लखनवी पुस्तक प्रेमियों के हौसले देख लेखक भी दंग  

सत्रहवां राष्ट्रीय पुस्तक मेला लखनऊ 
मोतीमहल लान में राष्ट्रीय पुस्तक मेला: तीसरा दिन
बरसते मेघों के बीच बही काव्यधारा, चली चर्चा व सांस्कृतिक कार्यक्रम



लखनऊ, । इतवार के नाते तो राणाप्रताप मार्ग मोतीमहल वाटिका लान में चल रहे राष्ट्रीय पुस्तक मेले में पुस्तक प्रेमियों को आना ही था। बरसते मेघों के बीच पुस्तक प्रेमियों और साहित्य प्रेमियों का सिलसिला यहां देर रात तक जारी रहा। मेले के पाण्डाल में गहमागहमी बराबर बनी रही। राजपाल के स्टाल पर पुस्तक प्रेमियों को अपनी नयी किताब 'बाली उमर' पर हस्ताक्षर करके दे रहे 'जिन्दगी फिफ्टी-फिफ्टी' जैसी चर्चित किताब के युवा लेखक भगवन्त अनमोल बोले- इतनी बरसात के बावजूद पाठकों की ऐसी आदम सुखद लग रही है। लखनऊ की तहजीब के बारे में तो खूब सुना था पर यहां के पुस्तक प्रेमी भी वाकई बेमिसाल हैं। उनका यह उपन्यास भाषाई, जातिगत व धर्म के भेदभाव पर अ बचपन के बहाने ताजा स्थितियों को रखता है। राजपाल की नई किताबों में हिन्दी साहित्य की कालजयी कृतियांे कुरुक्षेत्र, आवारा मसीहा, मानस का हंस व आषाढ़ का एक दिन के विद्वानों द्वारा मूल्यांकन की नई शृंखला निकाली है। इसके अलावा रजनीश धवन की अमृतसर, असगर वजाहत की स्वर्ग में पांच दिन, स्वयं प्रकाश की धूप में नंगे पांव व तराना परवीन की एक सौ आठ जैसी कई किताबें बिल्कुल नई हैं। सामयिक के स्टाल पर मारीशस के अभिमन्यु अनत का उपन्यास अपना मन उपवन, जयनंदन का चैधराहट, मीनाक्षी नटराजन का अपने अपने कुरुक्षेत्र, रामदेव धुरंदर का ढलते सूरज की रोशनी जैसे उपन्यास के संग बहुत सी नई किताबें आई हैं। सम्यक प्रकाशन के स्टाल पर डा.अम्बेडकर पर मूकनायक के संग दलितो पर अत्याचार, शोषितों पर धार्मिक डकैती जैसी बहुत सी नई किताबें पलटते पुस्तक प्रेमी देखे गये।
आज के कार्यक्रमो में किरण फाउंडेशन की ओर से आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में पर्यावरण विषय को नन्हें-मुन्ने प्रतिभागियों ने अपनी दृष्टि से उकेरा और मनपसंद रंग भरें। संयोजक विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि संस्था बच्चों के लिये लगातार काम कर रही है। मंच पर हुए बेबी शो, फैंसी डेªस व नृत्य प्रतियोगिता में मिष्ठी मिश्रा, अनीशा गुप्ता, वर्णिका श्रीवास्तव, प्रिया सिंह, जन्नत, बबिता आदि बच्चों ने भाग लिया। ज्वाइन हैण्ड्स फाउण्डेशन व लोक आंगन के सौजन्य से आज ज्योति किरन रतन व गरिमा पंत ने लोकनृत्य कार्यशाला में प्रतिभागियों को उत्तराखण्ड के नृत्य की मूल गतियों व भंगिमाओं को विशिष्टता बताने के साथ सिखाया।
लखनऊ सोसाइटी व गाइड समाज कल्याण संस्थान द्वारा इंदु सुभाष के संचालन में पंकज प्रसून की किताब द लम्पटगंज पर आधारित कार्यक्रम में पृथ्वीराज चैहान ने पंकज प्रसून से रोचक शैली में बातचीत की। पंकज प्रसून बोले की जहां विसंगति है वहां लम्पटगंज हैं। पंकज प्रसून ने कहा की असफल प्रेम ही दास्तान बनता है कहानी बनता है और सफल प्रेम मैथमेटिक्स बन जाता है। रोमियो जूलियट, शीरी फरहाद से लेकर राम रहीम, चिन्मयानंद, आसाराम बापू जैसे तमाम उदाहरण मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि व्यंग्यकार की दृष्टि भले ही नकारात्मक हो लेकिन सोच सकारात्मक होती है। व्यंग्यकार के.कांत अस्थाना, शमीम आरजू, डॉ.प्रदीप श्रीवास्तव आदि की उपस्थिति में किताब के अंश पढ़े गए। इस मौके पर आयोजित व्यंग्य प्रतियोगिता मे प्राप्त 50 से ऊपर रचनाओं से पहले तीन स्थानों पर निर्णायक सूर्यकुमार पांडेय, मुकुल महान व इंद्रजीत कौर ने क्रमशः यदुवेश चतुर्वेदी, अभिषेक वर्मा व अलीम नजर को चुना।  
सुबह बरसते पानी के बीच आज के कार्यक्रमों का आगाज़ डा.अमिता दुबे के संचालन में दो पुस्तकों के लोकार्पण से हुआ। डा.मीरा दीक्षित की कृति 'मन बंजारा' का लोकार्पण ऊषा चैधरी ने किया तो डा.रुचि श्रीवास्तव की कृति 'अनत कहां सुख पायो' का लोकार्पण वरिष्ठ पत्रकार रतनमणि लाल ने। पुस्तकों की समीक्षात्मक दृष्टि क्रमशः अलका प्रमोद व नीलम राकेश ने डाली।
काव्या सतत काव्ययात्रा के आयोजन में 51 लघु कथाकारों के संग्रह 'कारवां' के विमोचन के बाद निवेदिता श्री, डा.मिथिलेश दीक्षित, सविता चड्ढ़ा, योगराज प्रभाकर, चन्द्रशेखर वर्मा, मीनू खरे, मालविका हरिओम की उपस्थिति में शिकोहाबाद की अनामिका सिंह अना व कविता गुप्ता काव्या को शारदेय सममान दिया गया। इस अवसर पर रोली शंकर, निहालचन्द्र शिवहरे, अलका प्रमोद, विपिन मलिहाबादी, विजय पुष्पम, विजय राज व अखिलेश राज आदि ने काव्यपाठ किया। नवीन शुक्ल की कृति 'दीवान ए नवीन' का लोकार्पण कुछ दिक्कतों की वजह से दूसरे स्थल पर किया गया। नवसृजन संस्था द्वारा डी.के.श्रीवास्तव के संयोजन में कवि सम्मेलन हुआ तो रात में यहां लोकगीतों की रसधार बही।