीनगर में कसया थाने का इंचार्ज शराब तस्करी में लिप्त पाया गया,उसको नौकरी से निकालने के लिए वहां के एसपी गौरव बंसवाल को फटकार लगाई। वहीं दूसरी तरफ प्रयागराज में अपराध की घटनाओं को लेकर एसएसपी अतुल शर्मा को भी फटकार लगाई। लेकिन ऐसे इंस्पेक्टर कप्तानों के कमाऊ पूत होते हैं। इसलिए उन पर कार्रवाई की नौबत आती है तो हर कप्तान खानापूरी करके उन्हें बचाने में लग जाता है।
 योगी का पारा इन दिनों चढ़ा नजर आ रहा है। कभी अपने मंत्रियों पर तो कभी अधिकारियों पर उनका गुस्सा फूट रहा है। उनका मिजाज बताता है कि उन्हें भ्रष्टाचार और लापरवाही बर्दाश्त नहीं है। फिर भी उनके राज में दिया तले अंधेरे की स्थिति अभी तक बनी रही है। बहरहाल, जो भी हो मुख्यमंत्री लगता है कि अब अपने आपे में आ गये हैं। इसलिए गवर्नेंस की लगाम उन्होंने कसना शुरू कर दिया है। 
नन्दगोपाल नंदी, अनुपमा जायसवाल और सिद्धार्थ नाथ सिह को उनका कोप हाल में झेलना पड़ गया है। पुलिस को लेकर तो उनका रूख इतना तल्ख है कि एक हफ्ते में सारे अधिकारी इसके कारण हिल गये हैं। बुलंदशहर के एसएसपी एन कोलांची को उन्होंने थाने बेचने के कारण निलंबित कर दिया। इससे सारे कप्तानों में हड़कम्प मचा हुआ है। हालांकि पुलिस अफसर अब भी सुधर नहीं पा रहे हैं। इस कारण मुख्यमंत्री ने खुलेआम कहा है कि कप्तान साहबान भ्रष्टाचार से बाज आयें वरना उनमें से कुछ लोग जल्द ही जेल में होंगे। मुख्यमंत्री की यह धमकी कितनी दमदार है इसका पता तो आगे चलेगा। फिलहाल लोगों को तसल्ली मिली है कि सीएम अब एक्शन में हैं। 


ऐसे ही 9० प्रतिशत लोग पुलिस में आउट आफ टर्न प्रमोशन से लाभान्वित होकर दरोगा से डिप्टी एसपी तक की पायदान पर पहुंच गये हैं। मुख्यमंत्री को इसकी भी समीक्षा करानी चाहिए। तभी पुलिस की संस्कृति बदल सकेगी। दरअसल पुलिस की गंदगी के लिए केवल कप्तान जिम्मेदार नहीं हैं। नियुक्तियों में लेनदेन और पदों की खरीददारी के खेल में ऊपर तक के अधिकारी शामिल हैं। मुख्यमंत्री को इस बात से भी अवगत होना चाहिए। हालांकि ऐसा लगता है कि मुख्यमंत्री को भी इसकी भनक लग चुकी है लेकिन कुछ राग-विराग ऐसे हैं जिनकी वजह से वे ऊपर के स्तर पर कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। 
मुख्यमंत्री को कप्तानों की नियुक्ति में जातिगत पूर्वाग्रह छोड़ना होगा। तभी वे साफ-सुथरे अधिकारी जिले में पदस्थ कर सकेंगे। कई अधिकारी ऐसे हैं जो वर्षों से महत्वहीन शाखाओं में पदस्थापित हैं जबकि उनकी कोई जांच भी लंबित नहीं है। दूसरी ओर पिछली सरकारों में तत्कालीन सत्तारूढ़ पार्टियों के कार्यकताã बनकर काम करने और लूट-खसोट की इंतहा कर देने वाले अधिकारियों को प्राइज पोस्टिंग मिल रही है। ऐसा क्यों है? यह स्थिति अधिकारियों की नियुक्ति और तबादलों में नीतिविहीनता की द्योतक है। यह स्थिति बदली जानी चाहिए और ट्रांसफर और पोस्टिंग की नीति ऐसी होनी चाहिए जिससे सभी अधिकारियों के साथ न्याय हो सके। तबादला उद्योग के खिलाफ होने के कारण ही मुख्यमंत्री ने कुछ मंत्रियों को फटकारा है, जो ठीक है। लेकिन भ्रष्टाचार और जवाबदेही के मामले में अभी बहुत ज्यादा करने की जरूरत है। 
इस समय आम धारणा यह है कि योगी राज में पिछली सरकारों से रिश्वत का रेट दोगुने से चौगुना हो गया है। इसका अर्थ है कि सरकार भ्रष्टाचार को लेकर असहाय है। जब तक सरकार ईओडब्ल्यू, विजीलेंस, इंटेलीजेंस और एन्टीकरप्शन आदि विग को मजबूत नहीं बनायेगी तब तक उसकी लाचारी का निवारण नहीं होगा। योगी सरकार की नीतियों से उत्तर प्रदेश अघोषित तौर पर हिन्दू राष्ट्र में तब्दील माना जाने लगा है। ऐसे में प्रशासन में नैतिक माहौल को बनाने की जिम्मेदारी सरकार के लिए और बढ़ गई है। अगर इस सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ता है तो हिन्दुत्व की बदनामी होगी। क्योंकि, कर्मकांडों का स्थान हिन्दुत्व में साधन का है न कि साध्य का। हिन्दुत्व का साध्य पवित्र स्थितियों का निर्माण करना है। जैसे कि सरकार के स्वयंभू समर्थकों के देशभक्ति की दुहाई देने से देश मजबूत नहीं हो सकता अगर जो दायित्व उन्हें मिला है उसकी पूर्ति वे ईमानदारी से नहीं करते।
फ़ेसबुक और व्हाट्सअप पर ललकारने वाले लोगों को भी अपने बारे में मालूम है कि उनका पराक्रम केवल यहीं तक सीमित है। सीमा पर देश के सामने चुनौती से निपटने के लिए उनमें से शायद ही कोई जाए। लेकिन अगर उनके मन में देशभक्ति वाकई में हिलोरें मार रही है तो जहां देश के लिए उनका फर्ज है वहां उनको इसे निभाना चाहिए। देशभक्ति की हुंकार भरने वाला डॉक्टर अगर सरकारी अस्पताल में मरीजों को देखने की बजाय घर में प्राइवेट प्रैक्टिस करता है, अगर शिक्षक है और कालेज में पढ़ाने की बजाय घर में कोचिग चलाता है, पुलिस में है और अन्याय करने वालों का दमन करने की बजाय पैसे के लिए पीड़ित को ही फंसा देता है, ठेकेदार है और सही निर्माण कराने की बजाय घटिया माल लगाकर भुगतान लेता है तो उसकी देशभक्ति को लानत है। सीएम योगी आदित्यनाथ धर्म के गौरव को बढ़ाना चाहते हैं और कुंभ व तीर्थ स्थलों पर भारी खर्च के औचित्य को सिद्ध करना चाहते हैं तो उन्हें ईमानदारी का माहौल बनाने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहिए। शायद सीएम ने अब इस संकल्प के साथ काम करने की ठान ली है जो बहुत अच्छा है।