उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड की बैठक सम्पन्न
लखनऊः ।  उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष  रविकान्त गर्ग की अध्यक्षता में आज 8वाॅं तल, जवाहर भवन, लखनऊ स्थित कार्यालय के सभाकक्ष में बैठक सम्पन्न हुई। बैठक में अध्यक्ष श्री रविकान्त गर्ग,   उपाध्यक्ष पुष्पदन्त जैन,   उपाध्यक्ष  अशोक कुमार गोयल,  उपाध्यक्ष श्री मनीश कुमार गुप्ता, बोर्ड के संयोजक सचिव   आलोक सिन्हा, कमिश्नर, वाणिज्य कर श्रीमती अमृता सोनी,   सदस्यगण   मुरारी लाल अग्रवाल,  हर्षपाल कपूर, डा0 दिलीप सेठ,  जवाहर कसौधन,   पवन कुमार अरोड़ा,   विश्वनाथ अग्रवाल,  अशोक मोतियानी,   दिनेश सेठी,   महेश पुरी,   सुनील गुप्ता,   अमरनाथ मिश्रा एवं बोर्ड के नामित सरकारी सदस्य अपर मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव आदि उपस्थित रहे। बताया गया कि प्रदेश के व्यापारियों की प्रमुख समस्याओं से मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी को अवगत कराया जायेगा। व्यापारियों की समस्याओं के लिये मुख्यमंत्री से शीघ्र समाधान का सार्थक प्रयास किया जायेगा। बोर्ड के माध्यम से व्यापारियों के हित में विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी।

1. अखाद्य तेलों से हस्तनिर्मित साबुन पर एच0एस0एन0 कोड अन्य महॅंगे साबुन से अलग किया जाये एवं हाॅंथ से बनाये जाने वाले रोजगार आधारित साबुन आदि व्यवसाय पर तथा प्लास्टिक, फर्नीचर, कपड़े धोने के साबुन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं पर जी0एस0टी0 की दर को 5 प्रतिशत पर समाहित किया जाये एवं जी0एस0टी0 में 12 एवं 18 प्रतिशत की दर को समाप्त करके केवल 15 प्रतिशत की दर किया जाये। हस्तनिर्मित साबुन का कोड अलग से निर्धारित किया जाये और इसे अलग श्रेणी में रखा जाये। 9सी और 3सी तथा 9 एण्ड 9ए आई0टी0सी0 डिमाण्ड का पूरा लाभ मिलना चाहिए। जी0एस0टी0आर0-1 तथा जी0एस0टी0 आर0-9 का मिलान करने में काफी दिक्कत आ रही है, जिसका निराकरण किया जाना चाहिए। जी0एस0टी0 फार्म-9 काफी जटिल बनाया गया है, जिसको सरल किया जाना चाहिए। 

2. पिलखुआ वाली हैण्डलूम प्रिन्टेड चादर को करमुक्त शैली में लाने की जी0एस0टी0 विभाग के स्तर से कार्यवाही होनी चाहिए, क्योंकि उत्तर प्रदेश के विभिन्न पावरलूम/हथकरघा कारखानों को विद्युत दरों में भारी छूट दी जा रही है, जबकि पिलखुआ एवं हापुड़ के हथकरघा कारखानों को भेदभावपूर्ण तरीके से व्यवहार किया जा रहा है एवं उनको शासन द्वारा दी जा रही छूट नहीं दी जा रही है, जिससे प्रतिस्पर्धा के बाजार में पिलखुआ/हापुड़ के उद्योग पिछड़ रहे हैं, इसलिये इनको भी सब्सडी एवं उद्योगों/व्यापार को बढ़ाने के लिये विद्युत विभाग एवं अन्य विभाग सब्सडी प्रदान करें। 3. गुड़ को कृषि उत्पाद मानते हुये, उस पर कोई टैक्स न लगाया जाये। व्यापारियों को जी0एस0टी0 से सम्बन्धित नियमों से शिक्षित करने हेतु समय-समय पर प्रोग्राम आयोजित किये जाये। जी0एस0टी0 फार्म-2 का चार्टेड एकाउण्टेंट द्वारा प्रमाणन खत्म करने का सुझाव दिया गया। मार्किन जैसे कपड़ों में जी0एस0टी0 खत्म किया जाय। व्यापारी टास्क फोर्स को सुचारु रूप से चलाया जाय। जी0एस0टी0 फार्म-2 का चार्टेड एकाउण्टेंट द्वारा प्रमाणन खत्म किया जाय। जी0एस0टी0 रजिस्ट्रेशन को समयबद्ध किया जाय। 

3.व्यापारियों एवं उद्यमियों की सामाजिक सुरक्षा पर जगह जगह चैराहे पर पुलिस द्वारा गाड़ियां रोकी जाती है जिस कारण गाड़ियों में रखी गयी बहुमूल्य वस्तुओं (सोना, चांदी) के बारे में पता चल जाता है। क्योंकि इन गाड़ियों को अपराधियों द्वारा चिन्हित कर लूट लिये जाने का खतरा बना रहता है और व्यापारियों को भी धमकाया जाता है। व्यापारी सुरक्षा से संबंधित बैठकें नहीं होती हैं। अतः इस दिशा में गंभीर रूप से विचार किया जाना चाहिए। 

4.उत्तर प्रदेश में खनन बड़े उद्योग एवं रोजगार के रूप में स्थापित है, जिसमें लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। पहाड़ों को तोड़कर पत्थर से गिट्टी बनाने की क्रशर इण्डस्ट्रियां 250 से भी अधिक उत्तर प्रदेश कार्यरत हैं, जिसमें 500 करोड़ से लेकर 150 करोड़ तक की लागत उद्यमियों की लगी हुयी है। परन्तु पिछली सरकार ने उन इण्डस्ट्री के ठीक बगल के पट्टे जहां पर वह इण्डस्ट्री बनी हुई थी, उसके आस-पास के पट्टे अपने चहेतों के नाम पुराने पट्टे और पुरानी लीज को निरस्त करके दे दिया। जिसके कारण से वह लोग दोगुनी, तीगुनी और चारगुनी कीमतों पर पहाड़ों से पत्थर उन खनन इण्डस्ट्री वालों को बेच रहे थे और उत्तर प्रदेश से बाहर के मध्य प्रदेश और अन्य प्रदेशों से उससे एक-चैथाई कीमत पर गिट्टी और पत्थर आ रहा है। इससे उत्तर प्रदेश का खनन उद्योग पूरी तरह से बंदी की कगार पर पहुंच गयी है, 150 से अधिक इकाईयां बंद हो चुकी हैं और जो भी इकाईयां बची हुई हैं वह 6 माह के भीतर बंद हो जाएंगी। इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश में राॅयल्टी मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ आदि पड़ोसी प्रदेशों से ढाई से पांच गुना तक अधिक वसूली जा रही है जो कि दूसरे प्रदेशों से स्मगलिंग को व टैक्स चोरी को बढ़ावा दे रही है। जिस कारण से उत्तर प्रदेश सरकार को अपार राजस्व की हानि हो रही है और उत्तर प्रदेश के सामान्य नागरिक एवं व्यापारी सामान को क्रय करने में अधिक मूल्य का भुगतान कर रहे हैं। उचित मूल्य पर भवन निर्माण सामग्री उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इसलिए संपूर्ण खनन एवं खनिज नीति पर पुनर्विचार किए जाने की आवश्यकता है। 

5.पूर्व में किसी दुर्घटना की स्थिति में अथवा मृत्यु हो जाने पर रू0 पांच लाख की धनराशि बीमा के रूप में दिये जाने का प्रावधान था जो कि अभी तक उसके संबंध में कोई नीति या इंश्योंरेंस पाॅलिसी व्यापारी के लिए क्रय अथवा लागू नहीं की गयी थी जिस कारण यह मात्र घोषणा बनकर ही रह गयी। अभी तक किसी भी दुर्घटना की स्थिति में किसी भी व्यापारी/उद्यमी को कोई भी धनराशि नहीं दी जा सकती है, जिस पर अवगत कराया कि मा0 मुख्यमंत्री जी की घोषणा के अनुसार यह धनराशि पांच लाख से बढ़ाकर दस लाख कर दी गयी एवं इसके अन्तर्गत विभाग द्वारा सीधे भुगतान किया जा रहा है एवं देवरिया जनपद में गौरी बाजार में व्यापारी की हत्या पर मा0 मुख्यमंत्री के निर्देश पर रु0 10.00 लाख रुपये का भुगतान किया जा चुका है। 

6.प्रत्येक जिले में दो सक्षम अधिकारी, एक अपर पुलिस अधीक्षक स्तर का और एक अपर जिला अधिकारी स्तर पर नामित किया जाना था, जो कि व्यापारियों एवं उद्यमियों की किसी भी प्रकार की समस्या, शोषण, उत्पीड़न की दशा में तत्काल कार्यवाही करें, परन्तु अभी तक यह गठन सभी जिलों में पूरा नहीं किया गया है, इसलिये एक सप्ताह के भीतर यह कार्यवाही पूर्ण करके उसका नाम, पदनाम, सी0यू0जी0नम्बर, फोन नं0, मोबाइल नम्बर, मेल आई0डी0 इत्यादि उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड को उपलब्ध कराया जाये। 

7.प्रदेश के विभिन्न मण्डलों एवं जिलों के दौरों में अधिकांश जिलों में व्यापारियों एवं उद्यमियों द्वारा अपनी समस्याओं से अवगत कराया जाता है जिनका निस्तारण तत्काल जिला स्तर पर ही सम्भव होता है, परन्तु कई बार सूचना दिये जाने के पश्चात् भी वाणिज्य कर, मनोरंजन कर, एवं सम्बन्धित विभाग के अधिकारी उपस्थित रहें एवं पूर्ण सहयोग करें। 

8.45-50 की आयु में यदि किसी व्यापारी की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिवार को लाभ देने हेतु बीमा पाॅलिसी की व्यवस्था की जाए। बीमा पाॅलिसी-दुर्घटना होने पर बीमा की व्यवस्था, प्राकृतिक आपदा की स्थिति में व्यापारी हेल्प लाईन की व्यवस्था की जाये।

9.कृषि उत्पादन मण्डी परिषद में मण्डी परिषद में पंजीकृत व्यापारियों की किसी दुर्घटना आगजनी आदि की स्थिति में उनको एवं उनके परिवार को आर्थिक सहायता दिये जाने का प्राविधान किया जाना चाहिये, जिसके सन्दर्भ में निदेशक मण्डी परिषद, मा0 मुख्य सचिव एवं मा0 मुख्यमंत्री जी को लिखित पत्र संख्या-483ए दिनांक 16.05.2019 भेजा था, जिस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गयी है, यह व्यवस्था तत्काल उत्तर प्रदेश में लागू की जानी चाहिये। 

10.मण्डी परिषद की दुकानों को फ्री-होल्ड किया जाय।

11.व्यापारी टास्क फोर्स को सुचारु रूप से संचालन किया जाय।

12. प्रदेश में बिहार, मध्य प्रदेश की तरह आयातित दलहन पर मण्डी शुल्क को खत्म किया जाय। 

13.उत्तर प्रदेश में पूर्ववर्ती सरकारों के पूर्वाग्रह एवं गलत नीतियों के कारण हजारों की संख्या में छोटी-बड़ी फैक्ट्रियाॅं बंद पड़ी हैं, जिनको उद्यमी प्रदेश सरकार की सुरक्षा एवं सहयोगी नीति से प्रभावित होकर पुनः चालू करना चाहते हैं, परन्तु पुरानी फैक्ट्री को दुबारा शुरू करने पर विद्युत भार चार्ज दुबारा लिया जा रहा है, जबकि उनमें ट्रान्सफार्मर, खम्बे, केबिल इत्यादि का चार्ज प्रथम बार उद्योग की स्थापना के समय ही ले लिया जाता है और उसी को दोबारा चालू करना होता। इसीलिये यह दोहरी व्यवस्था उद्योगों को पुनर्जीवित करने में बाधक सिद्ध हो रही है, इसलिये बंद पड़ी इकाईयों को पुनः चालू किये जाने पर उन पर दोबारा विद्युत भार चार्ज समाप्त किया जाना चाहिये, जिससे उत्तर प्रदेश में बंद पड़ी अधिक-से-अधिक इकाईंयाॅं चालू हो सकें और प्रदेश का विकास हो सके।

14.व्यापारियों के कर निर्धारण के सम्बन्ध में अधिकारियों के विवेक द्वारा कोई निर्णय लिये जाने से व्यापारियों का अनावश्यक शोषण एवं उत्पीड़न होता है एवं उनका व्यापार भी प्रभावित होता है, जबकि जी0एस0टी0 की नई व्यवस्था में विवेक के आधार पर कोई भी निर्णय लिये जाने का कोई भी प्राविधान नहीं है। ऐसी परिस्थिति में पुराने मामलों में ऐसा किया जाना उचित नहीं है। मा0 मुख्यमंत्री जी द्वारा अनेकों बार अपने भाषण एवं घोषणाओ में भी यह स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि विवेक के आधार पर निर्णय लिये जाने के अधिकार की आड़ में व्यापारियों एवं उद्यमियों का शोषण किये जाने की व्यवस्था पूरी तरह समाप्त की जायेगी। अतः यह व्यवस्था पूरी तरह से समाप्त की जानी चाहिये एवं ऐसे मामलों में यदि अधिकारियों का दोष पाया जाता है तो प्रतिपूर्ति उनके वेतन से किया जाना सुनिश्चित किया जाये। सिर्फ और सिर्फ तथ्यों के आधार पर ही निर्णय लिये जाने का अधिकार दिये जाने का सुझाव दिया गया, जिसका समस्त सदन ने समर्थन किया।

15.सभी विभागों में समयबद्ध सिंगल विण्डो सिस्टम लागू किया जाय और इसकी माॅनीटरिंग उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड को दी जाय।

16.व्यापारियों को मेडिकल सुविधा प्रदान करने, व्यापारियों/उद्यमियों की आपातकालीन आर्थिक सहायता हेतु उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के अधीन व्यापारी कल्याण कोष की स्थापना किया जाना नितान्त आवश्यक है। इस कोष से व्यापारियों/उद्यमियों की आपातकाल स्थिति में तत्काल सहायता की जा सकती है, जिससे व्यापारियों/उद्यमियों को तत्काल आर्थिक मदद होगी तथा उनको व्यवसाय आगे संचालित करने में अपेक्षित सहयोग प्राप्त होगा। 

17.व्यापारियों/उद्यमियों के लिये कोई पेंशन योजना लागू न होने के कारण व्यापारियों/ उद्यमियों को वृद्धावस्था में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है तथा वे अपने परिवारजन अथवा दूसरे लोगों पर आश्रित होकर अपना जीवन यापन करना पड़ता है। अतः व्यापारियो/ उद्यमियों के हित को ध्यान में रखते हुये व्यापारी पेंशन योजना लागू करना नितान्त आवश्यक है तथा इस व्यापारी पेंशन योजना का अधिकार-क्षेत्र उत्तर प्रदेश व्यापारी कल्याण बोर्ड के पास हो। 

18.मण्डी परिषद जो जी0एस0टी0 जमा करता है, वह जी0एस0टी0 पोर्टल पर दर्ज नहीं कर रहा है, जिसके कारण व्यापारियों को असुविधा हो रही है एवं व्यापारियों को उसके इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिल पा रहा है और मण्डी परिषद में यह पैदा डम्प पड़ा और वाणिज्य कर विभाग को हस्तान्तरित भी नहीं हो रहा है, जिससे विभाग का कई सौ करोड़ रुपया डम्प है, उसका निस्तारण किया जाय।

19.व्यापारियों के माल की चैकिंग में पुलिस का हस्तक्षेप समाप्त किये जाने के पूर्व डी0जी0पी0 के निर्देशें का पालन किया जाय।

20.व्यापारी पर ई-वे बिल का जो मैसेज आता है, उसमें क्रेता एवं बिक्रेता व्यापारियों का नाम अंकित नहीं होता है, जो होना चाहिए हेतु निर्देश दिए गए। 

21.लघु एवं कुटीर उद्योगों के लिये तीन माह अस्थायी बिजली कनेक्शन चलाने की अनुमति दी जाए। विद्युत से सम्बन्धित समस्यायें 1912 के द्वारा हल की जायेगी।

22.वाणिज्य कर विभाग में समान सुविधा समान अधिकार पर व्यापारियों का कल्याण कम-से-कम व्यापारियों की सभी प्रकार की समस्याओं को दूर किया जाये। व्यापारियों की समस्याओं पर संज्ञान लेने व निस्तारण के लिये नोडल अधिकारी नामित किया जाय।

23.डैडम् की वाणिज्य कर विभाग में समस्याओं पर चर्चा, लघु उद्योग में ऊर्जा विभाग ध्यान दे। मुख्यमंत्री उद्योग योजना, प्रधानमंत्री उद्योग योजनाओं के सन्दर्भ में एवं विद्युत चलित कुम्हार चाक एवं विद्युत चलित चरखा, व्यापारियों एवं उद्यमियों को नवीन उद्योग स्थापना के लिये कितने लोगों को ट्रेनिंग दी गयी, कितने लोन दिये गये और विभाग की क्या नीति है, लाभार्थियों की सूची आदि की जानकारी विभागों द्वारा दी जानी चाहिये।

24.ताॅबा, पीतल, एल्युमिनियम के बर्तनों का निर्माण/व्यापार बनारस, मिर्जापुर, मुरादाबार, कानपुर, हाथरस, जलेसर, फर्रुखाबाद, हरियाणा, मध्य प्रदेश व राजस्थान में कुटीर उद्योग के रुप में किया जाता है। यह उद्योग वर्ष में शादी विवाह के अवसरों पर मात्र 03 महीने ही चलते हैं।  ताॅबा, पीतल, एल्युमिनियम के बर्तनों के टूटे-फूटे बर्तनों पर 4 प्रतिशत वैट सरकार वसूल करती थी, जिस पर अब जी0एस0टी0 18 प्रतिशत हो गया है तथा नये बर्तनों पर जी0एस0टी0 12 प्रतिशत वसूला जा रहा है। कर की दर अधिक होने के कारण ये कुटीर उद्योग बंदी की कगार पर पहुॅंच गये हैं। यहाॅ यह उल्लेखनीय है कि ताॅबा, पीतल, एल्युमिनियम के टूटे-फूटे बर्तनों /स्क्रैप बहुत ही गरीब एवं कमजोर तबके के लोग छोटे कबाड़ व्यापारियों को बेचते हैं जिसे बाद में बड़े कबाड़ व्यापारियों को बेचा जाता है। इसके बाद निर्माता व्यापारी उसे गलाकर नये बर्तन तैयार कराते हैं। इस प्रकार इस स्क्रेप पर 18 प्रतिशत जी0एस0टी0 होने से सबसे कमजोर तबका एवं छोटे कबाड़ व्यापारी आर्थिक रूप से प्रभवित हो रहे हैं,, जबकि नये बर्तनों पर 12 प्रतिशत जी0एस0टी है। ऐसी स्थिति में टूटे-फूटे बर्तनों/स्क्रैप पर जी0एस0टी0 एक समान किया जाना। जी0एस0टी0 काउंसिल को इसका प्रस्ताव भेजना जाना चाहिये। इन कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने एवं जनहित व व्यापारीहित में उचित होगा। 

25.खुले कपड़ा (थान वाला बिना सिला हुआ) व्यापारियों/उद्यमियों पर जी0एस0टी0 लागू होने के पूर्व कभी कोई टैक्स नहीं रहा है, जबकि जी0एस0टी0 लागू होने के उपरान्त कपड़े पर 5 प्रतिशन टैक्स वसूला जा रहा है, जिससे देश पर के कपड़ा व्यापारियों में भारी रोष है। वर्तमान समय में रेडीमेड गारमेन्ट के अत्यधिक चलन के दौर में कपड़े पर जी0एस0टी0 वसूले जाने से कपड़ा व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। अतः कपड़े पर वसूला जाने वाला 4 प्रतिशत जी0एस0टी0 तत्काल समाप्त किया जाये। 

26.वर्तमान में विद्युत विभाग की विजिलेंस टीम व अधिकारी सरकार का एक आदेश दिखाकर कि “ट्यूबेल के कनेक्शन पर कोल्हू नहीं चलेंगे, अलग से अस्थायी या स्थायी कनेक्शन लेना पड़ेगा” की आड़ में इस कुटीर उद्योग चलाने वालों का भारी आर्थिक व मानसिक शोषण कर रहे हैं, जबकि अधिकांशतः ट्यूबेलों पर विद्युत उपभोग बताने के लिए मीटर भी लगे हैं। चन्द कोल्हू जो मेन रोड पर चल रहें हैं, उन पर दबाव बनाकर अस्थायी विद्युत कनेक्शन दिया जाता है, जबकि असंख्य कोल्हू जो इन्टीरियल में चल रहे हैं, उनसे हर महीने मोटी धनराशि अवैध रुप से विजिलेंस की पुलिस टीम का डर दिखाकर व छापेमारी करके विद्युत विभाग द्वारा वसूली की जा रही है। समाज के सबसे छोटे तबके पर इस अत्याचार को बन्द कराया जाए तथा पूर्व वर्षों की भांति ट्यूबेल कनेक्शन पर ही गुड़ कोल्हू चलाने की अनुमति दी जाए। 

27.वर्तमान स्थिति में उत्तर प्रदेश सरकार गुड़ को कृषि उपज मानकर उस पर 2.5 प्रतिशत मण्डी शुल्क वसूल कर रही है और भारत सरकार गुड़ को कृषि उपज न मानकर गुड़ के क्रय-विक्रय, भण्डारण और परिवहन आदि सेवाओं पर 18 प्रतिशत जी0एस0टी0 वसूल कर रही है। यह विरोधाभासी स्थिति है और व्यापारियों को भ्रम में डालने वाली है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि बाजार में हमेशा गुड़ को कृषि उत्पाद ही माना जाता रहा है और गुड़ का प्रारम्भिक क्रय-विक्रय मण्डल स्थलों पर होता है, जहां खाद्यान्न एवं अन्य कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री होती है। ऐसी विरोधाभासी भ्रम उत्पन्न करने वाली स्थिति में उचित होगा कि उ0प्र0 सरकार गुड़ को कृषि उत्पाद मान रही है। अतः गुड़ व्यापारियों से इसे कृषि उत्पाद ही मानकर केवल 2.5 प्रतिशत मण्डी शुल्क ही वसूल किया जाए तथा भारत सरकार द्वारा गुड़ को कृषि उपज न मानकर वसूले जाने वाले 18 प्रतिशत जी0एस0टी0 को समाप्त कर दिया जाए। 

28. प्रदेश के विभिन्न जिलों के दौरों एवं समस्त मण्डलों (कमिश्नरी) में जाने पर यह ज्ञात हुआ है कि मनोरंजन कर विभाग प्रदेश में जी0एस0टी0 व्यवस्था लागू होने के उपरान्त दिनांक 24.04.2018 से वाणिज्य कर विभाग में समाहित हो गया है। उल्लेखनीय है कि विभाग में पूर्व वर्षों के बकाया सिनेमागृहों, व केबिल टी0वी0 वाटर पार्क, मनोरंजन कर पार्क, क्लब तथा अन्य मनोरंजन कर के प्रकरणों में लगभग 500 करोड़ रूपये से अधिक की वसूली लम्बित है एवं कई सौ करोड़ रूपये का विगत वित्तीय वर्ष का कर निर्धारण शेष रह गया है। मनोरंजन कर निरीक्षकों द्वारा किया जाने वाला यह कार्य पूरी तरह से बन्द है। इसलिए प्रत्येक जिला स्तर पर विगत वर्षों का एक से दस करोड़ तक का कर निर्धारण लम्बित है।  

29. उद्योगों, फैक्ट्रियों आदि में आर0सी0एम0 स्थगित है। राष्ट्रीय आपदा द्वारा लगाये जा रहे हैं, जिसे समाप्त किया जाना चाहिये। बड़े व्यापारिक/औद्योगिक संस्थानों और फैक्ट्रियों में कार्यरत कर्मचारियों/श्रमिकों के कल्याण के लिये लेबर एक्ट का ही हस्तक्षेप है। कर्मचारियों/श्रमिकों के कल्याण के लिये कम्पनियों द्वारा अलग-अलग ई0पी0एफ0 12ः़13ःत्र25ः और ई0एस0आई0 4ण्75ः़1ण्25ःत्र6ः की कटौती तथा चिकित्सा सुविधा दी जाती है। यह श्रमिकों से सम्बन्धित है और सम्बन्धित संस्थान जहाॅं पर श्रमिक कार्य करते हैं, वे कटौती करते हैं और श्रमिकों को अलग-अलग विभागों से एन0ओ0सी0 लेना पड़ता है, जिससे श्रमिक अनावश्यक परेशान भी होते हैं और उनका बड़े पैमाने पर शोषण भी होता है। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों/श्रमिकों के कल्याणकारी योजनाओं के लिये एक ही विभाग संचालित किया जाये, जहाॅं पर एक नोडल अधिकारी नामित हो, जिससे कर्मचारियों/श्रमिकों को अलग-अलग विभागों से एन0ओ0सी0 आदि प्राप्त करने के लिये परेशान न होना पड़े और वे अनावश्यक शोषण से बच सकें। 

30. उत्तर प्रदेश में उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए इन्वेस्टर समिति निवारण का आयोजन किया गया था। उद्योगों के स्थापना के अन्तर्गत थर्माकोल प्लास्टिक की फैक्ट््िरयाॅं  लगायी गयी थी, जिसमें उर्जा विभाग ने नई फैट््िरयों पर 2 वर्ष में न्यूनतम बिल 500 किलो वाट का भुगतान किया जाना प्रतिबन्धित है। उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा प्लास्टिक/थर्माकोल की बिक्री, निर्माण, उत्पादन, परिवहन आदि पर पूरी तरह से रोक लगा दी गयी है। इस प्रकार प्लास्टिक/थर्माकोल की बिक्री, निर्माण, उत्पादन, परिवहन आदि प्र्रदेंश में प्रतिबन्धित हो गया है और अपराध की श्रेणी में आ गया है। ऐसी परिस्थिति में इन फैक्ट्रियो/उद्योगों पर 500 किलो वाट का न्यूनतम बिजली बिल का भुगतान न्यायसंगत नहीं है। इससे स्पष्ट तौर पर उन व्यापारियों/उद्यमियों का शोषण, उत्पीड़न होता दिखाई दे रहा है। ऐसी स्थिति में इण्डस्ट््िरयों में शासनादेश जारी होने के दिनांक से न्यूनतम बिजली बिल भुगतान लिया जाना तत्काल प्रभाव से समाप्त किया जाता है एवं उत्तर प्रदेश में शासनादेश जारी होने के दिनांक के बाद फैक्ट््िरयों के बन्द होने के दिनांक से बिजली बिल पर जमा करायी गयी धनराशि वापस किये जाने का निर्देश दिया गया था, जिसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है और व्यापारियों व उद्यमियों का उत्पीड़न व शोषण किया जा रहा है।