मालिनी की गायकी ने दिलाई बेगम की याद

 पद्मभूषण बेगम अख्तर स्मृति कार्यक्रम: यादें
 लखनऊ,। गजलगोई की अपनी मखमली आवाज के लिए मशहूर पद्मभूषण बेगम अख्तर की यादों को आज पद्मश्री मालिनी अवस्थी ने ताजा कर दिया। बेगम अख्तर की याद में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से उनकी पुण्यतिथि पर संत गाडगेजी महाराज प्रेक्षागृह गोमतीनगर में 'यादें' शीर्षक के अंतर्गत मालिनी अवस्थी के गजल और ठुमरी गायन का कार्यक्रम आयोजित किया गया। ठुमरी की साम्राज्ञी गिरिजादेवी की शिष्या मालिनी ने कार्यक्रम की शुरुआत राग विहाग मिश्र में निबद्ध ठुमरी- हमसे नजरिया काहे फेरी रे बालम..... से की। इसी क्रम में राग मिश्र तैलंग में ठुमरी- बलम तोरे झगरे में रैन गई...... में शब्दों को अपनी गायकी के अंदाज में व्याख्यायित किया। इस पर तबले पर बैठे अजराड़ा घराने के उस्ताद अतहर हुसैन ने पुराने अंदाज का कहरवा खूब जमा। मालिनी ने मल्लिका ए तरन्नुम बेगम अख्तर को नमन करते हुए बनारसी और पूरबी अंग का दादरा- पूरब मत जइयो राजाजी...... पेश किया। गजलों की बारी आई तो उन्होंने- कफछ तो दुनिया की इनायात ने दिल तोड़ दिया..... और फिर आगे - ओ बेदर्दी सपने में आजा कुछ तो विपतिया कम हुई जाये..... और हमरी अटरिया..... जैसी रचनाओं का क्रम श्रोताओं की फरमाइशों के साथ चल पड़ा।
इससे पहले संस्कृति मंत्री डा.नीलकण्ठ तिवारी, विशिष्ट अतिथि निखिल मेहरोत्रा व अकादमी की अध्यक्ष डा.पूर्णिमा पाण्डे ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। फरहा अनवर के संचालन में चले कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत अकादमी के सचिव तरुणराज ने करते हुये अकादमी की गतिविधियों के बारे में बताया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव संस्कृति जितेन्द्र कुमार व बड़ी तादाद में गणमान्य अतिथि और संगीत प्रेमी प्रेक्षागृह में उपस्थित थे। गायिका मालिनी अवस्थी के साथ तबले पर अतहर हुसैन, सारंगी पर मुराद अली खां, हारमोरियम पर पं.धर्मनाथ मिश्र और गिटार पर राकेश आर्य ने खूबसूरती से साथ निभाया।