ईट बनाने में 25 फीसदी फ्लाई ऐश का प्रयोग न करने पर कोर्ट सख्त 
प्रमुख सचिव पर्यावरण व मेरठ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी को अवमानना नोटिस

 

प्रयागराज। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव पर्यावरण उत्तर प्रदेश एवं क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मेरठ को अवमानना नोटिस जारी किया है और चार हफ्ते में स्पष्टीकरण मांगा है। कोर्ट ने कहा कि क्यों न कोर्ट के आदेश की अवहेलना के लिए उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई की जाए। प्रदेश में ईट भट्ठों द्वारा ईट, टाइल्स या ब्लॉक बनाने में मिट्टी में फ्लाई ऐश का इस्तेमाल न करने को लेकर दाखिल अवमानना याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी ने उत्कर्ष पवार की अवमानना याचिका पर दिया है।  मालूम हो कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सुमित सिंह व अजय कुमार मिश्र की जनहित याचिकाओं पर प्रदेश सरकार को केंद्र सरकार की 14 सितम्बर 1999 को जारी अधिसूचना का पालन करने का निर्देश दिया था, जिसके तहत थर्मल पावर प्लांट के 300 किमी क्षेत्र में सभी ईट भट्ठा मालिकों को आदेश दिया गया है कि ईट बनाने के लिए मिट्टी में 25 प्रतिशत फ्लाई ऐश का अनिवार्य रूप से इस्तेमाल करें। ऐसा आदेश बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए जारी किया गया और राज्य सरकार को यह भी आदेश दिया गया है कि प्रमुख सचिव पर्यावरण की अध्यक्षता में एक मॉनिटरिंग कमेटी बनाए, जो निगरानी करे। 

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गाजियाबाद के जिलाधिकारी को आदेश दिया कि थर्मल पावर के 300 किलोमीटर के दायरे में जितने भी ईट भट्ठे हैं, उन्हें मिट्टी में 25 प्रतिशत फ्लाई ऐश का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से मिलाने का निर्देश जारी करें।   2012 में सरकार ने नियम भी बना दिया, फिर भी प्रदेश में इसे कड़ाई से पालन नहीं कराया जा रहा है। जिसे कोर्ट ने गंभीरता से लिया है और प्रमुख सचिव पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मेरठ के क्षेत्रीय अधिकारी को पक्षकार बनाते हुए आदेश का पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। याचिका में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नई दिल्ली के सदस्य सचिव प्रशांत भार्गव पर भी आदेश के पालन न करने का आरोप लगाया गया है।