मोदी सरकार ने100 दिनों में दुनिया में जमाई धाक

त्रिनाथ कुमार शर्मा 


मुस्लिम महिलाओं को 3 तलाक से निजात


हर घर में नल, हर नल में जल'


प्रधानमंत्री मोदी का मिशन-फिट इंडिया


सरकारी बैंकों के विलय का फैसला


नरेंद्र मोदी की दूसरी पारी के सौ दिन पूरे


पीएम मोदी ने अब तक किए सात देशों के दौरे


विदेशी दौरों के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को दिया नया आयाम


चर्चा में रही मोदी और ट्रंप की मुलाकात


 
  नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो रहे हैं. इन 100 दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने चाहने वालों के दिलों में हैं तो विपक्ष के निशाने पर हैं. मोदी सरकार ने इन सौ दिनों में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं लेकिन सरकरा के सामने कई चुनौतियां भी हैं. मोदी सरकार द्वारा लिए गए फैसलों पर गौर करें तो ऐसे कई एतिहासिक निर्णय लिए गए जिनके पूरे देश और दुनिया पर असर पड़ा है. इन उपलब्धियों में अनुच्छेद-370, तीन तलाक, सड़क सुरक्षा, आतंकवाद पर लगाम और बैंकों के विलय जैसे कई ऐतिहासिक और साहसिक फैसले शामिल हैं.


मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो चुके हैं। इस बीच तमाम उतार चढ़ाव के बीच नरेन्द्र मोदी आजाद भारत के सबसे मजबूत प्रधानमंत्री के रुप में उभरे हैं। मुस्लिम महिलाओं को ट्रिपल तलाक से निजात, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 का खत्मा, रोड सेफ्टी, हर घर में नल, हर नल में जल, मोदी का मिशन-फिट इंडिया, आतंकवाद पर लगाम और बैंकों के विलय जैसे ऐतिहासिक-साहसिक फैसले मोदी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। यही वजह है कि नरेंद्र मोदी अपने चाहने वालों के दिलों में तो विपक्ष के निशाने पर हैं। हांलाकि मोदी सरकार द्बारा लिए गए फैसलों पर गौर करें तो ऐसे कई एतिहासिक निर्णय लिए गए जिनके पूरे देश और दुनिया पर असर पड़ा है। यह अलग बात है कि अर्थव्यवस्था के लिहाज से उन्हें कई चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है। या यूं कहे आ?थक मंदी और बढ़ती बेरोजगारी से लोगों में निराशा है। 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूसरी पारी के शुरुआती सौ दिन में सात देशों के दौरे किए. इसमें जहां पड़ोसियों से संबंधों को और मजबूत करने के लिए नेबरहुड फर्स्ट पॉलिसी पर अमल किया, वहीं पर दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्रों में से एक और पुराने सहयोगी रहे रूस का भी दौरा कर धाक जमाई. फ्रांस में जी-7 सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी मीटिंग चर्चा में रही. इस दौरान विदेशी मीडिया में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छाए रहे. संयुक्त अरब अमीरात(यूएई) के सबसे बड़े अखबारों में से एक खलीज टाइम्स ने पीएम मोदी का लंबा-चौड़ा इंटरव्यू छापा.



विदेशी दौरों में मोदी का बजा डंका 



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी दूसरी पारी के शुरुआती सौ दिन में सात देशों के दौरे किए। इसमें जहां पड़ोसियों से संबंधों को और मजबूत करने के लिए नेबरहुड फस्र्ट पॉलिसी पर अमल किया, वहीं पर दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्रों में से एक और पुराने सहयोगी रहे रूस का भी दौरा कर धाक जमाई। फ्रांस में जी-7 सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ उनकी मीभटग चर्चा में रही। इस दौरान विदेशी मीडिया में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छाए रहे। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के सबसे बड़े अखबारों में से एक खलीज टाइम्स ने पीएम मोदी का लंबा-चैड़ा इंटरव्यू छापा। सबसे पहले मालदीव के दौरे में नेबरहुड फस्र्ट पॉलिसी के तहत सुरक्षा, विकास की दृष्टि के साथ समुद्री पड़ोसी के साथ भारत के संबंधों को और मजबूत किया। दरअसल मालदीव की दक्षिण एशिया और हिन्द महासागर में जो स्ट्रेटजिक (सामरिक) लोकेशन है वो भारत के लिए बेहद अहम है। मालदीव वो देश है जहां पिछले कुछ सालों में चीन ने अपना प्रभुत्व बढ़ाया है। चीन ने इस देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में भारी निवेश किया है। इसके बावजूद मोदी ने अपनी जगह बनाई और मालदीव के सर्वोच्च सम्मान, निशान इजुद्दीन से भी उन्हें नवाजा गया। मालदीव के बाद वह नौ जून को श्रीलंका पहुंचे। जहां बम धमाकों में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी। इस हमले में 25० से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिसमें 11 भारतीय थे। पीएम मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाला सिरिसेना से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि आतंकवाद एक साझा खतरा है, जिससे निपटने के लिए ठोस कार्रवाई की जरूरत है। 16 अगस्त को मोदी भूटान पहुंचे। जहां भूटान के राजा के साथ उन्होने बातचीत कर आतंकवाद के खिलाफ उन्हें राजी किया। 22 अगस्त को मोदी फ्रांस पहुंचे। वहां जी-7 सम्मेलन में शामिल हुए। इस दौरान उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित दुनिया के कई दिग्गज नेताओं से मुलाकात हुई। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रॉ और प्रधानमंत्री फिलिप के साथ द्बिपक्षीय संबंधों पर बातचीत के अलावा 195० और 196० में फ्रांस में दो विमान क्रैश होने पर मारे गए भारतीयों को श्रद्धांजलि भी दी। 23 और 24 अगस्त के बीच यूएई में रहे और यूएई का सर्वोच्च जायद सम्मान हासिल किया। वहां उन्होंने रूपे कार्ड भी लांच किया। 24-25 अगस्त को बहरीन में चार समझौतों पर हस्ताक्षर किए। अपने द्बिपक्षीय संबंधों को नया आयाम दिया। यही वजह है कि यूएई, बहरीन आज आतंकी पाकिस्तान के साथ खाड़ा होने के बजाय भारत के साथ है। 4 सितम्बर से रूस में है। जहां ईस्टनã इकोनोमिक फोरम (ईईएफ) की बैठक में हिस्सा लेने के दौरान जापान के पीएम भशजो, मलेशियाई प्रधानमंत्री डॉ. महातिर मोहम्मद और मंगोलिया के राष्ट्रपति खाल्तमागिन बत्तुलगा से भी भेंट की। नेताओं संग मंच साझा करने के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि 2024 तक भारत आ?थक महाशक्ति बनेगा। रूस दौरे के दौरान प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के साथ भारत-रूस सालाना शीर्ष बैठक में भी हिस्सा लिए। 



उपलब्धियों पर भारी है मंदी की आहट 
मोदी  सरकार की शुरुआत मंदी के संकेतों से हुई। जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 5 फीसदी हुई हैट्रेड वॉर की वजह से दुनिया में आ?थक मंदी का खतरा उत्पंन हो गया है। हालांकि वित्त मंत्री ने सुस्ती को दूर करने के लिए कई ऐलान किए हैं। इसके बावजूद ऑटो सेक्टर, रियल एस्टेट, टेलीकॉम, वित्तीय सेवाएं, बैंङ्क्षकग, स्टील, टेक्सटाइल, टी, डायमंड हर सेक्टर से नकारात्मक खबरें आ रही हैं। उत्पादन में कटौती हो रही है और नौकरियों पर कैंची चल रही है। 
सरकारी और निजी खर्च नहीं बढ़ रहा। हाल में आए जून तिमाही के लिए जीडीपी ग्रोथ का 5 फीसदी का आंकड़ा ङ्क्षचता को और बढ़ाता है। हाल की मंदी की प्रमुख वजहें घरेलू मांग में कमी, निवेश में कमी, ऑटो सेक्टर में सुस्ती, विनिर्माण गतिविधियों (मैन्युफैक्चङ्क्षरग सेक्टर) में गिरावट को माना जा रहा है। मोदी सरकार ने अगले 5 साल में देश की अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, लेकिन जानकारों का कहना है कि 5 फीसदी के आसपास की जीडीपी पर इसे हासिल करने असंभव जैसा है। इसके लिए सालाना 8 से 9 फीसदी की जीडीपी ग्रोथ चाहिए। अगस्त में कारों की बिक्री में 29 फीसदी की भारी गिरावट आई है। ऑटो सेक्टर से जुड़े साढ़े तीन लाख से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी चली गई है और करीब 10 लाख नौकरियां खतरे में हैं। कृषि क्षेत्र के बाद सबसे ज्यादा 10 करोड़ लोगों को रोजगार देने वाले टेक्सटाइल सेक्टर की भी हालत खराब है। नॉर्दनã इंडिया टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन के अनुसार राज्य और केंद्रीय जीएसटी और अन्य करों की वजह से भारतीय यार्न वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा के लायक नहीं रह गया है। अप्रैल से जून की तिमाही में कॉटन यार्न के निर्यात में साल-दर-साल 34.6 फीसदी की गिरावट आई है। जून में तो इसमें 50 फीसदी तक की गिरावट आ चुकी है। इसी तरह के हालात रियल एस्टेट सेक्टर में हैं, जिसकी हालत पिछले कई साल से खराब है। मार्च 2019 तक भारत के 3० बड़े शहरों में 12 लाख 80 हक्तजार मकान बनकर तैयार हैं लेकिन उनके खरीदार नहीं मिल रहे। यानी बिल्डर जिस गति से मकान बना रहे हैं लोग उस गति से खरीद नहीं रहे। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्बारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2018-19 में देश की जीडीपी विकास दर 6.8 प्रतिशत रही जो बीते 5 साल में सबसे कम है। इस वित्त वर्ष की जून तिमाही में तो जीडीपी ग्रोथ लुढ़ककर 5 फीसदी पर आ गई है। आरबीआई ने हालात को देखते हुए साल 2019-20 के लिए विकास दर का अनुमान घटाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। निवेशकों को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बड़ी उम्मीदें थी। इन उम्मीदों पर पानी फिर गया जब सरकार ने अपने बजट में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों पर सरचार्ज लगाने का फैसला किया। इससे विदेशी निवेशक इतने डर गए कि उन्होंने इस प्रस्ताव को लागू होने से पहले ही अपने पैसे निकालने शुरू कर दिए। बैंक और एनबीएफसी (गैर-बैंङ्क्षकग वित्तीय कंपनियों) द्बारा वाणिज्यिक क्षेत्र को दिये जाने वाले कर्ज में भारी गिरावट दर्ज की गई। बैंकों द्बारा उद्योगों को दिए जाने वाले कर्ज में गिरावट आई है। पेट्रोलियम, खनन, टेक्सटाइल, फ?टलाइजर और टेलीकॉम जैसे सेक्टर्स ने कर्ज लेना कम कर दिया है। अप्रैल से जून 2019 की तिमाही में सोना-चांदी के आयात में 5.3 फीसदी की कमी आई है। जबकि इसी दौरान पिछले साल इसमें 6.3 फीसदी की बढ़त देखी गई थी।