उत्तर प्रदेश मंत्री अधिनियम-1981 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी

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मंत्रिपरिषद के महत्वपूर्ण निर्णय

 


उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) अधिनियम-1981 (यथा संशोधित)' में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी



लखनऊ ।मंत्रिपरिषद ने 'उत्तर प्रदेश मंत्री (वेतन, भत्ता और प्रकीर्ण उपबन्ध) अधिनियम-1981 (यथा संशोधित)' में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि वर्ष 1981 में प्रख्यापित इस अधिनियम की धारा-3 की उपधारा (3) को प्रवृत्त हुए 35 वर्ष से अधिक का समय हो गया है। उल्लेखनीय है कि आयकर कानून की परिधि में आने वाले समस्त नागरिकों द्वारा आयकर का भुगतान किया जाता है। इसलिए मंत्रिगण द्वारा देय आयकर का वहन राज्य सरकार द्वारा किए जाने से सम्बन्धित धारा-3 की उपधारा (3) को बनाए रखने का औचित्य प्रतीत न होने पर मंत्रिपरिषद ने इसे विलुप्त किए जाने का निर्णय लिया है।चूंकि वर्तमान में राज्य विधान मण्डल सत्र में नहीं है। इसलिए अधिनियम में संशोधन के निर्णय को लागू किए जाने के लिए अध्यादेश प्रख्यापित किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी प्रदान की गई है। 

 

उप्र दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान विधेयक-2019 का प्रारूप अनुमोदित



मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम-1962 की धारा-4ग में संशोधन हेतु उत्तर प्रदेश दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान विधेयक-2019 के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है। प्रस्तावित संशोधन द्वारा अधिनियम के अधीन स्वीकृत रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र उस अवधि के लिए विधिमान्य होगा, जिस अवधि तक के लिए दुकान और वाणिज्य अधिष्ठान विद्यमान हो, का निर्णय लिया गया है। इस प्रकार दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान के नवीनीकरण की आवश्यकता नहीं होगी। दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठानों का बार-बार नवीनीकरण नहीं कराना पड़ेगा, जिससे व्यापार (बिजनेस) करना सुगम होगा। साथ ही, लाल फीताशाही से मुक्ति मिलेगी तथा पारदर्शिता आएगी।दुकान एवं वाणिज्य अधिष्ठान अधिनियम के अन्तर्गत एक बार पंजीकृत कराए जाने के उपरान्त दुकानदार/नियोजक नवीनीकरण की चिन्ता से मुक्त हो जाएंगे तथा यह कदम 'ईज़ आॅफ डूइंग बिजनेस' के लिए उपयोगी साबित होगा। 'ईज़ आॅफ डूइंग बिजनेस' का उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। नवीनीकरण समाप्त किया जाना 'ईज़ आॅफ डूइंग बिजनेस' के अन्तर्गत ही किया जा रहा है। अतः इस कदम से स्वरोजगार के अवसर बढ़ेंगे। श्रम कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित कराया जा सकेगा।
 
 

रेजीडेण्ट डाॅक्टर्स को 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों के क्रम में एसजीपीजीआई, लखनऊ के सादृश्य भत्ते प्रदान किए जाने का निर्णय

उप आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई, इटावा के संकायी सदस्यों, गैर संकायी अधिकारियों एवं कर्मचारियों 



मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई, इटावा के संकायी सदस्यों, गैर संकायी अधिकारियों एवं कर्मचारियों तथा सीनियर एवं जूनियर रेजीडेण्ट डाॅक्टर्स को 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों के क्रम में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एस0जी0पी0जी0आई0), लखनऊ के सादृश्य दिनांक 01 जुलाई, 2017 से भत्ते उन्हीं दरों, शर्तों एवं प्रतिबन्धों के अनुसार प्रदान किए जाने का निर्णय लिया है, जिस प्रकार एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ में अनुमन्य किया गया है। यह सुविधा अनुमन्य किए जाने से राज्य सरकार पर लगभग 1514.40 लाख रुपये का अतिरिक्त वार्षिक व्ययभार आएगा। उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई, इटावा में संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ की भांति गम्भीर रोगियों के उपचार हेतु टर्शियरी चिकित्सा सुविधा प्रदान की जा रही है तथा चिकित्सा शिक्षा के अन्तर्गत सुपर स्पेशियलिटी पाठ्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। शासनादेश दिनांक 15 मार्च, 2013 द्वारा एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ के संकाय सदस्यों को अनुमन्य समस्त भत्ते उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, सैफई, इटावा के संकाय सदस्यों को अनुमन्य किए जाने के आदेश निर्गत किए गए। शासनादेश दिनांक 16 मई, 2016 द्वारा संस्थान के गैर शैक्षणिक अधिकारियों एवं कर्मचारियों को एस0जी0पी0जी0आई0 के गैर शैक्षणिक कार्मिकों के समान वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाएं अनुमन्य की गई हैं। 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों के क्रम में शासनादेश दिनांक 06 दिसम्बर, 2017 द्वारा विश्वविद्यालय के गैर शैक्षणिक कार्मिकों को एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ के समतुल्य वेतन दिया जा रहा है। शासनादेश दिनांक 31 मई, 2018 द्वारा विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों/रेजीडेण्ट डाॅक्टरों को एस0जी0पी0जी0आई0, लखनऊ के संकाय सदस्यों/रेजीडेण्ट डाॅक्टरों के समान वेतन अनुमन्य किए गए हैं।
 

 

 राजीव कुमार यादव, उप निदेशक (सेवायोजन) के विरुद्ध संस्थित अनुशासनिक कार्यवाही के सम्बन्ध में



 

मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक (अनुशासनिक एवं अपील) नियमावली-1999 के नियम-7 के तहत संस्थित अनुशासनिक जांच में श्री राजीव कुमार यादव, उप निदेशक (सेवायोजन) के विरुद्ध सिद्ध पाए गए आरोपों के दृष्टिगत उन्हें उनके मूल पद क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी के निम्नतम प्रक्रम पर प्रत्यावर्तित किए जाने के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। ज्ञातव्य है कि  राजीव कुमार यादव, उप निदेशक, सेवायोजन, उ0प्र0 को अपनी फेसबुक आई0डी0 पर सरकार एवं सरकार की नीतियों की आलोचना करने से सम्बन्धित पोस्ट्स को शेयर करने के लिए प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया। यह कृत्य उत्तर प्रदेश सरकारी कर्मचारी आचरण नियमावली-1956 के नियम-7 का उल्लंघन है, जिसके लिए दोषी पाए जाने के आधार पर श्री राजीव कुमार यादव के विरुद्ध आदेश दिनांक 02 जुलाई, 2018 द्वारा उ0प्र0 सरकारी सेवक (अनुशासन  एवं अपील) नियमावली-1999 के तहत अनुशासनिक कार्यवाही संस्थित कर विशेष सचिव, श्रम को आरोपों की जांच हेतु जांच अधिकारी नामित किया गया था। आरोपों की गम्भीरता के दृष्टिगत आदेश दिनांक 05 जुलाई, 2018 द्वारा उन्हें निलम्बित कर दिया गया। जांच अधिकारी द्वारा नियमानुसार जांच कार्यवाही पूर्ण कर जांच आख्या उपलब्ध करायी गयी, जिसमें अपचारी अधिकारी के विरुद्ध अधिरोपित दोनों आरोप प्रमाणित पाए गए। आरोपों के प्रमाणित पाए जाने के आधार पर नियमावली के नियम-9(4) में निहित व्यवस्थानुसार अपचारी अधिकारी को जांच आख्या की प्रति उपलब्ध कराते हुए अभ्यावेदन प्रस्तुत किए जाने का अवसर प्रदान किया गया। अपचारी अधिकारी द्वारा प्रस्तुत अभ्यावेदन एवं जांच आख्या पर सम्यक विचार करते हुए अपचारी अधिकारी को उक्त कृत्य के लिए दोषी पाया गया। फलस्वरूप नियमावली के नियम-3 में निहित दीर्घ शास्ति के तहत उन्हें उनके मूल पद क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी के निम्नतम् प्रक्रम पर प्रत्यावर्तित किए जाने की शास्ति का विनिश्चित किया गया। इस प्रकार विनिश्चित शास्ति पर लोक सेवा आयोग, उ0प्र0 सहमत नहीं हुए तथा 'प्रस्तावित दण्ड को अनानुपातिक बताते हुए अपचारी अधिकारी की 02 वेतनवृद्धि अस्थायी प्रभाव से 02 वर्ष के लिए रोका जाना पर्याप्त होगा' का परामर्श दिया गया। लोक सेवा आयोग द्वारा दिए गए उक्त परामर्श पर शासन द्वारा विचार कर पुनः पूर्व विनिश्चित शास्ति पर सहमति हेतु लोक सेवा आयोग को प्रकरण सन्दर्भित किया गया, जिस पर लोक सेवा आयोग द्वारा सम्यक्रूपेण विचारोपरान्त अपने पूर्व मत पर दृढ़ हैं, का परामर्श दिया गया। लोक सेवा आयोग के इस अभिमत का शासन स्तर पर हुए पुनः परीक्षणोपरान्त, उत्तर प्रदेश सचिवालय अनुदेश-1982 के नियम-51(7) में दी गई व्यवस्था के तहत अपचारी अधिकारी के विरुद्ध मंत्रिपरिषद द्वारा विनिश्चित शास्ति का निर्णय लिया गया है। 
 

नोएडा इण्टरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, जेवर के निर्माण के सम्बन्ध में



 

मंत्रिपरिषद ने नोएडा इण्टरनेशनल ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट, जेवर के निर्माण के सम्बन्ध में च्तवरमबज डवदपजवतपदह ंदक प्उचसमउमदजंजपवद ब्वउउपजजमम ;च्डप्ब्द्ध दिनांक 19 अगस्त, 2019 एवं दिनांक 12 सितम्बर, 2019 की बैठक द्वारा की गई संस्तुतियों पर अनुमोदन प्रदान कर दिया है। साथ ही, पूर्व में अनुमोदित ठपक क्वबनउमदज ;त्फि बनउ त्च्द्धि एवं क्तंजि ब्वदबमेेपवद ।हतममउमदज क्वबनउमदज को संशोधित कर बिड प्रक्रिया में आगे की कार्यवाही किए जाने की भी अनुमति प्रदान कर दी है। मंत्रिपरिषद द्वारा परियोजना के सम्बन्ध में समय-समय पर यथा आवश्यकतानुसार निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।
 
 

 विकलांग कल्याण विभाग राजपत्रित अधिकारी सेवा  नियमावली-2019 के प्रख्यापन का निर्णय



मंत्रिपरिषद ने उप्र विकलांग कल्याण विभाग राजपत्रित अधिकारी सेवा (द्वितीय संशोधन) नियमावली-2019 के प्रख्यापन का निर्णय लिया है।दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग के राजपत्रित अधिकारियों की सेवाओं को संचालित करने के उद्देश्य से 'उ0प्र0 विकलांग कल्याण विभाग राजपत्रित अधिकारी सेवा नियमावली-2002' प्रख्यापित की गई है। अग्रेतर यथावश्यक इस नियमावली के प्रथम संशोधन के रूप में 'उ0प्र0 विकलांग कल्याण विभाग राजपत्रित सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली-2008' भी प्रख्यापित की गई है। इसके बाद से कतिपय नए पदों के सृजन, इन पदों की संख्या/वेतनमानों में हुए संशोधनों, कतिपय कार्मिक नियमों में हुए संशोधन एवं विभाग के नाम में किए गए संशोधन आदि को नियमावली में समाहित करने के उद्देश्य से 'उ0प्र0 विकलांग कल्याण विभाग राजपत्रित अधिकारी सेवा (द्वितीय संशोधन) नियमावली-2019' प्रख्यापित की जा रही है।
 

  सचिवालय विधायी विभाग अधिकारी सेवा  नियमावली-2019 अनुमोदित



 

मंत्रिपरिषद ने 'उत्तर प्रदेश सचिवालय विधायी विभाग अधिकारी सेवा नियमावली-2013' में प्रथम संशोधन को मंजूरी प्रदान करते हुए 'उत्तर प्रदेश सचिवालय विधायी विभाग अधिकारी सेवा (प्रथम संशोधन) नियमावली-2019' को अनुमोदित कर दिया है। इस संशोधन के माध्यम से उत्तर प्रदेश सचिवालय विधायी विभाग अधिकारी सेवा नियमावली-2013 में विद्यमान विधीक्षण अधिकारी संवर्ग के पदों की संख्या को 02 से बढ़ाकर 03 किया गया है। इसके अतिरिक्त, परिवीक्षा एवं वेतनमान सम्बन्धी नियम में भी संशोधन किया गया है।
  



बकाया संपरीक्षा शुल्क राइट आॅफ किए जाने का निर्णय



 

 


स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग, उ0प्र0 एवं मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें, उ0प्र0 द्वारा संपरीक्षित संस्थाओं पर  

 


मंत्रिपरिषद ने स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग, उ0प्र0 एवं मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी सहकारी समितियां एवं पंचायतें, उ0प्र0 द्वारा सम्परीक्षित संस्थाओं पर बकाया सम्परीक्षा शुल्क राइट आॅफ किए जाने का निर्णय लिया है। स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग का दिनांक 31 जुलाई, 2019 तक कुल 2,54,90,88,779 (दो सौ चैवन करोड़ नब्बे लाख अठ्ठासी हजार सात सौ उन्यासी) रुपये तथा दिनांक 31 अगस्त, 2019 तक सहकारी समितियों एवं पंचायतें पर कुल 56,13,60,000 (छप्पन करोड़ तेरह लाख साठ हजार) रुपये सम्परीक्षा शुल्क बकाया है। इन दोनों ही विभागों द्वारा ऐसी संस्थाओं की संपरीक्षा की जाती है जो यह तो शासकीय अनुदान प्राप्त हैं या स्थानीय प्राधिकारी घोषित होने के कारण राजस्व अर्जित करती हैं। इस प्रकार परोक्ष रूप से सम्परीक्षा शुल्क राज्य के संसाधन से ही लिया जा रहा है। इसे राइट आॅफ किया जाना आवश्यक है। जिन संस्थाओं द्वारा दिनांक 01-10-2018 के पूर्व का लेखा परीक्षा शुल्क जमा किया जा चुका है, उसकी वापसी की मांग नहीं की जाएगी। ज्ञातव्य है कि स्थानीय निधि लेखा परीक्षा विभाग द्वारा तथा मुख्य लेखा परीक्षा अधिकारी, सहकारी समितियां एवं पंचायतें उ0प्र0 द्वारा संपरीक्षा के लिए सम्बन्धित संस्थाओं से सम्परीक्षा शुल्क लिया जाता था। शासनादेश दिनांक 01-10-2018 द्वारा समस्त संस्थाओं/निकायों की सम्परीक्षा निःशुल्क कर दिया गया है।
 
आरएफपी एवं मास्टर सर्विस एग्रीमेन्ट के आलेख एवं भुगतान प्रक्रिया के अनुमोदन 



आबकारी विभाग की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली को पी0ओ0एस0 मशीनों सहित आॅनलाइन किये जाने के क्रम में एण्ड टू एण्ड सोल्यूशन उपलब्ध कराने वाले सेवाप्रदाता के चयन हेतु आबद्ध ई एण्ड वाई परामर्शदाता कम्पनी द्वारा तैयार किये गये  



 

मंत्रिपरिषद ने आबकारी विभाग की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली को पी0ओ0एस0 मशीनों सहित आॅनलाइन किये जाने के क्रम में एण्ड टू एण्ड सोल्यूशन उपलब्ध कराने वाले सेवाप्रदाता के चयन हेतु आबद्ध ई0 एण्ड वाई0 परामर्शदाता कम्पनी द्वारा तैयार किये गये आर0एफ0पी0 एवं मास्टर सर्विस एग्रीमेन्ट के आलेख एवं भुगतान प्रक्रिया को अनुमोदन प्रदान कर दिया है। साथ ही, मंत्रिपरिषद की स्वीकृति के उपरान्त प्रश्नगत आर0एफ0पी0 एवं मास्टर सर्विस एग्रीमेन्ट तथा भुगतान की प्रक्रिया के क्रियान्वयन में आने वाली यदा-कदा आने वाली कठिनाइयों के समाधान/निवारण एवं प्रक्रिया के सरलीकरण हेतु आबकारी आयुक्त की संस्तुति पर आबकारी मंत्री के माध्यम से मुख्यमंत्री जी द्वारा निर्णय लिये जाने के प्रस्ताव को भी अनुमोदित कर दिया है। पूर्व प्रणाली में बिना किसी कम्प्यूटरीकृत/आॅनलाइन व्यवस्था के मदिरा की प्रत्येक बोतल पर सिक्योरिटी होलोग्राम चस्पा किये जाने की व्यवस्था थी। वर्ष 2018-19 में होलोग्राम के सम्बन्ध में उसके प्रतिरूपांे (डुप्लीकेट) की शिकायत प्राप्त होने एवं राजस्व में पर्याप्त वृद्धि प्राप्त ने होने के कारण होलोग्राम व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया।
पूर्व में ट्रैक एण्ड ट्रैस प्रणाली में आये व्यवधानों एवं भविष्य मे रिटेल सतर पर पी0ओ0एस0 मशीन एवं जियोफैन्सिंग की प्रणाली भी विकसित कराये जाने के दृष्टिगत एक ही सेवाप्रदाता के माध्यम से आबकारी विभाग की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली को पी0ओ0एस0 मशीनों सहित आॅनलाइन किये जाने का उच्च स्तर पर निर्णय लिया गया है। शीरा के उत्पादन/संचय/वितरण से लेकर एल्कोहल का उत्पादन/संचयन/ वितरण, बाटलिंग एवं उपभोग के विभिन्न चरणों हेतु आवश्यक पी0ओ0एस0 मशीन्स, हैण्डहेल्ड स्कैनर्स, सी0सी0टी0वी0, डिजीलाक्स, जी0पी0एस0 आदि विभिन्न प्रकार के हार्डवेयर की आपूर्ति, स्थापना एवं संचालन/अनुरक्षण आदि का समावेश इस परियोजना में किया गया है। प्रश्नगत परियोजना के क्रियान्वयन में उत्तर प्रदेश सरकार पर कोई व्ययभार नहीं आएगा। तकनीक के प्रभावपूर्ण उपयोग से विभाग के कार्यकलापों में दक्षता एवं पारदर्शिता आयेगी। वास्तविक उत्पादन, निकासी, राजस्व आदि का मानकों के अनुयप मिलान हो सकेगा तथा उत्पादकता, आपूर्ति एवं राजस्व में वृद्धि सम्भव हो सकेगी। प्रस्तावित व्यवस्था में उपभोक्ता एवं जनमानस के लिए मोबाइल एप्लीकेशन भी तैयार की जाएगी, जिसमें वह मदिरा की किसी बोतल के सम्बन्ध में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकेगा। परियोजना अवधि में मुख्यालय, आसवनी/यवासवनी, हेल्पडेस्क, सी0सी0टी0वी0 सर्विलांस सिस्टम आदि में बड़ी मात्रा में टेक्निकल मैनपावर की आवश्यकता सृजित होगी।