राजस्व विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों में मचा हुआ है घमासान 
अपर मुख्य सचिव के व्यवहार से खफा राजस्व महासंघ

दीपावली के बाद करेगा आन्दोलन

 

लखनऊ, । चकबंदी विभाग का राजस्व विभाग में विलय और प्रतिनियुक्ति को लेकर राजस्व विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों में घमासान मचा हुआ है। इस मामले में अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार के विधि विरूद्ध रवैये एवं एकतरफा कर्मचारी विरोध निर्णय से नाराज प्रदेश राजस्व महासंघ दीपावली के बाद प्रदेश व्यापी आंदोलन का निर्णय लिया है। इसके लिए शनिवार को डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ लोक निर्माण विभाग में प्रदेश अध्यक्ष अनुराग सिंह की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें रणनीति बनाई गयी।

इस बैठक में निर्णय लिया गया कि दिवाली के उपरान्त किसी भी तिथि से राजस्व महासंघ के बैनर तले प्रान्त व्यापी आन्दोलन शुरू किया जाएगा। इसके बााद भी मुख्यमंत्री स्तर पर सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता तो आपात बैठक कर हड़ताल का निर्णय लिया जाएगा। इस बैठक में तहसील स्तर से आए लगभग 350 राजस्व महासंघ के पदाधिकारी मौजूद रहे। बैठक में कहा गया कि इस नियम विरूद्ध 50 हजार से ज्यादा राजस्व कर्मी सरकार के फैसले के विराध में आन्दोलनरत हैं। इस फैसले से प्रदेश के 750 तहसीलदार भी नाराज हैं।

बैठक में प्रमुख रूप से  राजस्व महासंघ के प्रदेश महामंत्री बृजेश श्रीवास्तव, उत्तर प्रदेश राजस्व निरीक्षक संघ के महामंत्री जितेन्द्र सिंह, राजस्व संग्रह अमीन संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष समर बहादूर सिंह  कश्यप आदि मौजूद रहे। बैठक में बताया गया कि अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग द्वारा अध्यक्ष राजस्व परिषद को प्रेषित एक पत्र में चकबंदी विभाग के राजस्व विभाग में विलय का जोरदार विरोध प्रदेश के लगभग 40 हजार अधिकारी कर्मचारी कर रहे हैं। पूर्व में तत्कालीन राजस्व मंत्री अम्बिका चौधरी के कार्यकाल में चकबंदी विभाग का विलय राजस्व विभाग में कराने का काफी प्रयास किया गया था। ज्ञातत्व है कि उस समय भी रेणुका कुमार ही सचिव राजस्व के पद पर कार्यरत थी, किन्तु कर्मचारी संगठनों के विरोध तथा राजस्व अधिकारियों की पदोन्नति एवं जेष्ठता सम्बंधी खतरे के चलते उक्त प्रयास असफल रहे।

कर्मचारी संगठनों के नेताओं ने कहा कि दोनों विभागों का अपना-अपना महत्व है। निस्तारण में और भी जटिलताएं उत्पन्न होगी। वहीं कर्मचारियों की जेष्ठता एवं पदोन्नति के मार्ग अवरूद्ध होंगे। उन्होंने यह भी बताया कि शासन स्वयं मान रहा है कि चकबंदी विभाग में भ्रष्टाचार व्याप्त है। इसे दूर किये जाने की आवश्यकता है, किन्तु इसका हल किसी विभाग का विलय या समायोजन, आमेलन या प्रतिनियुक्ति से नहीं हो सकती।