मुख्यमंत्री ने 'मंथन-3' से पूर्व अपने विचार व्यक्त किये
लोकतंत्र की कसौटी पर खरा उतरने के लिए 'मंथन' जैसे कार्यक्रम आवश्यक
शासन के विभागों और विभिन्न सब कमेटियों के माध्यम से यह कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि शासन-प्रशासन को विश्वसनीयता का प्रतीक बनाया जाना हमेशा से चुनौतीपूर्ण रहा है। लोकतंत्र की कसौटी पर खरा उतरने के लिए 'मंथन' जैसे कार्यक्रम आवश्यक हैं। इसके मद्देनजर उन्होंने आईआईएम, लखनऊ की निदेशक प्रो अर्चना शुक्ला से एक उपयोगी कार्यक्रम तैयार करने का आग्रह किया था। इसी क्रम में 'मंथन' कार्यक्रम आयोजित किया गया है।
मुख्यमंत्री आज आईआईएम, लखनऊ में 'मंथन' कार्यक्रम के अंतिम चरण 'मंथन-3' से पूर्व अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। 'मंथन' कार्यक्रम के जरिए से राज्य सरकार से जुड़ने के लिए आईआईएम, लखनऊ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने भरोसा जताया कि शासन के विभागों और विभिन्न सब कमेटियों के माध्यम से यह कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने साबित किया है कि शासन-प्रशासन संचालित करने वाले अच्छे छात्र भी हो सकते हंै।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम सभी के लिए कौतूहल और आश्चर्य का विषय है। सामान्य धारणा है कि शासन-प्रशासन में बैठे लोग परिपूर्ण, सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान होते हैं। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वे मानते हैं कि ऐसी धारणा उचित नहीं है। जो व्यक्ति यह मानने लगता है कि वह सर्वज्ञ और परिपूर्ण है, उसमें गिरावट और पतन की संभावनाएं दूर नहीं है।इस अवसर पर राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य, वरिष्ठ अधिकारीगण, आईआईएम की निदेशक प्रो अर्चना शुक्ला सहित संस्थान के अन्य शिक्षाविद् उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री आज आईआईएम, लखनऊ में 'मंथन' कार्यक्रम के अंतिम चरण 'मंथन-3' से पूर्व अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। 'मंथन' कार्यक्रम के जरिए से राज्य सरकार से जुड़ने के लिए आईआईएम, लखनऊ के प्रति आभार व्यक्त करते हुए उन्होंने भरोसा जताया कि शासन के विभागों और विभिन्न सब कमेटियों के माध्यम से यह कार्यक्रम आगे भी चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम ने साबित किया है कि शासन-प्रशासन संचालित करने वाले अच्छे छात्र भी हो सकते हंै।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम सभी के लिए कौतूहल और आश्चर्य का विषय है। सामान्य धारणा है कि शासन-प्रशासन में बैठे लोग परिपूर्ण, सर्वज्ञ और सर्वशक्तिमान होते हैं। मुख्यमंत्री जी ने कहा कि वे मानते हैं कि ऐसी धारणा उचित नहीं है। जो व्यक्ति यह मानने लगता है कि वह सर्वज्ञ और परिपूर्ण है, उसमें गिरावट और पतन की संभावनाएं दूर नहीं है।इस अवसर पर राज्य मंत्रिपरिषद के सदस्य, वरिष्ठ अधिकारीगण, आईआईएम की निदेशक प्रो अर्चना शुक्ला सहित संस्थान के अन्य शिक्षाविद् उपस्थित थे।