सौर जनित हरित ऊर्जा से सिंचाई प्रणालियों के संचालन से विद्युत की खपत कम तथा पर्यावरण संतुलन बना रहेगा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के जलशक्ति मंत्री डा. महेन्द्र सिंह ने कहा है कि वैकल्पिक ऊर्जा के माध्यम से सिंचाई विभाग की विभिन्न सिंचाई प्रणालियों जैसे नलकूप, नहरें, लिफ्ट इरीगेशन, जलाशयों, बंधों आदि को कैसे संचालित किया जा सकता है, इसको लेकर देश विदेश की लगभग 33 कंपनियां दो दिन तक अपना प्रस्तुतीकरण देकर प्रदेश के सिंचाई विभाग के लिए वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त करेंगी। इनके सहयोग से उ.प्र. को सौर ऊर्जा के मामले में देश का नम्बर-1 प्रदेश बनाने में मदद मिलेगी।
जलशक्ति मंत्री आज यहां डा. राम मनोहर लोहिया परिकल्प भवन तेलीबाग के सभागार में सौरजनित हरित ऊर्जा का सिंचाई विभाग की विभिन्न नहर प्रणालियों, राजकीय नलकूपों, खाली जमीनों का उपयोग कर निजी क्षेत्र के सहयोग से सौर ऊर्जा उत्पादन, परिचालन व उपयोग में भागीदारी के माध्यम से उपयोगी जल सिंचाई प्रबन्धन विषयक दो दिवसीय संगोष्ठी के शुभारम्भ के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।
डा. महेन्द्र सिंह ने उप्र के प्राकृतिक संसाधनों को रेखांकित करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश बड़े भू-भाग वाला प्रदेश होने के साथ ही यहां लम्बे समय तक सूरज का प्रकाश बना रहता है, जिसका उपयोग करके सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही यहां पर लाखों किलोमीटर लम्बाई में नहरें तथा अन्य सिंचाई प्रणालियां है। इसके अलावा बड़े जलाशय, विशाल भूमि बैंक, बड़े बांध, जलाशय, नहरें आदि में सौर ऊर्जा का प्रयोग कर, इन्हें चलाया और सौर ऊर्जा बनायी जा सकती है।
जलशक्ति मंत्री ने तेजी से पर्यावरण क्षरण तथा क्लोरो फ्लोरो कार्बन गैस के दुष्परिणाम से ओजोन परतों के नुकसान पर गंभीर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि वैकल्पिक ऊर्जा को बढ़ावा देकर कम से कम बिजली का उपयोग के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जलशक्ति विभाग के अधीन सिंचाई विभाग की विभिन्न प्रणालियों में सोलर एनर्जी का उपयोग करके नलकूप व नहरों का संचालन करके बिजली बचायी जा सकती है। साथ ही इसका उपयोग अन्य कार्यों में किया जा सकता है। उन्होंने सिंचाई विभाग की बेकार खाली जमीनों तथा नहरों के किनारे, पहाड़ी क्षेत्रों के आसपास, जलाशयों व बंधों पर सोलर पैनल स्थापित कर सौर ऊर्जा उत्पादन किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ड्रिप व स्प्रिंकलर इरीगेशन में इसका उपयोग करके कम पानी खपत से ज्यादा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
इस मौके पर जलशक्ति राज्यमंत्री बलदेव सिंह औलख ने सौर ऊर्जा के माध्यम से क्रांति लाने का सुझाव देते हुए कहा कि इसको अपनाने से प्रदेश के खाद्यान्न उत्पादन में बढ़ोत्तरी होगी और प्रदेश खुशहाली की ओर बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग की जमीनों से अवैध कब्जे को हटाकर सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोग में लाया जाय।
मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार के.वी. राजू तथा विशेष सचिव सिंचाई डा. सारिका मोहन ने इस संगोष्ठी की उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। के.वी. राजू ने कहा कि विदेशों तथा देश के कोने-कोने से आये सौर ऊर्जा क्षेत्र की कंपनियों के प्रतिनिधि जलसंसाधन प्रबंधन तथा वैकल्पिक ऊर्जा के बारे में प्रस्तुतीकरण कर प्रदेश की सिंचाई व्यवस्था को और बेहतर बनाने में सहयोग देंगे।
इस अवसर पर सौर ऊर्जा व जल प्रबंधन से संबंधित 19 कंपनियों ने अपना प्रस्तुतीकरण करके अपने संसाधन, अनुभव, दक्षता आदि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इन कंपनियों में इटली की एक, कोरिया की 02, तथा 18 कंपनियां भारत के कोने-कोने से आयी हुई हैं। कंपनियों के प्रतिनिधियों ने अपनी विशेषताओं, सौर ऊर्जा उत्पादन तथा जल प्रबंधन के क्षेत्र में प्राप्त अनुभवों को साझा किया।
इस अवसर पर प्रमुख सचिव सिंचाई एवं जलसंसाधन टी. वेंकटेश, सिंचाई विभाग के प्रमुख अभियन्ता एवं विभागाध्यक्ष अनूप कुमार श्रीवास्तव, प्रमुख अभियन्ता यांत्रिक देवेन्द्र अग्रवाल, अधीक्षण अभियन्ता यांत्रिक नवीन कपूर, प्रमुख अभियन्ता पैक्ट ए.के. सेंगर सहित सौर जनित हरित ऊर्जा कंपनियों के प्रतिनिधि मौजूद थे।