...जब योगी ने पद संभाला था, तब अर्थव्यवस्था, विकास, कानून व्यवस्था की दशा खराब थी 

त्रिनाथ कुमार शर्मा 


ढाई वर्ष में योगी सरकार की उपलब्धियां अभूतपूर्व हैंअब तक प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश हो चुका है
सपा सरकार ने बड़े राजकोषीय घाटे व ऋण बोझ के साथ खजाना छोड़ा था


योगी ने यह साबित कर दिया कि यदि व्यक्ति में इच्छा शक्ति हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है
योगी सरकार के ढाई साल पूरे हो गए लेकिन विपक्ष के हाथ खाली है
केन्द्रीय नेतृत्व के सामने योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक कद और बढ़ा


योगी आदित्यनाथ सरकार ने 19 सितंबर अपने कार्यकाल के ढाई वर्ष पूरे किए। वर्ष 2०17 के विधानसभा चुनाव में पहली बार प्रचंड बहुमत के साथ सत्तारूढ़ हुई भारतीय जनता पार्टी को सरकार संभालने के साथ विरासत में जर्जर वित्तीय स्थिति के साथ ध्वस्त कानून-व्यवस्था मिली थी। 
राज्य में अपराध पर लगाम लगाए जाने की बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी बेहतर कानून व्यवस्था के चलते गुजरे ढाई सालों में दुर्दांत अपराधी राज्य से बाहर चले गए हैं। डकैती की घटनाओं में 54 फीसदी की कमी आई है । हत्या के मामलों में 15 फीसदी और लूट की घटनाओं में 43 फीसदी की कमी आई है । जबकि अपहरण के मामलों में 3० फीसदी और बलवा की घटनाओं में 38 फीसदी की कमी आई है। 
हालांकि योगी सरकार के सत्तारूढ़ होने से पहले पूर्ववतीã दो सरकारे भी पूर्ण बहुमत की रही बावजूद इसके उन सरकारों ने प्रदेश की बेहतरी के उतने प्रयास नहीं किए जितने योगी सरकार ने इन ढाई सालों मे करके दिखा दिए। पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने चुनौतियां अपार थी। जिसका उन्होंने एक-एक करके सामना किया। 
ढाई वर्ष पहले उत्तर प्रदेश में हुआ राजनीतिक परिवर्तन अप्रत्याशित था। इसके पहले प्रदेश की राजनीति सपा और बसपा के दायरे में सिमटी थी। मतदाता एक से नाराज हुआ तो दूसरे को ले आया, उससे नाराज हुआ तो पहले वाले को बहुमत दे दिया। लेकिन इन प्रयोगों के बाद भी जनाकांक्षा पूरी नहीं हुई। प्रदेश में विकास के अनुकूल माहौल नहीं बना। औद्योगिक रूप से प्रदेश बीमारू ही बना रहा। जातिवाद व मजहब के समीकरण प्रमुख हो गए थे। निवेशकों की उत्तर प्रदेश के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं थी। इस माहौल में योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की कमान संभाली थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश के विकास का व्यापक रोडमैप बनाया था। विकास की योजनाएं बनाई गई। योजनाओं पर तेजी से अमल सुनिश्चित किया। 
पांच बार सांसद रह चुके येागी आदित्यनाथ के सामने इतने बड़े सूबे का नेतृत्व करना किसी पहाड़ जैसी चुनौती से कम नहीं था। लेकिन अपने सहयोगियों और केन्द्रीय नेतृत्व के सहयोग से उन्होने यह साबित कर दिया कि यदि व्यक्ति में इच्छा शक्ति हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। अपने ढाई साल यानी तीस माह के कार्यकाल में उन्होंने सरकार गठन से पूर्व विधानसभा चुनाव में जो संकल्प पत्र जारी हुआ था, उसमें किए गए वादों में अधिकांश को अमली जामा पहनाने की दिशा में जो कारगर प्रयास किए, उसकी प्रशंसा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह कई सार्वजनिक समारोहों में सराहना कर चुके है। श्री शाह ने स्वीकार किया कि यूपी की बागडोर योगी आदित्यनाथ को सौंपे जाने का फैसला उनका ही था।
पांच बार संसद में प्रतिनिधित्व कर चुके योगी आदित्यनाथ के सामने के यूपी जैसे बड़े राज्य को चुनौतियों से उबारना आसान काम नहीं था, लेकिन अपने राजनीतिक अनुभव से उन्होंने यूपी को देश के अग्रणी राज्यों की श्रेणी में लाकर खड़ा किया। वहीं जनता के बीच भी सरकार और संगठन की स्वीकार्यता और विश्वसनीयता भी बढ़ाई। योगी सरकार के ढाई साल पूरे हो गए लेकिन विपक्ष के हाथ खाली है। विपक्ष का विरोध केवल विरोध के लिए दिख रहा है। 2०17 के विधानसभा चुनाव के बाद विपक्ष 2०19 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से दो-चार होने की काफी तैयारी किए बैठा था। लेकिन इन ढाई वर्षो में किए गए विकास कार्य और सरकार के प्रति बढ़ते जनाधार का नतीजा रहा कि भाजपा लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करने में कामयाब रही। लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन का ही नतीजा रहा कि केन्द्रीय नेतृत्व के सामने योगी आदित्यनाथ का राजनीतिक कद और बढ़ा। 
योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने में यूपी में सबसे बड़ी चुनौती पूर्ववतीã सरकारों से विरासत में मिली ध्वस्त कानून-व्यवस्था थी। जिसे सुधारने की दिशा में योगी सरकार ने जो रणनीति अपनाई उसी का परिणाम है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुख्यात एक से एक दुर्दांत अपराधी आत्मसमर्पण करके जेल जा रहे है। प्रदेश की योगी सरकार ने कानून व्यवस्था सुधारने की गरज से पुलिस को अपराधियों और आतंकियों से निपटने की खुली छूट है । इसी के साथ प्रदेश को सुचारू रूप से चलाने की दिशा में उन्होंने जिन प्रशासनिक अधिकारियों का चयन किया वे भी सरकार की मंशा के अनुरूप प्रदेश को विकास की दिशा में आगे बढ़ाने में अग्रसर है। सरकार के ढाई साल पूरे होने से पहले उन्होंने जो अपना जो पहला मंत्रिमंडल विस्तार किया उसमें भी उनकी सूझ-बूझ दिखी। उन्होनें केन्द्रीय नेतृत्व के परामर्श से मंत्रिमंडल में नए सदस्यों को मौका देने के साथ जातीय और क्षेत्रीय संतुलन का भी खासा ध्यान रखा। 


योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले प्रदेश के माहौल को सुधारने का कार्य किया। अन्य सुधार भी इसी से जुड़े थे। योगी ने इस तथ्य को समझ लिया था। इसी के अनुरूप उन्होंने सुशासन की स्थापना को प्राथमिकता दी। इसके बाद बिजली और सड़क को महत्व दिया। डिफेंस कॉरिडोर में 25 हजार करोड़ रुपये के निवेश का निर्णय लिया गया। अगले पांच वर्ष में प्रदेश दस खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। इस दिशा में प्रयास जारी हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश को पांच ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया है। उत्तर प्रदेश इसमें एक ट्रिलियन डॉलर का योगदान करेगा। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट के साथ मिलकर कार्ययोजना बनाई गई है। 
 योगी ने कहा कि जब उन्होंने पद संभाला था, तब अर्थव्यवस्था, विकास, कानून व्यवस्था की दशा खराब थी। अराजकता, भ्रष्टाचार और असुरक्षा का माहौल था। शिक्षा व्यवस्था बदहाल थी। इन समस्याओं का निराकरण किया गया। 'एक जनपद, एक उत्पाद' योजना लागू की गई। यह सफल रही है। मुरादाबाद के पीतल, अलीगढ़ के ताला, लखनऊ के चिकन, कन्नौज के इत्र, फिरोजाबाद के ग्लास और गोरखपुर के टेराकोटा उद्योग को बड़ी उछाल मिली है। इसके माध्यम से 25 लाख युवाओं रोजगार मिलेगा। इन प्रयासों से मुरादाबाद से पिछले साल छह हजार करोड़ और भदोही से चार हजार करोड़ रुपये का निर्यात हुआ। अन्य जनपदों से भी बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। अब तक प्रदेश में दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश हो चुका है।
प्रयागराज कुंभ, किसानों को राहत, किसानों की कर्जमाफी, डिफेंस कॉरिडोर, आयुष्मान योजना, चार एक्सप्रेस-वे पर कार्य, प्रवासी सम्मेलन आदि सरकार की प्राथमिकताओं में शुमार हैं। योगी सरकार का शुरू से किसानों पर फोकस बना हुआ है। सपा सरकार ने बड़े राजकोषीय घाटे व ऋण बोझ के साथ खजाना छोड़ा था। विधानसभा में पेश नियंत्रक महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ था। राजस्व व्यय का 17 व समस्त पूंजीगत व्यय का 21 प्रतिशत से ज्यादा केवल मार्च महीने में खर्च हुआ था। कई विभागों ने कुल बजट का 4० प्रतिशत तक केवल मार्च में खर्च किया। हजारों करोड़ खर्च के बावजूद विभाग उसका उपभोग प्रमाणपत्र नहीं दे रहे थे। 
 अयोध्या में दीपोत्सव और मथुरा में रंगोत्सव से आध्यात्मिक, सांस्कृतिक परंपरा के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने की शुरुआत की गई। पहली बार अप्रवासी भारतीय सम्मेलन हुआ। इसमें 76 देशों के साढ़े सात हजार से ज्यादा प्रतिनिधि शामिल हुए। सरकार बनने के चौबीस घंटे में बूचड़खाने बंद किये गए। इन्फ्रास्ट्रक्चर और इंटर स्टेट कनेक्टिविटी को मजबूत बनाया जा रहा है। एक्सप्रेस वे बन रहे हैं। पहला जल मार्ग वाराणसी में शुरु हुआ है। पूर्व और पश्चिम फ्रंट कॉरिडोर प्रदेश से गुजर रहे हैं। ढाई साल में इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्री में बड़ा निवेश होगा। 
डिफेंस कॉरिडोर में कोरिया, इजराइल, रूस, फ्रांस, जर्मनी ने रुचि दिखाई है। इसका क्षेत्र झांसी, चित्रकूट, कानपुर, आगरा, अलीगढ़ और लखनऊ होगा। इसी क्रम में लखनऊ में डिफेंस एक्सपो आयोजित किया जाएगा। वेब पोर्टल के रूप में निवेश मित्र की स्थापना की गई है। 
तीन करोड़ से अधिक शौचालय बनाये गए। 25 लाख प्रधानमंत्री आवास बनाकर गरीबों को दिए गए। सड़क, बिजली, पानी की व्यवस्था को गरीब, गांव और किसानों के साथ जोड़ा जा रहा है। पहले पशुओं को उठाकर बूचड़खाने में भेज दिया जाता था। अब उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है। योगी आदित्यनाथ ने केंद्र सरकार की प्रेरणा से विकास के कीर्तिमान स्थापित किये हैं। 
 उत्तर प्रदेश में इन्वेस्टर्स समिट पिछली सरकारों के समय भी बहुत जोर-शोर से होती रही है। उनमें देश के शीर्ष उद्योगपति शामिल होते रहे हैं। इसके माध्यम से प्रदेश के औद्योगिक विकास का सपना भी दिखाया जाता रहा है, लेकिन इस समिट से जमीनी स्तर पर कोई विशेष उपलब्धि हासिल नहीं हुई। बाद में पता चला कि प्रदेश में निवेश के अनुकूल माहौल ही नहीं था। इसलिए उद्योगपति समिट में तो शामिल हुए, लेकिन उन्होंने निवेश में रुचि नहीं दिखाई।
 योगी आदित्यनाथ ने पहले निवेश के अनुकूल माहौल बनाया। सरकारी मशीनरी को चुस्त-दुरुस्त किया। संबंधित मंत्रियों व अधिकारियों को तैयार किया। इसके बाद इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया। यही कारण था कि 2०18 में प्रदेश में अभूतपूर्व इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हुआ। फिर कुछ महीने बाद शिलान्यास समारोह का भी आयोजन हुआ। इंफ्रास्ट्रक्चर, ऊर्ज़ा, कृषि, परिवहन के अलावा न्यू जनरेशन के डाटा सेंटर, एयरोस्पेस रक्षा आदि क्षेत्रों में बेहतर कार्य हो रहे हैं। 
एचसीएल ने नोएडा में विश्व का सबसे बड़ा कैंपस बनाया है। कृषि आधारित खाद्य व्यवसाय को भी प्रदेश में प्रोत्साहन दिया जा रहा है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी। उत्तर प्रदेश औद्योगिक और नवाचार केंद्र के रूप में अपनी पहचान बनाने की दिशा में बढ़ रहा है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में उत्तर प्रदेश पांचवें स्थान पर आ गया है। ऐसे में कहा जा सकता है कि ढाई वर्ष में योगी सरकार की उपलब्धियां अभूतपूर्व हैं। उत्तर प्रदेश देश में नम्बर 1