अवसादग्रस्त हजारों किसान आत्महत्या कर चुके हैं : अखिलेश यादव
लखनऊ,। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने रविवार को कहा है कि 04 नवम्बर को बैंकाक में 16 देशों के बीच होने वाले मुक्त व्यापार संधि (आर.सी.ई.पी) किसानों के हितों पर गहरा आघात करने वाली है। भारत सरकार को इस पर संसद में चर्चा होने तक हस्ताक्षर नहीं करना चाहिए। इस देश का किसान अपनी फसल का लागत मूल्य भी नहीं पाता है और कर्जदार रहता है। अपनी दुर्दशा से अवसादग्रस्त हजारों किसान आत्महत्या कर चुके हैं। क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि (आरसीईपी) के लागू होने से कृषि पर संकट और गम्भीर हो जाएगा। इस समझौते से भारत के किसानों की जिंदगी और बदहाल हो जाएगी।   

उन्होने कहा कि  विश्व भर में सरकारें फसलों की लागत में भारी छूट देती है और अपने किसानों की खेती को अच्छी सुविधाएं प्रदान करती है। इससे उनकी उपज के दाम बाजार में प्रतियोगी बने रहते हैं। भाजपा सरकार की कारपोरेट पक्षधर नीतियों के कारण भारतीय किसान विश्व बाजार में अपनी फसलें बेचने में अक्षम हैं। यहां उन्हें तमाम परेशानियों से गुजरना पड़ता है। खेती किसानी में उपयोग में आने वाले उपकरण हो या खाद, कीटनाशक, सिंचाई, बीज, बिजली सब उन्हें मंहगे मिलते हैं। बैंकों से कर्ज भी आसानी से नहीं मिलता है। कृषि की नई तकनीक उन तक नहीं पहुंच पाती है।

क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि (आर.सी.ई.पी) से सर्वाधिक प्रभावित डेयरी क्षेत्र होगा। इसमें आयात शुल्क शून्य या लगभग शून्य हो जाने से 10 करोड़ डेयरी किसान परिवारों के रोजगार पर हमला होगा। इसी तरह का खतरा गेहूंऔर कपास (जिसका आयात आस्ट्रेलिया व चीन से होता है) तिलहन (पाम आयल के कारण) और प्लांटेशन उत्पाद काली मिर्च, नारियल, सुपाड़ी, इलायची, रबर आदि पर होगा।

क्षेत्रीय समग्र व्यापार संधि (आर.सी.ई.पी) से विदेशी कम्पनियों को खेती की जमीन अधिगृहीत करने, अनाज की सरकारी खरीद में हस्तक्षेप करने, खाद्यान्न प्रसंस्करण में निवेश करने तथा ई-व्यापार बढ़ाकर छोटे दुकानदारों को नष्ट करने से भारतीय किसान अधिक मात्रा में कारपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे, जिनका मुनाफा किसानों की कीमत पर बढ़ेगा। भारत सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि वह गोपनीय तरीके से काम क्यों कर रही है। इस संधि पर सार्वजनिक चर्चा से क्यों बचा जा रहा है।