अवध की जमीं पर लोगों के चेहरों पर सौहार्द की मुस्कान दिखाई दी



एक दीवार पर स्थापित हैं अली और बली दोनों विराजमान









 लखनऊ | धर्म मेरा इस्लाम है और भारत जन्म स्थान... वुजू करूं अजमेर में, काशी में स्नान... मशहूर शायर पद्मश्री बेकल उत्साही का यह पैगाम गंगा जमुनी-तहजीब का प्रतीक है। यही अवध का चेहरा भी है। तभी तो  तमाम चर्चाओं के बीच अयोध्या विवाद पर फैसला आया तो गंगा-जमुनी तहजीब के लिए मशहूर अवध की जमीं पर लोगों के चेहरों पर सौहार्द की मुस्कान दिखाई दी। तू मेरी दिवाली का अली तो मैं तेरे रमजान का राम हूं, इस तरह मैं सारा हिन्दुस्तान हूं... यह पंक्तियां चौक के सौ साल पुराने गोमती प्रसाद अखाड़े पर सटीक बैठीं। चौक स्थित बाग महानारायण स्थित अखाड़े में फैसला आने के बाद मोहम्मद शाकिर और मनीष अवस्थी ने गंगा जमुनी तहजीब की नजीर पेश की। अखाड़े में अली और बली एक दीवार पर स्थापित हैं जहां मोहम्मद शाकिर ने अली पर फूल चढ़ाए और मनीष ने बली पर चोला चढ़ाया। पं कमला शंकर अवस्थी अखाड़े की देखरेख करते हैं। वह बताते हैं कि हिन्दु-मुस्लिम एकता के प्रतीक सैकड़ों साल पुराने अखाड़े की नींव स्व गोमती प्रसाद और स्व नागेश्वर ने रखी थी। स्व अहमद पहलवान बच्चों को दंगल सिखाते थे।