...अगर पूरे प्रदेश की जांच हो जाए तो बहुत बड़ा घपला पूर्व सैनिक के नाम पर किए जाने का खुलासा होगा

लखनऊ। तमाम अवरोधों के बावजूद सचिवालय सेवा के विशेष सचिवों पर आखिरकार दो साल बाद गाज गिर ही गई। अधिकतर विशेष सचिवों पर कोई न कोई आरोप लगे। कुछ तो भ्रष्टïाचार की ऐसे-ऐसे कारनामें किए जिनकी गूंज शासन तक पहुंची। पूर्व सैनिक कल्याण निगम में तैनात सचिवालय सेवा के विशेष सचिव ने फर्जी सैनिकों की संख्या वेतन हड़पने वाले दागियों पर पर ऐसी मेहरबानी दिखाई कि घपलेबाजों को बचाने के लिए अपने स्तर से दर्ज एफआईआर निरस्त करने और घपले की धनराशि वेतन से वसूलने के आदेश जारी कर दिए थे। लेकिन प्रमुख सचिव की सजगता से मामला पकड़ में आया। 


मालूम हो कि सचिवालय प्रशासन विभाग ने को 13 विशेष सचिवों के तबादले कर दिये हैं। इनमें बृजनंदन लाल द्विवेदी को पंचायतीराज से कृषि विभाग, राजेन्द्र प्रसाद को व्यावसायिक शिक्षा से भाषा विभाग, महावीर सिंह को आईटी इलेक्ट्रानिक्स से नियुक्ति विभाग भेजा गया है। इसी तरह सुरजन सिंह को दिव्यांगजन सशक्तीकरण से सचिवालय प्रशासन विभाग, सुरेश कुमार पाण्डेय को नियुक्ति से कारागार प्रशासन, मोहम्मद जुनीद को सहकारिता से विशेष सचिव पीडब्ल्यूडी, प्रतीक्षारत सीता राम यादव को निदेशक सचिवालय प्रशिक्षण संस्थान, रवींद्र नाथ सिंह को सैनिक कल्याण से विशेष सचिव खाद्य रसद, राम चंद्र यादव धर्मार्थ से विशेष सचिव लघु उद्योग, बाबू राम को लोक सेवा प्रबंधन संस्थान से विशेष सचिव वित्त, जगत पाल सिंह को कृषि से विशेष सचिव अल्पसंख्यक विभाग, शत्रुंजय सिंह को माध्यमिक शिक्षा से विशेष सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ तथा सुधींद्र कुमार सिंह को सिंचाई व जल संसाधन विभाग से विशेष सचिव ग्राम्य विकास भेजा गया है।

पूर्व सैनिक कल्याण निगम के विशेष सचिव रवीन्द्र नाथ सिंह ने 23 सितम्बर 2018 को घपलेबाज बाबूओं को बचाने के लिए एक प्रस्ताव तैयार करके विभागीय मंत्री और प्रमुख सचिव के पास भेजा। जिसमें अनुशंसा की गई थी कि लेखाकार महेन्द्र प्रताप सिंह का स्थानांतरण निरस्त करने के साथ ही एफआईआर वापस ले ली जाए। संगत प्रावधानों के तहत 15 लाख रुपए की वसूली दोषी कार्मिकों के वेतन से वसूल करते हुए विशेष भत्र्सना और प्रतिकूल प्रविष्टिï दी जाए। निगम के प्रबंध निदेशक को निर्देश दिए कि एफआईआर वापस लेने के साथ ही 15,46, 222 वसूली और विशेष भत्र्सना और प्रतिकूल प्रविष्टिï प्रदान करके तीन दिन में कृत कार्यवाही से शासन को अवगत कराया जाए।

उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम के सूत्रों का कहना है कि यह घपला बीते एक दशक से पूरे प्रदेश में चल रहा है। मात्र प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में हुई जांच से खुलासा हुआ है। अगर पूरे प्रदेश की जांच हो जाए तो बहुत बड़ा घपला पूर्व सैनिक के नाम पर किए जाने का खुलासा होगा। इन घपलेबाजों के सम्पर्क बहुत ही प्रभावशाली तत्वों से हैं। इसकी वजह से सचिवालय के बाबू भी इन घपलेबाजों को बचाने में अपनी कलम तक बेचने में कोई कोताही नहीं कर रहे हैं। विशेष सचिव रवीन्द्र नाथ सिंह ने इस मामले में लीपापोती के लिए लगभग 10 लाख रुपए लिया है। जब इस घपले का पता उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम के प्रमुख सचिव मनोज कुमार सिंह को पता चला कि उन्होंने विशेष सचिव रवीन्द्र कुमार सिंह को फटकारने के साथ ही तत्काल घपलेबाजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के साथ ही सख्त कार्रवाई के आदेश दिए। इसके बाद 8 नवम्बर 2019 को विशेष सचिव रवीन्द्र सिंह ने दोषी व्यक्तियों के खिलाफ विचाराधीन पुलिस जांच जारी रखने के आदेश जारी किए। इस प्रकरण में उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम प्रबंध निदेशक धीरज कुमार से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई। जबकि विशेष सचिव रवीन्द्र सिंह ने कहा कि मामले को टालने के लिए कहा कि आप आ जाइए, बैठक कर सुलझा लेंगे। इस संबंध में प्रमुख सचिव मनोज सिंह ने कहा कि मामला काफी संवेदनशील है। आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के साथ ही एसआईटी से पूरे प्रदेश में जांच कराई जाएगी।