डॉ दिनेश शर्मा ने लखनऊ विश्वविद्यालय में सेवानिवृत्त शिक्षकों को किया सम्मानित’
लखनऊ  ।  भारतीय समाज में गुरू को  सबसे श्रेष्ठ माना गया है। उनकी तुलना ईश्वर से की गयी है। शिक्षक नयी पीढ़ी का सृजन करता है। शिक्षक जीवन पर्यंत शिक्षण कार्य से जुड़ा रहता है, वह कभी सेवानिवृत्त नहीं होता। शिक्षक को सेवावृत्त कहना चाहिए ना कि सेवानिवृत्त। प्रदेश के उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने आज यहां लखनऊ विश्वविद्यालय के मालवीय सभागार में लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा आयोजित सेवानिवृत्त शिक्षक सम्मान समारोह के अवसर पर यह विचार व्यक्त किया। इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के गत वर्ष सेवानिवृत्त हुए कुल 08 शिक्षक/शिक्षिकाओं को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही आज प्रदेश सरकार द्वारा शिक्षक श्री सम्मान से सम्मानित लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर पूनम टंडन को भी सम्मानित किया गया।

उप मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा विश्वविद्यालयों/राजकीय महाविद्यालयों एवं अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के  शिक्षकों को सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के आधार पर आवास भत्ता दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्ववित्तपोषित अध्यापकों की सेवा नियमावली के लिए जल्द ही गाइडलाइन जारी की जाएगी। 

डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि प्रदेश सरकार गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव उपाय करेगी। प्रदेश सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में अमूल चूल बदलाव लाकर शिक्षा व्यवस्था में व्यापक गुणात्मक परिवर्तन किया है। इस अवसर पर उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय में भविष्य में ज्योतिष केंद्र खोले जाने तथा लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ द्वारा दिए गए सुझाव पर सहानुभूति पूर्वक विचार किया जाएगा।

इस अवसर पर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसपी सिंह ने कहा कि शिक्षक के दायित्व का सीमांकन नहीं किया जा सकता, शिक्षक के दायित्व असीम होते है।ं चाहे कितनी भी तकनीकी प्रगति हो जाए, शिक्षक का कोई दूसरा विकल्प नहीं हो सकता । शिक्षक के ज्ञान का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता। शिक्षक द्वारा दिया गया ज्ञान केवल क्लास रूम तक सीमित नहीं होता।  मालवीय सभागार में आयोजित शिक्षक सम्मान समारोह के अवसर पर लूटा के अध्यक्ष तथा महामंत्री सहित लखनऊ विश्वविद्यालय के शिक्षक गण एवं काफी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित थे।