डा. नवनीत सहगल ने छः दिवसीय ‘‘सिल्क मार्क एक्सपो’’ का किया शुभारम्भ
प्रदर्शनियों के आयोजन से कारीगरों के कारोबार को मिलेगा बढ़ावा-प्रमुख सचिव

 लखनऊ । उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम, खादी एवं ग्रामोद्योग तथा निर्यात प्रोत्साहन डा. नवनीत सहगल आज यहां कैसरबाग स्थित ''एक्सपो मार्ट'' निर्यात प्रोत्साहन भवन में केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा आयोजित छः दिवसीय ''सिल्क मार्क एक्सपो'' का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के निदेशक रेशम नरेन्द्र सिंह पटेल भी मौजूद थे। एक्सपो के शुभारम्भ के पश्चात डा. सहगल ने मीडिया प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि इस प्रकार की प्रदर्शनी लगाने का मुख्य उद्देश्य कारीगरों को बढ़ावा देना है। हस्तशिल्पियों एवं कारीगरों की कला को विश्वस्तर पर पहचान दिलाने और विपणन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि ”लखनऊ, सिल्क मार्क“ एक्सपो में पूरे देश के सिल्क उत्पादकों के 11 सिल्क क्लस्टरों द्वारा बहुत सारी विविधताओं एवं रंगों के सिल्क उत्पादों का प्रदर्शन किया गया। सभी प्रकार के सिल्क उत्पाद जैसे साड़ी, ड्रेस मैटेरियल, रूमालें, वस्त्र, बेडशीट्स, तकिया कवर व अन्य रेशम उत्पाद भारत के सभी रेशम बुनाई बहुल क्षेत्रों द्वारा निर्मित उत्पादकों को एक ही छत के नीचे प्रदर्शित किया गया। इंडियन सिल्क की शुद्वता से सभी ग्राहकों को परचित कराया जायेगा।

निदेशक रेशम नरेन्द्र सिंह पटेल ने बताया कि केन्द्रीय रेशम बोर्ड, वस्त्र मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा संचालित ”सिल्क मार्क आॅर्गनाइजेशन आफ इंडिया“ द्वारा सिल्क मार्क एक्सपो के तहत, जो ग्राहक सिल्क के प्रति रूचि रखते हैं, उनके मध्य शुद्व रेशम के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए गम्भीर प्रयास किये जा रहे हंै। ऐसे एक्सपो भारतीय रेशम को ब्राण्ड इमेज प्रस्तुत करने के अलावा बुनकरों, सोेसाइटी, महिला उद्यमी एवं व्यापारियों हेतु एक बड़ा प्लेटफार्म भी उपलब्ध कराते है।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी भारतीय रेशम मार्क संगठन   के.एस. गोपाल ने बताया कि लखनऊ में सिल्क मार्क एक्सपो,2019 का आयोजन का मुख्य उद्देश्य ”सिल्क मार्क“ जो रेशम की शुद्धता की पहचान है के द्वारा गुणवत्ता परख के साथ ग्राहकों को सौ प्रतिशत शुद्व रेशम से निर्मित उत्पाद को उपलब्ध कराना है। साथ ही एवं सम्पूर्ण भारत वर्ष में विभिन्न सिल्क क्लस्टर से निर्मित सभी चार प्रकार के रेशम (मलबरी, तसर, एरी व मूगा) को उन्नत करना है।