भविष्य में पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए कार्ययोजना शीघ्र
जल संचयन व प्रबंधन के क्षेत्र में विख्यात कंपनियों ने दिए सुझाव
लखनऊ। प्रमुख सचिव सिंचाई एवं जलसंसाधन तथा परती भूमि विकास टी. वेंकटेश ने कहा है कि भविष्य मेें पानी की जरूरतों को पूरा करने तथा इसका कुशल प्रबंधन एवं विवेकपूर्ण उपयोग किये जाने के लिए एक कारगर रणनीति बनाते हुए इसे लागू किया जायेगा। प्रमुख सचिव ने यह जानकारी देते हुए बताया कि बुधवार को आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में जल प्रबंधन एवं संचयन से जुड़ी नामी-गिरामी कंपनियों ने प्रस्तुतीकरण देकर प्रदेश में जल संचयन के क्षेत्र में कार्य करने की इच्छा जताई। उन्होंने कहा कि उप्र की भौगोलिक स्थिति व क्षेत्रों के हिसाब से अलग-अलग है। कहीं पर भूजल स्तर बहुत नीचे चला गया है तो कहीं पर सिंचाई के लिए पर्याप्त जल मौजूद है।
जल संचयन के क्षेत्र में कार्य करने वाली मेसर्स जिंदल सा लिमिटेड नई दिल्ली, एसआरएम प्लास्टोकेम प्रा.लि. कोटा राजस्थान तथा नेटाफेम इरीगेशन प्रावेट लि. बड़ोदरा ने अपने प्रस्तुतीकरण में उपलब्ध संसाधनों का समुचित उपयोग करते हुए पानी को बढ़ाने के लिए सुझाव दिया। इसके साथ ही सिंचाई के बेहतर तरीके अपनाते हुए कम पानी से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के तरीके बताये।
इन कंपनियों ने पानी की कमी दूर करने एवं पैदावार बढ़ाने के लिए ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाने पर जोर दिया। यह दोनों पद्धतियां ऊँची-नीची जमीन की सिंचाई के लिए सबसे कारगर उपाय है। इसके माध्यम से सिंचाई करके कम जल खपत करके अधिकतम उत्पादन तथा बहु-फसली पैदावार प्राप्त की जा सकती है। हर घर नल से जल के लिए शुरू की गयी जल जीवन मिशन योजना तथा हर खेत को पानी उपलब्ध कराने के लिए जल संचयन बहुत जरूरी है।
प्रमुख सचिव ने कहा कि वर्षा का जल समुद्र में चला जाता है। इसको संचित करके भूजल स्तर रिचार्ज करने के साथ ही पेयजल एवं सिंचाई के लिए पर्याप्त जल व्यवस्था की जा सकती है। इस संगोष्ठी के पहले सत्र में में. तहल इजराइल, आईआईटी रूढ़की वाप्कोस लि. भारत सरकार का उपक्रम, आईडब्ल्यूएमआई, वाटर रिसोर्स ग्रुप, आईसीआरआई तथा टीईआरआई ने भी जल संसाधन प्रबंधन एवं पुनर्गठन संबंधित अपने अनुभवों का साझा करते हुए उ.प्र. में सहयोग देने की बात कही।